पतंजलि गिलोय घनवटी के फायदे/लाभ, गिलोय घनवटी क्या है Patanjali Giloy Ghanvati Ke Fayade
पतंजलि गिलोय घनवटी क्या होती है Patanjali Giloy Ghanvati Hindi
गिलोय घनवटी को गिलोय की बेल के तने और पत्तियों से प्राप्त रस बनाया जाता है। गिलोय के अलावा गिलोय घनवटी में अन्य कोई हर्ब या जड़ी बूटी नहीं मिलाई जाती है। पतंजलि गिलोय घनवटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो गिलोय के चूर्ण से बनाई जाती है। गिलोय एक बहुगुणी जड़ी-बूटी है जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में मदद कर सकती है। पतंजलि गिलोय घनवटी का उपयोग मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने, संक्रमणों से लड़ने, और कई तरह की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।पतंजलि गिलोय घनवटी के फायदे Giloy Ka Parichay Giloy Ke Fayade
गिलोय घनवटी के बारे में जानने से पहले यह जानना आवशयक है की गिलोय क्या होती है, इसके क्या गुण होते हैं, इसके बारे में जाना जाय। गिलोय एक ओषधीय बेल होती है जो असंख्य गुणों से भरी हुयी होती है। आयुर्वेद में गिलोय को अमृता कहा गया है। गिलोय को अंग्रेजी में टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया कहा जाता है जो की इसका वानस्पतिक नाम है। आयुर्वेद में इसके गुणों को पहचान कर इसके बारे में विस्तार से बताया गया है और आयुर्वेद में इसे अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी आदि नामो से जाना जाता है। यह बेल पहाड़ों, खेतों के मेड़ों पर और पेड़ों के आस पास पायी जाती है और जिस पेड़ के सहारे ये ऊपर चढ़ती है उसके गुणों का समावेश स्वंय में कर लेती है। इसलिए नीम पर चढ़ी गिलोय को "नीम गिलोय" कहा जाता है। नीम के सारे गुण अपने में समावेश कर लेती है इसीलिए नीम पर चढ़ी गिलोय को श्रेष्ठ माना जाता है। आचार्य चरक ने इसके गुणों के बारे में विस्तार से वर्णन किया है। आयुर्वेद में इसका वर्णन प्राप्त होता है। इसका रस कड़वा होता है। रक्त वर्धर्क इसका गुण है। यह ज्वर नाशक है।
पतंजलि गिलोय घनवटी के फायदे Patanjali Giloy Ghanvati Ke Fayade (laabh) Benefits of Patanjali Giloy Ghanvati
गिलोय के असंख्य गुण होते हैं। यह त्रिदोष शामक होती है यानी की वाट कफ और पित्त का शमन करती है। गिलोय अमाशय की अम्लता को दूर करती है और दुर्बलता, खांसी, प्रमेह मधुमेह और त्वचा रोगों में लाभदायक होती है। गिलोय के गुणों में मुख्य रूप से एंटी इन्फ्लैमेन्ट्री, एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी वायरल गुण होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करते हैं। इसके तने और पत्तियों में कैल्शियम, फास्फोरस और प्रोटीन पाए जाते हैं। इसके गुण निम्न प्रकार से हैं।पतंजलि गिलोय घनवटी रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए Patanjali Giloy Ghanvati Boost Immune Power
गिलोय के एंटीऑक्सीडेंट्स इसे अद्भुत बनाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का तेजी से विकास करती है। गिलोय के गुणों के अनुसार यह शरीर से फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकलती है। शरीर में समय के साथ बनने वाले विषाक्त प्रदार्थों को भी बाहर निकालने में गिलोय का महत्वपूर्ण योगदान होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर हो जाने पर ही बार बार एलर्जी होना, सर्दी जुकाम का लगना, बुखार और त्वचा के संक्रमण से सबंधित रोग होते हैं। गिलोय शरीर को इन संक्रमण से लड़ने की शक्ति देता है। सुबह खाली पेट गिलोय स्वरस इसके लिए बेहतर उपाय हो सकता है। यदि आप स्वंय इसका रस घर पर बनाना चाहते हैं तो या तो आप इसके पत्ते चिक्तिसक की सलाह के अनुसार मुँह में चबा कर खाएं या फिर आप आधे गिलास पानी में गिलोय के कुचले हुए तने और पत्तों को धीमी आंच पर उबाले। इस काढ़े तो तब तक उबलने दें जब तक की ये चाय के छोटे कप जितना ना रह जाय। इसके बाद इसे छान लें और गुनगुने काढ़े को चाय की तरह पिए, इससे सर्दी जुकाम और अन्य संक्रमण में मदद मिलेगी।पतंजलि गिलोय घनवटी रक्त को बनाये साफ़ Patanjali Giloy Ghanvati Giloy to purify Blood
गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट्स और एंटी बैक्ट्रियल गुण होते हैं जो की हमारे रक्त को साफ़ करते हैं और उसे स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबायोटिक, और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो रक्त को साफ करने और उसे स्वस्थ बनाने में मदद कर सकते हैं। गिलोय के एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से होने वाली कोशिका क्षति को रोकने में मदद करते हैं, जो रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और रक्त को विषाक्त बना सकते हैं। गिलोय के एंटीबायोटिक गुण रक्त में बैक्टीरिया के विकास को रोकने में मदद करते हैं, जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं। और गिलोय के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण रक्त वाहिकाओं की सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करता है।गिलोय का उपयोग रक्त को साफ करने और उसे स्वस्थ बनाने के लिए कई तरह से किया जा सकता है। गिलोय का काढ़ा बनाकर पीना, गिलोय की चाय बनाकर पीना, गिलोय का चूर्ण खाना, या गिलोय के तेल का उपयोग करना आदि।
पतंजलि गिलोय घनवटी गिलोय से मानसिक तनाव कम करें Patanjali Giloy Ghanvati to Reduce Mental Stress
तनाव से जीवन का हर क्षेत्र प्रभावित होता है, इसलिए स्ट्रेस से मुक्ति के लिए गिलोय लाभदायक हो सकती है। गिलोय के सेवन से आप तनाव भी कम कर सकते हैं, इसका कारण है इसमें पाए जाने वाले एडाप्टोजेनिक जो की तनाव कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह शरीर से ऐसे तत्वों को बाहर निकलता है जो की मानसिक अवसाद का कारन बनते हैं। आयुर्वेदिक टॉनिक में इसका उपयोग मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके चूर्ण को शहद में मिलाकर लेने से मस्तिष्क से सबंधित बिमारियों में सहारा मिल सकता है। गिलोय एक बहुगुणी जड़ी-बूटी है जिसे आयुर्वेद में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटी-कैंसर गुण होते हैं। गिलोय को मानसिक तनाव कम करने में भी मददगार माना जाता है।गिलोय के मानसिक तनाव कम करने वाले प्रभावों के पीछे कई संभावित तंत्र हो सकते हैं। गिलोय के एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स से होने वाली कोशिका क्षति को रोकने में मदद कर सकते हैं, जो मानसिक तनाव के कारण होने वाली मस्तिष्क की क्षति को कम कर सकते हैं। गिलोय के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मस्तिष्क की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो मानसिक तनाव के लक्षणों को कम कर सकते हैं। और गिलोय के एंटी-कैंसर गुण मस्तिष्क में कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
पतंजलि गिलोय घनवटी एक आयुर्वेदिक औषधि है जो गिलोय के चूर्ण से बनाई जाती है। इसमें गिलोय के अलावा अदरक, हल्दी, और काली मिर्च भी होते हैं। ये सभी घटक गिलोय के गुणों को बढ़ाने में मदद करते हैं। पतंजलि गिलोय घनवटी का उपयोग मानसिक तनाव को कम करने के लिए किया जा सकता है। इसके लिए, वयस्कों को दिन में दो बार दो-दो गोलियां लेनी चाहिए। बच्चों को दिन में एक बार एक-एक गोली लेनी चाहिए। पतंजलि गिलोय घनवटी को पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है।
गिलोय का उपयोग त्वचा के लिए Patanjali Giloy Ghanvati Benefits Hindi
गिलोय का उपयोग त्वचा सबंधी रोगों की रोकथाम के लिए भी किया जाता है। त्वचा के संक्रमण जनित रोगों के लिए गिलोय उपयोगी होता है। दाद खाज फोड़े फुंसी के अलावा गिलोय के सेवन से त्वचा की झुर्रियां और कालेपन के निशान दूर होते हैं, ऐसा इसमें पाए जाने वाले एंटी एजिंग प्रॉपर्टीज के कारन होता है। त्वचा पर इसके रस को लेप की तरह से लगाना भी लाभदायक होता है। त्वचा को स्वस्थ बनाता है: गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा को नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं। गिलोय के सेवन से त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान होने से बचाया जा सकता है, जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है।
- त्वचा को चमकदार बनाता है: गिलोय में एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो झुर्रियों और महीन रेखाओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय का सेवन करने से त्वचा की रंगत में सुधार हो सकता है और त्वचा में चमक आ सकती है।
- त्वचा को संक्रमण से बचाता है: गिलोय में एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो त्वचा के संक्रमण से बचाने में मदद कर सकते हैं। गिलोय का उपयोग दाद, खाज, खुजली, और फुंसी-फुंसी जैसी त्वचा की समस्याओं के इलाज के लिए किया जा सकता है।
- त्वचा को ठंडक देता है: गिलोय में ठंडक देने वाले गुण होते हैं, जो त्वचा को गर्मियों में ठंडक प्रदान करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय का उपयोग सनबर्न के इलाज के लिए भी किया जा सकता है।
गिलोय का उपयोग त्वचा के लिए निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
- गिलोय का काढ़ा बनाकर पीना: गिलोय का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों की मात्रा बढ़ जाती है, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाने में मदद कर सकते हैं।
- गिलोय का रस लगाना: गिलोय का रस त्वचा पर लगाने से त्वचा में चमक आ सकती है और झुर्रियां और महीन रेखाओं को कम किया जा सकता है।
- गिलोय का तेल लगाना: गिलोय का तेल त्वचा पर लगाने से त्वचा को संक्रमण से बचाया जा सकता है और त्वचा को ठंडक प्रदान की जा सकती है।
गिलोय का उपयोग त्वचा के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी उपाय होता है।
पतंजलि गिलोय घनवटी पतंजलि गिलोय घनवटी अस्थमा के लिए गिलोय Patanjali Giloy Ghanvati for Asthma
अस्थमा रोग और अन्य स्वसन सबंधी रोगों में भी गिलोय का उपयोग लाभदायक होता है। इसके रस के सेवन या फिर पत्तियों को चबाने से अस्थमा और अन्य स्वास से सबंधित विकारों में मदद मिलती है। पुरानी खांसी के उपचार के लिए गिलोय का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। दो चमच गिलोय का रस रोज सुबह लेने से खांसी का उपचार होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के साथ साथ इन रोगों से मुक्ति मिलती है।श्वसन मार्ग को साफ करता है: गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो श्वसन मार्ग की सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय का सेवन करने से श्वास लेने में आसानी हो सकती है और अस्थमा के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है: गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्ति अस्थमा के लिए कम संवेदनशील होते हैं।
कफ को कम करता है: गिलोय में कफ-रोधी गुण होते हैं, जो कफ को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय का सेवन करने से खांसी से राहत मिल सकती है।
पतंजलि गिलोय घनवटी पेशाब की रुकावट के लिए गिलोय का उपयोग
यदि मूत्र से सबंधित कोई विकार है या फिर पेशाब मूत्र से सबंधित मार्ग में पथरी हो तो गिलोय इसके लिए लाभदायक होती है। इसके लिए गिलोय का स्वरस उपयोगी होता है। गिलोय रस के साथ यदि अश्वगंधा की जड़ों को भी उपयोग में लिया जाय तो इसके लाभ बढ़ जाते हैं।पतंजलि गिलोय घनवटी गिलोय का उपयोग पाचन तंत्र के सुधार के लिए
गिलोय का स्वरस पाचन तंत्र के सुधार के लिए भी उपयोगी होता है। त्रिफला के साथ यदि गिलोय का भी प्रयोग किया जाता है पाचन तंत्र सबंधी विकारों से शीघ्र लाभ मिलता है। गिलोय का स्वरस पाचन तंत्र के सुधार के लिए भी उपयोगी होता है। त्रिफला के साथ यदि गिलोय का भी प्रयोग किया जाता है, तो पाचन तंत्र संबंधी विकारों से शीघ्र लाभ मिलता है।गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। गिलोय में विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं, जो पाचन तंत्र के कार्यों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। त्रिफला में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। त्रिफला में विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं, जो पाचन तंत्र के कार्यों को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
पतंजलि गिलोय घनवटी हाथ पैरों में जलन के लिए
यदि आपके हाथ पैरों में जलन रहती है और वे गर्म बने रहते है तो आप गिलोय के तने और पत्तों का पेस्ट बना कर उसे हाथों और तलवों में लगाएं। इसके साथ साथ गिलोय स्वरस का भी सेवन करें जिससे आपके हाथ पैरों की जलन ठीक हो जायेगी। यदि आपके हाथ पैरों में जलन रहती है और वे गर्म बने रहते हैं तो आप गिलोय के तने और पत्तों का पेस्ट बना कर उसे हाथों और तलवों में लगाएं। इसके साथ साथ गिलोय स्वरस का भी सेवन करें जिससे आपके हाथ पैरों की जलन ठीक हो जाएगी। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो हाथ पैरों की जलन और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय स्वरस में विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हाथ पैरों की जलन को ठीक करने में मदद कर सकते हैं।गिलोय के तने और पत्तों का पेस्ट बनाने के लिए, गिलोय के तने और पत्तों को धोकर, काटकर और पीस लें। इस पेस्ट को हाथों और तलवों में दिन में दो बार लगाएं।
पतंजलि गिलोय घनवटी कान में दर्द के लिए
कान में दर्द होने पर गिलोय का रस कान में डालने पर राहत मिलती है।कान में दर्द होने पर गिलोय का रस कान में डालने पर राहत मिलती है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो कान में दर्द के कारण होने वाले सूजन और संक्रमण को कम करने में मदद कर सकते हैं।गिलोय की तासीर
गिलोय की तासीर गर्म होती है। इसका सेवन सर्दियों में करना अत्यंत ही लाभदायक होती है। गिलोय की तासीर गर्म होती है। इसका सेवन सर्दियों में करना अत्यंत ही लाभदायक होता है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो सर्दियों के दौरान होने वाली बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। गिलोय का सेवन करने के लिए, गिलोय का काढ़ा, चूर्ण या रस का सेवन किया जा सकता है। गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए, गिलोय के तने को धोकर, काटकर और पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है। काढ़ा को दिन में दो बार पीना चाहिए। गिलोय का चूर्ण या रस को पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। यदि आप सर्दियों में बीमारियों से बचना चाहते हैं, तो गिलोय का सेवन कर सकते हैं। गिलोय एक प्राकृतिक औषधि है, जो सर्दियों के दौरान होने वाली बीमारियों से बचाने में मदद कर सकती है।खुजली के लिए गिलोय
दाद खाज और खुजली वाले स्थान पर गिलोय को हल्दी में पीस कर लगाने से आराम मिलता है। दाद खाज और खुजली वाले स्थान पर गिलोय को हल्दी में पीस कर लगाने से आराम मिल सकता है। गिलोय और हल्दी दोनों में ही एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो दाद, खाज और खुजली के इलाज में मदद कर सकते हैं। गिलोय और हल्दी का लेप बनाने के लिए, गिलोय और हल्दी को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इस लेप को दाद, खाज और खुजली वाले स्थान पर दिन में दो बार लगाएं।गठिया रोग में गिलोय का योगदान
गिलोय स्वरस का सेवन करने से गठिया के रोग में कुछ लाभ मिलता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी सेप्टिक गुणों के कारण इसका उपयोग गठिया रोगों में भी लाभ पहुंचा सकता है। गिलोय स्वरस का सेवन करने से गठिया के रोग में कुछ लाभ मिलता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सेप्टिक गुणों के कारण इसका उपयोग गठिया रोगों में भी लाभ पहुंचा सकता है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय में एंटी-सेप्टिक गुण भी होते हैं, जो गठिया के संक्रमण को रोकने में मदद कर सकते हैं। गिलोय स्वरस का सेवन करने के लिए, गिलोय के रस को दिन में दो बार एक चम्मच की मात्रा में पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है।गिलोय का उपयोग बुखार के लिए
वायरल बुखार के लिए गिलोय का सेवन लाभदायक होता है। चिकन गुनिया, डेंगू, वायरल बुखार के लिए गिलोय का काढ़ा लाभदायक होता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटी सेप्टिक गुण बुखार दूर करने में सहायता करते हैं। वायरल बुखार के लिए गिलोय का सेवन लाभदायक होता है। चिकनगुनिया, डेंगू, वायरल बुखार के लिए गिलोय का काढ़ा लाभदायक होता है। गिलोय में पाए जाने वाले एंटीसेप्टिक गुण बुखार दूर करने में सहायता करते हैं।गिलोय में एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो वायरल बुखार के इलाज में मदद कर सकते हैं। गिलोय का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सकती है, जिससे वायरल संक्रमण से लड़ने में मदद मिल सकती है। गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए, गिलोय के तने को धोकर, काटकर और पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है। काढ़ा को दिन में दो बार पीने से वायरल बुखार के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
मोटापा दूर करने के लिए गिलोय
मोटापा दूर करने के लिए गिलोय और त्रिफला के चूर्ण को शहद के साथ लेने से मोटापा दूर होता है। मोटापा दूर करने के लिए गिलोय और त्रिफला के चूर्ण को शहद के साथ लेने से मोटापा दूर हो सकता है। गिलोय में एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।उलटी के लिए गिलोय
गिलोय का काढ़ा पिने से जी घबराना और उलटी में लाभ मिलता है। गिलोय का काढ़ा पिने से जी घबराना और उलटी में लाभ मिलता है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-स्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो जी घबराने और उलटी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। गिलोय का काढ़ा बनाने के लिए, गिलोय के तने को धोकर, काटकर और पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है। काढ़ा को दिन में दो बार पीने से जी घबराना और उलटी के लक्षणों से राहत मिल सकती है।कैंसर में गिलोय का प्रयोग
गिलोय में एंटी ऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं जो शरीर में स्थिर फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में हमारी मदद करते हैं। गिलोय के साथ तुलसी, नीम और गेंहू के ज्वारे का स्वरस लिया जाय तो यह कैंसर के फैलने को रोकने में मददगार हो सकता है।गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो शरीर में स्थिर फ्री रेडिकल्स को शरीर से बाहर निकालने में मदद करते हैं। स्थिर फ्री रेडिकल्स कैंसर के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, गिलोय का सेवन कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। गिलोय के साथ तुलसी, नीम और गेंहू के ज्वारे का स्वरस लेने से कैंसर के फैलने को रोकने में मदद मिल सकती है। तुलसी, नीम और गेंहू के ज्वारे में भी एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इनका संयोजन कैंसर कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है।
यहाँ कुछ अध्ययन दिए गए हैं जो गिलोय के कैंसर विरोधी गुणों का समर्थन करते हैं:
- एक अध्ययन में पाया गया कि गिलोय के अर्क ने स्तन कैंसर कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकने में मदद की।
- एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि गिलोय के अर्क ने ल्यूकेमिया कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकने में मदद की।
- एक तीसरे अध्ययन में पाया गया कि गिलोय के अर्क ने कोलोन कैंसर कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकने में मदद की।
हृदय रोग और ब्लड प्रेशर के लिए गिलोय
हृदय रोग और ब्लड प्रेशर को नियन्त्रिक करने के लिए गिलोय लाभदायक होता है। इसके नियमित सेवन से हृदय सबंधी रोगों में लाभ मिलता है। गिलोय हृदय रोग और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार हो सकता है। गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-कोलेस्टेरोलेमिक गुण होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं। गिलोय के नियमित सेवन से हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करने, रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने, खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इससे हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।पतंजलि गिलोय घनवटी के अन्य फायदे/लाभ : Patanjali Giloy Ghanvati Benefits Hindi
- मस्तिष्क से सबंधित बिमारियों और स्मरण शक्ति के विकास के लिए गिलोय लाभदायक हो सकती है।
- पेट से सबंधित बिमारियों के उपचार के लिए गिलोय सहायक हो सकती है।
- गिलोय के सेवन से गुप्त रोगों के उपचार में सहायता मिलती है, इसके लिए किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेवें।
- रक्त से सबंधित व्याधियों के लिए गिलोय का सेवन लाभदायक हैं।
- मूत्र सबंधी विकारों में गिलोय लाभदायक होती है।
- गिलोय के सेवन से शरीर में रक्त बढ़ता है।
- शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को बढ़ाता है।
- खाँसी, मलेरिया, शीत ज्वर (विषाणुक संक्रमण) में इसका उपयोग लाभदायक होता है।
- गिलोय के सेवन से रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रण में रखा जा सकता है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।
- कुष्ठ रोगों में इसका सेवन लाभकारी होता है।
- लिवर की देखभाल के लिए लाभदायक होता है।
- शरीर के विषाक्त तत्वों से रक्षा करता है।
- पीलिया में इसका उपयोग किया जाता है।
- गठिया और अन्य जोड़ों के दर्द में इसका सेवन लाभदायक होता है।
- हाई कोलेस्ट्रॉल की रोकथाम में उपयोगी। शुगर के मरीजों को इससे परहेज करना चाहिए या फिर डॉक्टर की राय लेनी चाहिए।
- राजयक्ष्मा रोग (Tuberculosis) में लाभ मिलता है।
गिलोय घनवटी / गिलोय स्वरस से सबंधित सावधानियां
वैसे तो गिलोय एक आयुर्वेदिक दवा है जिसका कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं होता है फिर भी इसके सेवन से सबंधित दिशा निर्देशों को आप डॉक्टर से लेवें। अधिक मात्रा में गिलोय का सेवन करने से दस्त लग सकते हैं और गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन सामान्यतया नहीं करना चाहिए। मधुमेह से सबंधित मरीज इसके सेवन में विशेष सावधानी रखें चिकित्सक की सलाह उपरांत ही इसका प्रयोग करें।
को गुड़ूची के नाम से भी जाना जाता है। वनों में पायी जाने वाली इस बेल को पथरी और पथरी से जुड़े अन्य विकारों के इलाज के लिए जबरदस्त माना गया है। पेशाब करते समय यदि जलन महसूस हो तो गिलोय के तने का चूर्ण 10 ग्राम आंवला के फ लों का चूर्ण 10 ग्राम सोंठ चूर्ण 5 ग्राम गोखरु के बीजों का चूर्ण 3 ग्राम और अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण 5 ग्राम लिया जाए और इसे 100 उस पानी में उबाला जाए, प्राप्त काढ़े को रोगी को दिन में एक बार प्रतिदिन एक माह तक दिया जाना चाहिए।
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गिलोय का प्रयोग
गिलोय को आप ताजा रूप में इसके पत्ते खा सकते हैं। तने का सेवन कर सकते हैं। इसके पत्ते और तने का रस निकाल कर भी लिया जाता है। इसके रस से ही गिलोय स्वरस और वटी बनायीं जाती है।गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है जो कई प्रकार की बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाती है। यह एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर है। गिलोय का प्रयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:
ताज़ा गिलोय का सेवन: ताज़ा गिलोय के पत्तों को चबाया जा सकता है या इसका रस निकालकर पिया जा सकता है। गिलोय के पत्तों का रस निकालने के लिए, पत्तों को धोकर, पीसकर और छानकर रस निकाला जा सकता है। गिलोय के पत्तों का रस स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करने, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने और बुखार को कम करने में मदद करता है।
गिलोय का काढ़ा: गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर भी पीया जा सकता है। गिलोय के तने का काढ़ा बनाने के लिए, गिलोय के तने को धोकर, काटकर और पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है। गिलोय का काढ़ा भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने, बुखार को कम करने और सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में मदद करता है।
गिलोय का चूर्ण: गिलोय का चूर्ण भी बाजार में आसानी से मिल जाता है। गिलोय का चूर्ण को पानी, दूध या शहद के साथ लिया जा सकता है। गिलोय का चूर्ण भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने, बुखार को कम करने और सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में मदद करता है।
गिलोय की वटी: गिलोय की वटी भी बाजार में आसानी से मिल जाती है। गिलोय की वटी को पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। गिलोय की वटी भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने, बुखार को कम करने और सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में मदद करती है।
गिलोय का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
ताज़ा गिलोय का सेवन: ताज़ा गिलोय के पत्तों को चबाया जा सकता है या इसका रस निकालकर पिया जा सकता है। गिलोय के पत्तों का रस निकालने के लिए, पत्तों को धोकर, पीसकर और छानकर रस निकाला जा सकता है। गिलोय के पत्तों का रस स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यह पाचन तंत्र को मजबूत करने, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने और बुखार को कम करने में मदद करता है।
गिलोय का काढ़ा: गिलोय के तने का काढ़ा बनाकर भी पीया जा सकता है। गिलोय के तने का काढ़ा बनाने के लिए, गिलोय के तने को धोकर, काटकर और पानी में उबालकर काढ़ा बनाया जा सकता है। गिलोय का काढ़ा भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने, बुखार को कम करने और सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में मदद करता है।
गिलोय का चूर्ण: गिलोय का चूर्ण भी बाजार में आसानी से मिल जाता है। गिलोय का चूर्ण को पानी, दूध या शहद के साथ लिया जा सकता है। गिलोय का चूर्ण भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने, बुखार को कम करने और सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में मदद करता है।
गिलोय की वटी: गिलोय की वटी भी बाजार में आसानी से मिल जाती है। गिलोय की वटी को पानी या दूध के साथ लिया जा सकता है। गिलोय की वटी भी स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने, बुखार को कम करने और सर्दी-खांसी से राहत दिलाने में मदद करती है।
गिलोय का प्रयोग करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- गिलोय का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए।
- गिलोय का सेवन गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं करना चाहिए।
- गिलोय का सेवन किसी भी अन्य दवा के साथ करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life
and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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