ब्रह्माजी द्वारा श्रीकृष्ण की परीक्षा कहानी Brahma Dwara Krishna Ki pariksha

आपका स्वागत है मेरी इस पोस्ट में, इस पोस्ट में हम जानेंगे एक अद्भुत और प्रेरणादायक कहानी, जिसमें ब्रह्माजी ने भगवान श्री कृष्ण की परीक्षा ली। यह कहानी न केवल हमें श्री कृष्ण की अद्वितीय लीला के बारे में बताती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि दिव्यता को बाहरी रूप से नहीं समझा जाता है। आइए, इस प्रेरणादायक कथा को विस्तार से जानते हैं।

Brahma Dwara Krishna Ki pariksha

ब्रह्माजी द्वारा श्रीकृष्ण की परीक्षा कहानी


यह घटना उस समय की है जब भगवान श्रीकृष्ण अपने बाल्यकाल में थे। तब श्रीकृष्ण गोकुल में अपने मित्रों और गायों के साथ आनंदपूर्वक खेला करते थे। उनके सिर पर मोर मुकुट, चेहरे पर अद्भुत तेज, और उनके बाल स्वरूप की सरलता किसी को भी आकर्षित कर लेती थी।

ब्रह्माजी को जब यह पता चला कि भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया है, तो उन्होंने सोचा कि यह कैसे संभव है कि स्वयं नारायण एक साधारण बालक के रूप में धरती पर विचरण कर रहे हैं। इस सोच के साथ वे श्रीकृष्ण के दर्शन करने के लिए ब्रह्मलोक से पृथ्वी पर आए।

जब ब्रह्माजी ने देखा कि श्रीकृष्ण साधारण ग्वालों के साथ गायों को चराने और मिट्टी में खेल रहे हैं, तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि यह बालक ही विष्णु का अवतार है। हालांकि, बालक के चेहरे पर दिव्य तेज देखकर वे थोड़े अचंभित हुए। फिर भी, उनके मन में शंका बनी रही, और उन्होंने श्रीकृष्ण की परीक्षा लेने का निश्चय किया।

ब्रह्माजी ने सबसे पहले वहां मौजूद सभी गायों को अदृश्य कर दिया। श्रीकृष्ण जब अपनी गायों को ढूंढने गए, तो ब्रह्माजी ने उनके सभी ग्वाल मित्रों को भी ब्रह्मलोक ले जाकर छिपा दिया।

कुछ देर बाद जब ब्रह्माजी वापस पृथ्वी पर लौटे, तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि गायें और ग्वाले श्रीकृष्ण के साथ वैसे ही खेल रहे थे जैसे पहले। यह देखकर ब्रह्माजी असमंजस में पड़ गए। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि का प्रयोग करके ब्रह्मलोक की स्थिति देखी, और पाया कि वहां भी सभी ग्वाले और गायें मौजूद हैं।

इस अद्भुत घटना से ब्रह्माजी को श्रीकृष्ण की लीला का बोध हुआ। उन्होंने हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी और उनसे प्रार्थना की कि वे अपना वास्तविक स्वरूप दिखाएं।

श्रीकृष्ण ने ब्रह्माजी को अपना विराट रूप दिखाया। इस विराट रूप के दर्शन के लिए अनेक ब्रह्मा भी वहां उपस्थित हो गए। कुछ ब्रह्मा तीन सिर वाले थे, कुछ चार सिर वाले, और कुछ सैकड़ों सिर वाले।

अन्य ब्रह्माओं को देखकर हमारे ब्रह्माजी ने श्रीकृष्ण से पूछा, "हे प्रभु, यह कैसी लीला है?"

श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, "हे ब्रह्मा देव, इस ब्रह्मांड में केवल आप ही ब्रह्मा नहीं हैं। अनंत ब्रह्मांड हैं, और प्रत्येक ब्रह्मांड में अलग अलग ब्रह्मा अपनी अपनी सृष्टि का संचालन कर रहे हैं। हर किसी का अपना कार्य है।"

यह सुनकर ब्रह्माजी ने विनम्रता से श्रीकृष्ण को प्रणाम किया और उनकी महिमा का गुणगान किया। इस प्रकार ब्रह्माजी की शंका का समाधान हुआ और श्रीकृष्ण ने अपने विराट दर्शन करवा कर ब्रह्मा जी को निश्चिंत किया।

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
श्रीकृष्ण और ब्रह्मा की परीक्षा की कहानी, ब्रह्माजी द्वारा श्रीकृष्ण की परीक्षा, श्रीकृष्ण का बचपन और उनकी लीलाएं, भगवान श्रीकृष्ण का विराट रूप, ब्रह्माजी और श्रीकृष्ण की प्रेरणादायक कथा


Bramha meets Krishna (Hindi) | Little Krishna HD
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

मेरे इस ब्लॉग पर आपको प्रेरणादायक कहानिया जैसे की पंचतंत्र की कहानिया, प्रेरणादायक कहानियां, महात्मा बुद्ध की कहानिया, अकबर बीरबल के किस्से, आप रोचक तरीके से प्राप्त करेंगे। इन कहानियों से आपको जीवन में कई अमूल्य शिक्षाएं मिलेंगी. इसके अतिरिक्त इस साईट पर आप भजन, शब्द वाणी, कबीर के दोहे, हेल्थ आदि विषयों पर जान्कारिओं को सहजता से प्राप्त कर पायेंगे.....अधिक पढ़ें

+

एक टिप्पणी भेजें