शिशु को डकार कैसे दिलवाएं Baby Burping Tips Hindi
शिशु का डकार लेना एक सहज क्रिया होती है। शिशु जब स्तनपान करता है तो हवा के छोटे छोटे बुलबुले (पॉकेट्स) दूध के साथ उसके पेट में चले जाते हैं। शिशु के पेट में हवा रहने से उसे असहजता होती है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है और रोने लगता है। इसके अलावा यदि शिशु डकार नहीं ले पाता है तो उसके पेट में आगामी स्तनपान के लिए जगह नहीं बचती है और वह दूध की उलटी भी कर सकता है। इस स्थिति से बचाव के लिए आप शिशु को डकार दिलाने की स्वंय भी कोशिश कर सकते हैं। शिशु को अच्छे से अपने हाथों में थामे और छाती के लगा लें। अब उसकी पीठ पर हलके हाथों से सहलाते हुए बहुत ही धीरे धीरे उसकी पीठ थपथपाएं। ऐसा करने से एक तो जब शिशु सीधा रहता है और उसकी पीठ थपथपाने से अतिरिक्त हवा पेट से डकार के रूप में बाहर निकल जाती है।
स्तनपान के दौरान शिशु के पेट में हवा जाने की समस्या कम होती है और बोतल से दूध के सेवन में यह समस्या जयादा होती है। आजकल वैसे भी सभी सचेत हैं और स्तनपान के महत्त्व को समझ रहे हैं। यदि आपका शिशु आपके प्रयत्नों के बाद डकार नहीं ले रहा है तो इसमें कोई चिंता की बात नहीं होती है। क्योंकि यदि आप स्तनपान करवा रही हैं तो शिशु बोतल की तुलना में कम हवा को पेट में खींचता है।
कोशिश तो यह की जानी चाहिए की प्रत्येक स्तनपान के बाद शिशु को दस से पंद्रह मिनट तक छाती के चिपकाकर सीधा पकड़ कर रखा जाय। इससे नेचुरल तरीके से स्वतः ही डकार बाहर निकल जायेगी। डकार निकल जाने से शिशु को भी फायदा होता है। शिशु का पेट छोटा सा होता है। डकार के अभाव में पेट में जगह भी नहीं बचती और वह उचित मात्रा में दूध का सेवन नहीं कर पाता है। इसके अलावा डकार नहीं आने से शिशु को उलटी आने की भी संभावना बानी रहती है।
शिशुओं को दूध पीते समय हवा निगलने की अधिक संभावना होती है। इसलिए, उन्हें हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना महत्वपूर्ण है। डकार दिलाने से बच्चे को गैस, पेट दर्द और बेचैनी से राहत मिल सकती है। यदि शिशु कुछ मिनटों के बाद भी डकार नहीं लेता है, तो आप डकार दिलाने की तकनीक को बदल सकते हैं। आप बच्चे को सीधा बैठाकर या पेट के बल लिटाकर डकार दिलाने की कोशिश कर सकते हैं।
यदि आपके बच्चे को गैस की समस्या है, तो आप उसे प्रत्येक feeding के बाद डकार दिलाने का प्रयास कर सकते हैं। जब शिशु दूध पीते समय हवा के साथ दूध भी निगल लेता है, तो वह दूध डकार के रूप में बाहर निकल सकता है। इसे गीला डकार कहा जाता है। गीले डकार आमतौर पर शिशुओं में आम होते हैं और चिंता का विषय नहीं होते हैं।
स्तनपान के दौरान शिशु के पेट में हवा जाने की समस्या कम होती है और बोतल से दूध के सेवन में यह समस्या जयादा होती है। आजकल वैसे भी सभी सचेत हैं और स्तनपान के महत्त्व को समझ रहे हैं। यदि आपका शिशु आपके प्रयत्नों के बाद डकार नहीं ले रहा है तो इसमें कोई चिंता की बात नहीं होती है। क्योंकि यदि आप स्तनपान करवा रही हैं तो शिशु बोतल की तुलना में कम हवा को पेट में खींचता है।
कोशिश तो यह की जानी चाहिए की प्रत्येक स्तनपान के बाद शिशु को दस से पंद्रह मिनट तक छाती के चिपकाकर सीधा पकड़ कर रखा जाय। इससे नेचुरल तरीके से स्वतः ही डकार बाहर निकल जायेगी। डकार निकल जाने से शिशु को भी फायदा होता है। शिशु का पेट छोटा सा होता है। डकार के अभाव में पेट में जगह भी नहीं बचती और वह उचित मात्रा में दूध का सेवन नहीं कर पाता है। इसके अलावा डकार नहीं आने से शिशु को उलटी आने की भी संभावना बानी रहती है।
डकार क्या है?
डकार एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो पेट में जमा हवा को बाहर निकालती है। जब हम खाते या पीते हैं, तो हम थोड़ी मात्रा में हवा भी निगल लेते हैं। यह हवा पेट में जमा हो जाती है और गैस बन सकती है। डकार दिलाने से पेट में जमा हवा बाहर निकल जाती है और बच्चे को आराम मिलता है।शिशुओं को दूध पीते समय हवा निगलने की अधिक संभावना होती है। इसलिए, उन्हें हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना महत्वपूर्ण है। डकार दिलाने से बच्चे को गैस, पेट दर्द और बेचैनी से राहत मिल सकती है। यदि शिशु कुछ मिनटों के बाद भी डकार नहीं लेता है, तो आप डकार दिलाने की तकनीक को बदल सकते हैं। आप बच्चे को सीधा बैठाकर या पेट के बल लिटाकर डकार दिलाने की कोशिश कर सकते हैं।
यदि आपके बच्चे को गैस की समस्या है, तो आप उसे प्रत्येक feeding के बाद डकार दिलाने का प्रयास कर सकते हैं। जब शिशु दूध पीते समय हवा के साथ दूध भी निगल लेता है, तो वह दूध डकार के रूप में बाहर निकल सकता है। इसे गीला डकार कहा जाता है। गीले डकार आमतौर पर शिशुओं में आम होते हैं और चिंता का विषय नहीं होते हैं।
शिशु को डकार कैसे दिलवाएं Baby Burping Tips
एक विशेष बात है की स्तनपान के समय कभी भी जल्दबाजी नहीं करें। कोशिश करें की शिशु को शांत वातावरण में स्तनपान करवाया जाय। इससे शिशु का ध्यान स्तनपान से भंग नहीं होता है और वह आराम से दूध पीता है जिससे दूध के साथ हवा जाने की सम्भावना भी कम हो जाती है। शोरगुल के अभाव में शिशु चिड़चिड़ा हो जाता है और कई बार भूखा भी रह जाता है और हमें लगता है की वो अकारण ही रोता रहता है। डकार के सबंध में यह भी ध्यान देने योग्य विषय है की यह कोई नियम नहीं है की हर बार स्तनपान के बाद शिशु डकार ले ही। यदि स्तनपान के दौरान हवा पेट में नहीं गयी है तो शिशु डकार नहीं लेगा।
शिशु को कब डकार दिलवानी है इसके कोई तय नियम नहीं हैं। यदि शिशु ठीक ढंग से दूध पी रहा है, मल त्यागते समय ज्यादा गैस नहीं निकल रहा है या फिर दूध की उलटी नहीं कर रहा है तो समझिये की सब ठीक ठाक है। ऐसी परिस्थितियों में शिशुडकार नहीं लेगा और यह कोशिश नहीं करनी चाहिए की वो डकार ले ही। आप यह नियम बना सकते हैं की शिशु को स्तनपान के बाद छाती से लगाकर कुछ देर सीधा रखा जाय। यदि कोई वायु होगी तो डकार के रूप में बाहर निकल जायेगी अन्यथा जरुरी नहीं की हर स्तनपान के बाद शिशु डकार अनिवार्यरूप से ले।
शिशु को नार्मल रखने का प्रयत्न करें। डकार दिलवाना इसका एक पहलू है। उसकी प्रयाप्त नींद का ध्यान रखें और जब उसकी मांग हो उसे दूध पिलायें। सुलाने के दौरान छोटे तकिये का प्रयोग करें ताकि उसका सर सदा सीधा रहे। बच्चे को डकार दिलाना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद की जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे दूध पीते समय हवा भी निगल लेते हैं, जो उनके पेट में गैस पैदा कर सकती है। डकार दिलाने से यह गैस बाहर निकल जाती है और बच्चे को आराम मिलता है।
बच्चे को डकार दिलाने के तरीके:
शिशु को कब डकार दिलवानी है इसके कोई तय नियम नहीं हैं। यदि शिशु ठीक ढंग से दूध पी रहा है, मल त्यागते समय ज्यादा गैस नहीं निकल रहा है या फिर दूध की उलटी नहीं कर रहा है तो समझिये की सब ठीक ठाक है। ऐसी परिस्थितियों में शिशुडकार नहीं लेगा और यह कोशिश नहीं करनी चाहिए की वो डकार ले ही। आप यह नियम बना सकते हैं की शिशु को स्तनपान के बाद छाती से लगाकर कुछ देर सीधा रखा जाय। यदि कोई वायु होगी तो डकार के रूप में बाहर निकल जायेगी अन्यथा जरुरी नहीं की हर स्तनपान के बाद शिशु डकार अनिवार्यरूप से ले।
शिशु को नार्मल रखने का प्रयत्न करें। डकार दिलवाना इसका एक पहलू है। उसकी प्रयाप्त नींद का ध्यान रखें और जब उसकी मांग हो उसे दूध पिलायें। सुलाने के दौरान छोटे तकिये का प्रयोग करें ताकि उसका सर सदा सीधा रहे। बच्चे को डकार दिलाना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो स्तनपान या बोतल से दूध पिलाने के बाद की जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे दूध पीते समय हवा भी निगल लेते हैं, जो उनके पेट में गैस पैदा कर सकती है। डकार दिलाने से यह गैस बाहर निकल जाती है और बच्चे को आराम मिलता है।
बच्चे को डकार दिलाने के तरीके:
- सीधे बैठें और बच्चे को अपनी गोद में सीधा रखें।
- एक हाथ से बच्चे का सिर और कंधे को सहारा दें।
- दूसरे हाथ से बच्चे की पीठ पर धीरे-धीरे थपथपाएं।
- थपथपाते समय बच्चे को धीरे से आगे की ओर झुकाएं।
- यदि डकार नहीं आती है, तो बच्चे को सीधा करके फिर से थपथपाएं।
- बच्चे को अपनी गोद में सीधा रखें और उसकी पीठ को अपनी हथेली से थपथपाएं।
- बच्चे को अपने कंधे पर सीधा रखें और उसकी ठोड़ी को अपने कंधे पर टिकाएं।
- बच्चे को अपनी गोद में सीधा रखें और उसकी पीठ को अपनी हथेली से सहारा देते हुए उसे धीरे से हिलाएं।
- बच्चे को डकार दिलाने से पहले उसे थोड़ा आराम करने दें।
- बच्चे को डकार दिलाने के लिए उसे ज़ोर से हिलाएं या थपथपाएं नहीं।
- यदि बच्चे को डकार नहीं आ रही है, तो चिंता न करें। कुछ बच्चों को डकार दिलाना मुश्किल होता है।
- डकार दिलाने से बच्चे के पेट में गैस निकल जाती है, जिससे उसे आराम मिलता है।
- डकार दिलाने से बच्चे को उल्टी होने का खतरा कम होता है।
- डकार दिलाने से बच्चे को पाचन में मदद मिलती है।
- स्तनपान कराने वाले बच्चों को हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना चाहिए।
- बोतल से दूध पिलाने वाले बच्चों को हर 2-3 बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना चाहिए।
- यदि आपके बच्चे को डकार दिलाने में परेशानी हो रही है, तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
बच्चे को क्यों डकार दिलाना जरूरी है?
