मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की लिरिक्स Mujhe Pyas Lagi Lyrics


Naye Bhajano Ke Lyrics

मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की लिरिक्स Mujhe Pyas Lagi Lyrics

मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
प्रभु दर्शन की प्रभु दर्शन की,
मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की,
प्रभु दर्शन की प्रभु दर्शन की।

गंगा तट पर होकर प्यासा,
चाह भक्ति रस वर्षन की,
सूखे हैं सब योगी ज्ञानी मुनि,
आस भक्ति पद घर्षण की।

दे दो भक्ति विमल दयामय,
नाथ रुप आकर्षण की,
राम सुधाकर हो मन नभ के,
इच्छा है अब न रसन की।
 



Prabhu Darshan | प्रभु दर्शन | Hindi bhajan | Divya Jain

 
यह भजन भगवान राम के प्रति एक भक्त की गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। भक्त भगवान राम के दर्शन के लिए बहुत प्यासा है। वह भगवान राम के दर्शन के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता।
भजन के पहले दो चरणों में, भक्त कहता है कि वह भगवान राम के दर्शन के लिए बहुत प्यासा है। वह भगवान राम के दर्शन के बिना अपने जीवन में खुशी नहीं पा सकता।

तीसरे चरण में, भक्त कहता है कि वह भगवान राम के दर्शन के लिए गंगा तट पर आया है। वह भगवान राम से प्रार्थना करता है कि वे उसे अपने दर्शन दें।

चौथे चरण में, भक्त कहता है कि वह भगवान राम के दर्शन के लिए भक्ति रस का वर्षण चाहता है। वह भगवान राम से प्रार्थना करता है कि वे उसे भक्ति की शक्ति दें।

पांचवें चरण में, भक्त कहता है कि सभी योगी और ज्ञानी मुनि भगवान राम के दर्शन के लिए प्यासे हैं। वह भगवान राम से प्रार्थना करता है कि वे सभी को अपने दर्शन दें।

छठे चरण में, भक्त भगवान राम से प्रार्थना करता है कि वे उसे भक्ति दें। वह भगवान राम से प्रार्थना करता है कि वे उसे अपने दर्शन दें, ताकि वह उनकी कृपा से मोक्ष प्राप्त कर सके।

भजन का अर्थ

यह भजन भक्ति की एक गहरी अभिव्यक्ति है। भक्त भगवान राम के प्रति अपनी अनंत श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करता है। वह भगवान राम को अपना आराध्य मानता है और उनकी पूजा करता है। भक्त की आशा है कि भगवान राम उसे अपने दर्शन देंगे और उसे आशीर्वाद देंगे।

भजन के कुछ विशिष्ट अर्थ इस प्रकार हैं:
"मुझे प्यास लगी प्रभु दर्शन की" - भक्त भगवान राम के दर्शन के लिए बहुत प्यासा है।
"गंगा तट पर होकर प्यासा, चाह भक्ति रस वर्षन की" - भक्त भगवान राम के दर्शन के लिए गंगा तट पर आया है। वह भगवान राम से प्रार्थना करता है कि वे उसे भक्ति रस का वर्षण दें।
"सूखे हैं सब योगी ज्ञानी मुनि, आस भक्ति पद घर्षण की" - सभी योगी और ज्ञानी मुनि भगवान राम के दर्शन के लिए प्यासे हैं।
"दे दो भक्ति विमल दयामय, नाथ रुप आकर्षण की" - भक्त भगवान राम से प्रार्थना करता है कि वे उसे भक्ति दें।
"राम सुधाकर हो मन नभ के, इच्छा है अब न रसन की" - भक्त की आशा है कि भगवान राम उसे अपने दर्शन देंगे और उसे आशीर्वाद देंगे।

यह भजन भक्तों को भगवान राम की पूजा के लिए प्रेरित करता है। यह भक्तों को भगवान राम के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करने का एक तरीका प्रदान करता है।
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url