कबीर रस्सी पाँव में कहँ सोवै सुख चैन मीनिंग Kabir Rassi Panv Me Meaning

कबीर रस्सी पाँव में कहँ सोवै सुख चैन मीनिंग Kabir Rassi Panv Me Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

कबीर रस्सी पाँव में, कहँ सोवै सुख चैन |
साँस नगारा कुंच का, है कोइ राखै फेरी ||
 
Kabir Rassi Panv Me, Kah Sove Sukh Chain,
Sans Nagara Kunch Ka, Hai Koi Rakhe Pheri.
 
कबीर रस्सी पाँव में कहँ सोवै सुख चैन मीनिंग Kabir Rassi Panv Me Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की उनके पांवों में काल की रस्सी पड़ी हुई है। ऐसे में निश्चिंत होकर सोने का कोई लाभ नहीं है। साँसों रूपी नगाड़ा इश्वर की मर्जी से ही बज रहा है। आशय है की तुम अभिमान को छोड़ दो, तुम स्वामी के दास हो, तुम उसी की मर्जी से कार्य करते हो. अतः इश्वर के प्रति हमें स्वामिभक्ति रखनी चाहिए। आपने दोहे का अर्थ सही समझा है। कबीर दास जी कहते हैं कि इस संसार में सब कुछ नश्वर है। चाहे कोई कितना ही धन-दौलत, वैभव संपदा, या शक्ति-सत्ता क्यों न प्राप्त कर ले, उसे मृत्यु से बचने के लिए कुछ भी नहीं कर सकता। कबीर दास जी का दोहा हमें जीवन की अल्पता और मृत्यु की निश्चितता का ज्ञान देता है। वे कहते हैं कि हमें अपने जीवन को व्यर्थ के दिखावे में नहीं बिताना चाहिए, बल्कि इसे अच्छे कर्मों में लगाना चाहिए।
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