बच्चे को डकार दिलाना जरूरी है क्योंकि दूध पीते समय बच्चा हवा भी निगल लेता है। यह हवा बच्चे के पेट में फंस जाती है और पेट में दर्द, ऐंठन, और गैस की समस्या पैदा कर सकती है। डकार दिलाने से पेट में फंसी हवा बाहर निकल जाती है और बच्चे को राहत मिलती है।स्तनपान करने वाले बच्चों को बोतल से दूध पीने वाले बच्चों की तुलना में कम डकार दिलाने की जरूरत पड़ती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि स्तनपान के दौरान बच्चा दूध को अधिक धीरे-धीरे और गहराई से पीता है। इससे उसके पेट में कम हवा जाती है। हालांकि, यह पूरी तरह से बच्चों पर निर्भर करता है कि उन्हें कितनी बार डकार दिलाने की जरूरत है। कुछ बच्चों को हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलाने की जरूरत पड़ती है, जबकि अन्य बच्चों को कभी-कभी ही डकार दिलाने की जरूरत पड़ती है।
कैसे देनी चाहिए थपकी
बच्चे को डकार दिलाने के लिए थपकी देना एक प्रभावी तरीका है। थपकी देने से बच्चे के पेट में फंसी हवा बाहर निकल जाती है और बच्चे को राहत मिलती है।थपकी देने के तरीके:
- बच्चे को सीधा बैठाएं या अपने कंधे पर सीधा बैठाएं।
- बच्चे की पीठ को धीरे-धीरे थपथपाएं।
- थपकी को पेट के निचले हिस्से से शुरू करें और धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ें।
- थपकी को धीरे-धीरे और लगातार दें।
ध्यान रखने योग्य बातें:
- थपकी बहुत जोर से न दें, इससे बच्चे को दर्द हो सकता है।
- थपकी देने के दौरान बच्चे को अपनी गोद में कसकर पकड़ें, ताकि वह गिर न जाए।
- यदि बच्चा डकार नहीं दे रहा है, तो उसे थोड़ा हिलाएं या उसे साइकिल चलाने जैसा बिहेव कराएं। इससे बच्चे के पेट में फंसी हवा बाहर निकल जाएगी।
बच्चे को डकार दिलाने के लिए थपकी देने के कुछ अन्य तरीके:
- बच्चे को अपनी गोद में उल्टा लेटाएं और उसकी पीठ को धीरे-धीरे थपथपाएं।
- बच्चे को अपनी गोद में बैठाएं और उसके सिर को अपने कंधे पर रखें। बच्चे की पीठ को धीरे-धीरे थपथपाएं।
बच्चे को डकार दिलाने का सही समय:
- बच्चे को दूध पिलाने के बाद या बोतल से दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना चाहिए। यदि बच्चा दूध पीने के दौरान रो रहा है या चिड़चिड़ा हो रहा है, तो उसे डकार दिलाने की कोशिश करें।
कितनी बार डकार दिलवाएं?
आमतौर पर, शिशु को हर बार दूध पिलाने के बाद डकार दिलाई जानी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि दूध पीते समय शिशु थोड़ी मात्रा में हवा भी निगल लेता है, जो उसके पेट में गैस बनने का कारण बन सकती है। डकार दिलाने से पेट में जमा हवा बाहर निकल जाती है और बच्चे को आराम मिलता है।यदि आपका बच्चा बोतल से दूध पीता है, तो उसे हर 2-3 औंस दूध के बाद डकार दिलाई जानी चाहिए। स्तनपान कराने वाले बच्चों को भी हर 2-3 मिनट में या जब वे रुककर सांस लेते हैं, तब डकार दिलाई जानी चाहिए। यदि बच्चा कुछ मिनटों के बाद भी डकार नहीं लेता है, तो आप डकार दिलाने की तकनीक को बदल सकते हैं। आप बच्चे को सीधा बैठाकर या पेट के बल लिटाकर डकार दिलाने की कोशिश कर सकते हैं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |