कबीर हरि सब कूँ भजै हिंदी मीनिंग
कबीर हरि सब कूँ भजै, हरि कूँ भजै न कोइ |
जब लग आस सरीर की, तब लग दास न होइ ||
Kabir Hari Sab Ku Bhaje, Hari Ku Bhaje Na Koi,
Jab Lag Aas Sarir Ki, Tab Lag Das Na Hoi.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब की वाणी है की इश्वर तो सभी प्राणियों का ख़याल रखता है भले ही प्राणी इश्वर को भूल जाए, जब तक प्राणी का शरीर जवान रहता है तब तक वह इश्वर का सुमिरन नहीं करता है, अतः हमें चाहिए की हम शरीर की आशा को छोड़कर हरी के नाम का सुमिरन करें. कबीर दास के उपदेश को साझा किया है। कबीर दास की शिक्षाएँ हमें यह याद दिलाती हैं कि आत्मा के मालिक ईश्वर हैं और हमें उनका स्मरण करना चाहिए, चाहे हमारे शरीर की स्थिति जैसी भी हो। यह हमें आदर्श देता है कि हमें मानव जीवन में ईश्वर की उपस्थिति को याद रखना चाहिए और हमें उनका सेवन करने का समय निकालना चाहिए, चाहे हमारे शारीरिक परिपेक्ष्य में कुछ भी हो। यह एक उत्कृष्ट संदेश है, जो हमें आत्मिक विकास और सच्चे मानवता की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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