सेवक फल मांगे नहीं सेब करे दिन रात हिंदी मीनिंग Sevak Phal Mange Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth/Arth Sahit
सेवक फल मांगे नहीं, सेब करे दिन रात,
कहै कबीर ता दास पर, काल करै नहि घात।
Sevak Phal Mange Nahi, Seb Kare Din Rat,
Kahe Kabir Ta Das Par, Kal Kare Nahi Ghat.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब का अमूल्य सन्देश है की भक्त सेवक इश्वर से किसी भी फल की आशा नहीं करता है। वह तो दिन रात निरंतर इश्वर की ही सेवा में लगा रहता है। कबीर दास जी कहते हैं की ऐसे सेवक पर काल की किसी घाट/चोट का कोई असर नहीं होता है। आशय है की प्रभु का सच्चा सेवक कभी भी इश्वर की भक्ति से विमुख नहीं होता है। उसके हृदय में भी बदले में कुछ प्राप्त करने की कोई भावना नहीं होती है। ऐसे में काल समर्पित सेवक का कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता है। इस दोहे में कबीर दास जी कहते हैं कि प्रभु का सेवक सदा ही प्रभु की सेवा में लगा रहता है। वह अपनी भक्ति और सेवा के द्वारा ईश्वर की कृपा प्राप्त करता है। ईश्वर की कृपा से वह सभी शक्तियों को प्राप्त कर लेता है।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |