सांप और मेंढक की कहानी Sanp Aur Medhak Ki Kahani

स्वागत है मेरे ब्लॉग पर। आज हम एक प्रेरक कहानी के माध्यम से सीखेंगे कि कैसे हमें अपने शत्रु की बातों पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए और उनकी बातों में फंसने से बचना चाहिए। इस कहानी का नाम है "सांप की सवारी करने वाले मेंढक की कहानी,"। जिसमें एक चालाक सांप और भोले-भाले मेंढकों की कथा है। ये कहानी हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक देती है। यह कहानी बताती है कि कभी-कभी हमारा भोलापन हमें विपत्ति में डाल सकता है। आइए इस रोचक कहानी को पढ़ते हैं और सीखते हैं कि आंख मूंद कर किसी की बातों को नहीं मानना चहिए।

सांप और मेंढक की कहानी Sanp Aur Medhak Ki Kahani

सांप की सवारी करने वाले मेंढक की कहानी

कई साल पहले एक विशाल पर्वत के पास एक छोटा राज्य बसा हुआ था। उस राज्य में एक तालाब था। जहां बहुत से मेंढक रहते थे। उसी तालाब के पास एक बड़ा और बूढ़ा सांप जिसका नाम मंदविष था। अपनी आयु और कमजोर हो चुकी शारीरिक शक्ति के कारण शिकार पकड़ने में असमर्थ हो गया था। एक दिन उसने चालाकी से एक योजना बनाई और तालाब के पास जाकर पत्थर पर उदास होकर बैठ गया।

तालाब के एक मेंढक ने उसे देखा और पूछा, अरे चाचा क्या हुआ? आज शिकार पर नहीं गए। सांप ने दुखी स्वर में कहा, “अरे बेटा अब मुझसे शिकार नहीं होता। एक बार मैं एक मेंढक का पीछा कर रहा था, लेकिन वह एक ब्राह्मण के घर में जा छुपा। गलती से मैंने एक ब्राह्मण की बेटी को काट लिया और वह मर गई। इस पर गुस्साए ब्राह्मण ने मुझे श्राप दिया कि अब मैं अपनी भूख शांत करने के लिए मेंढकों की सवारी करूंगा।”

सांप और मेंढक की कहानी Sanp Aur Medhak Ki Kahani

इस बात को सुनकर मेंढक तुरंत अपने राजा के पास गया और सारी बात बताई। राजा जलपाक ने कुछ सोचने के बाद सांप की बात पर यकीन कर लिया और सांप की सवारी के लिए तालाब से बाहर आ गया। राजा के बाद अन्य मेंढक भी सांप पर कूदने लगे। सांप ने बिना हिचक के सबको अपने फन पर बैठा लिया और उनको सवारी कराने लगा।

कुछ दिन तक सांप ने ऐसा ही किया, जिससे मेंढकों को लगने लगा कि सांप वास्तव में सही कह रहा है। धीरे-धीरे सांप ने अपनी चाल धीमी कर दी। मेंढक राजा ने सांप से धीमी चाल का कारण पूछा, तो सांप ने कहा, “राजन, मेरी उम्र हो गई है और मैं बहुत भूखा भी हूं। भूख के कारण मेरी ताकत कमजोर हो गई है।” मेंढक राजा ने सांप को कहा कि अगर भूख इतनी ज्यादा है तो वह छोटे मेंढकों को खा सकता है। यह सुनते ही सांप मन ही मन खुश हो गया और उसने मेंढकों को खाना शुरू कर दिया।

कुछ दिनों बाद सांप तंदुरुस्त हो गया और रोज के भोजन के इंतजाम से संतुष्ट था। उसे अब बिना मेहनत के भोजन मिल रहा था, और मेंढकों को उसकी चालाकी का पता भी नहीं चल पाया। अंत में एक दिन सांप ने राजा जलपाक को भी निगल लिया और पूरे तालाब के सभी मेंढकों का विनाश कर दिया। इस प्रकार मेंढकों के राजा ने सांप पर अंधविश्वास कर उसकी बात मान ली। जिससे उसके साथ ही उसके सभी साथियों का भी अंत हो गया।

सांप और मेंढक की कहानी Sanp Aur Medhak Ki Kahani

कहानी से सीख Kahani Ki Shiksha

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि शत्रु की बातों में जल्दी से विश्वास नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग अपनी मीठी बातों में फंसाकर हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं। हमेशा सतर्क रहें और किसी के छल-कपट को समझने की कोशिश करें।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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