कवि तो कोटि कोटि हैं सिर के मूड़े कोट मीनिंग Kavi To Koti Koti Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi / Arth
कवि तो कोटि कोटि हैं, सिर के मूड़े कोट |
मन के मूड़े देखि करि, ता संग लिजै ओट ||
Kavi To Koti Koti Hai, Sir Ke Mude Kot,
Man Ke Mude Dekhi Kari, Ta Sang Lije Ot.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
सतगुरु के चयन के विषय में कबीर साहेब का कथन है की जगत में करोड़ों कवी हुए हैं, ऐसे ही कई लोग सर को मूंड लेते हैं, लेकिन वे सच्चे संत नहीं हैं। वे कवी हो सकते हैं कुछ और हो सकते हैं लेकिन साधू नहीं। जो अपने मन को मूंड ले वही सच्चा संत होता है। इस दोहे में कबीर साहेब सन्देश देते हैं की बाह्य आवरण, कर्मकांड आदि से किसी के संत होने का निर्णय नहीं देना चाहिए। देखना चाहिए की कोई व्यक्ति कैसे समर्पण के साथ भक्ति करता है। संत कबीर दास जी के इस दोहे का अर्थ है कि इस दुनिया में कविता करने वालों की संख्या बहुत अधिक है, और सिर मुड़ाकर घूमने वाले साधुओं की भी बहुतायत है। लेकिन इनमें से बहुत से लोग केवल बाहरी दिखावे में ही साधु हैं, उनके अंदर वास्तविक ज्ञान और आध्यात्मिकता नहीं है। कबीर जी कहते हैं कि केवल बाहरी रूप और आचरण से किसी व्यक्ति की आध्यात्मिक स्थिति का पता नहीं लगाया जा सकता। जो व्यक्ति अपने मन को जीत लिया है, वही वास्तविक साधु है। इसलिए, हमें ऐसे व्यक्ति की तलाश करनी चाहिए जो अपने मन को नियंत्रित करने में सक्षम हो, और उसके साथ ही आध्यात्मिक ज्ञान भी रखता हो।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |