ज्ञान समागम प्रेम सुख दया भक्ति विश्वास हिंदी मीनिंग Gyan Samagam Prem Sukh Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
ज्ञान समागम प्रेम सुख, दया भक्ति विश्वास।गुरु सेवा ते पाइए, सद् गुरु चरण निवास॥
Gyan Samagam Prem Sukh, Daya Bhakti Vishwas,
Guru Seva Te Paiye, Sad Guru Charan Nivas.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
गुरु की सेवा के सम्बन्ध में कबीर साहेब का कथन है की ज्ञान, सन्त समागम, प्रेम, सुख, दया, भक्ति और विश्वास- ये सब गुरु की सेवा से ही प्राप्त होते हैं, अतः साधक को गुरु की सेवा में अपना ध्यान लगाना चाहिए। दोहे के भावार्थ को और स्पष्ट करते हुए, हम यह भी कह सकते हैं कि गुरु ही हमें ज्ञान और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं। गुरु के बिना हम इन गुणों को प्राप्त नहीं कर सकते। गुरु के मार्गदर्शन में हम अपने मन को वश में कर सकते हैं और सांसारिक मोह-माया से मुक्त हो सकते हैं। गुरु ही हमें ईश्वर के दर्शन का मार्ग दिखाते हैं। गुरु की सेवा ही मुक्ति का द्वार है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |