थोड़ी सी जिन्दगानी खातिर नर लिरिक्स Thodi Si Jindgani Khatir Nar Lyrics


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थोड़ी सी जिन्दगानी खातिर नर लिरिक्स Thodi Si Jindgani Khatir Nar Lyrics

थोड़ी सी जिन्दगानी खातिर,
नर के के तू तोफान करे,
एक मिनट का नहीं भरोसा,
बरसों का सामान करे।।

काया रूपी सराय बीच में,
भक्ति करने आया तू,
देख देख धन माल खजाना,
मन मूरख इतराया तू,
अरे जोड़ जोड़ धन भेळा करिया,
करोड़पति कहलाया तू,
कुडम्बा खातिर बणा कमेड़ा,
बहुत घणा दुःख पाया तू,
अरे जोड़ जोड़ धन भेळा करिया,
ना खर्चे ना दान करे,
एक मिनट का नहीं भरोसा,
बरसों का सामान करे।।
अरे बचपन सारा बिता दिया जी,
मिल बच्चो की टोली में,
फिर थारे भेरण चढ़े जवानी,
जद देखे जद होली रे,
अरे बुढ़ा होगा दाँत टूट गया,
सार रहे ना बोली में,
सारा घरका ने खारो लागे,
खाट घाल दे पोळी में,
अरे भाई बन्धु थारो कुटम्ब कबीलो,
सब मतलब की मनवार करे,
एक मिनट का नहीं भरोसा,
बरसों का सामान करे।।

जिस घोड़ी पर चढ़ा करे था,
घोड़ी जायेगी नाट तेरी,
कर त्रिया संग हेत भावळा,
जोड़ी जायेगी फाट तेरी,
भाई बन्धु भेळा होकर,
तोड़ी जायेगी खाट तेरी,
श्मशाना में गेर चिता पर,
फोड़ी जायेगी टाट तेरी,
निकल जाएगी आट तेरी,
ना ईशवर का गुणगान करे,
एक मिनट का नहीं भरोसा,
बरसों का सामान करे।।

बड़े बड़े भी चले गए,
जो निर्भय हो डोल्या करते,
तेरा क्या अरमान भावळा,
धरती न तोल्या करते,
अरे दादा शंकर दास मेरे,
गूढ़ अर्थ खोल्या करते,
नन्दलाल कहे पिता केशवराम जी,
राम नाम बोल्या करते,
अरे शत की वाणी बोल्या करते,
फिर ईशवर नय्या पार करे,
एक मिनट का नहीं भरोसा,
बरसों का सामान करे।।
थोड़ी सी जिन्दगानी खातिर,
नर के के तू तोफान करे,
एक मिनट का नहीं भरोसा,
बरसों का सामान करे।।


चेतावनी भजन : इस भजन में, संत शंकर दास जी मनुष्य को सांसारिक मोह-माया से दूर रहने और ईश्वर भक्ति में मन लगाने का उपदेश देते हैं।
संत शंकर दास जी कहते हैं कि मनुष्य को थोड़ी सी ज़िंदगी के लिए इतना परेशान क्यों होना चाहिए। जीवन बहुत छोटा है और किसी भी क्षण समाप्त हो सकता है। इसलिए, मनुष्य को अपना समय ईश्वर भक्ति में लगाना चाहिए।
मनुष्य धन-दौलत और संपत्ति के पीछे भागता है। वह अपने जीवन को धन-दौलत इकट्ठा करने में बर्बाद कर देता है। लेकिन, धन-दौलत मनुष्य के साथ नहीं चलती है। मौत के बाद, वह सब कुछ छोड़कर चला जाता है।
मनुष्य अपने जीवन में कई तरह के सुख और दुख का अनुभव करता है। वह बचपन, जवानी, बुढ़ापा सभी अवस्थाओं से गुजरता है। लेकिन, इन सभी अवस्थाओं में मनुष्य को ईश्वर भक्ति में मन लगाना चाहिए।
मित्र, परिवार और रिश्तेदार भी उसे छोड़कर चले जाते हैं। जब मनुष्य मरता है, तो उसके पास कोई नहीं होता है। इसलिए, मनुष्य को केवल ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए।
बड़े-बड़े संत और महात्मा भी इस दुनिया से चले गए हैं। उन्होंने अपने जीवन में ईश्वर भक्ति की और लोगों को भी यही मार्गदर्शन दिया। इसलिए, मनुष्य को भी ईश्वर भक्ति में मन लगाना चाहिए।

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