मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,प्रभु दर्शन की प्रभु दर्शन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
प्रभु दर्शन की प्रभु दर्शन की।
गंगा तट पर होकर प्यासा,
चाह भक्ति रस वर्षन की,
सूखे हैं सब योगी ज्ञानी मुनि,
आस भक्ति पद घर्षण की।
दे दो भक्ति विमल दयामय,
नाथ रुप आकर्षण की,
राम सुधाकर हो मन नभ के,
इच्छा है अब न रसन की।
Prabhu Darshan | प्रभु दर्शन | Hindi bhajan | Divya Jain
यह भजन भगवान राम के प्रति एक भक्त की गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। भक्त भगवान राम के दर्शन के लिए बहुत प्यासा है। वह भगवान राम के दर्शन के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता।
भजन के पहले दो चरणों में, भक्त कहता है कि वह भगवान राम के दर्शन के लिए बहुत प्यासा है। वह भगवान राम के दर्शन के बिना अपने जीवन में खुशी नहीं पा सकता।
भजन के पहले दो चरणों में, भक्त कहता है कि वह भगवान राम के दर्शन के लिए बहुत प्यासा है। वह भगवान राम के दर्शन के बिना अपने जीवन में खुशी नहीं पा सकता।