शिशु का दूध की उलटी करना Baby Reflux & Posseting

शिशु का दूध की उलटी करना Baby Reflux & Posseting in Hindi

जब आपके घर छोटा मेहमान आता है तो आपका जीवन खुशियों से भर जाता है, विशेषकर महिलाओं के लिए। जाहिर सी बात है की जब शिशु असहज महसूस करता है और रोने लगता है तो सबसे पहले हम यही देखते हैं की उसे क्या समस्या है। ऐसा ही तब होता है जब शिशु बार बार दूध की उलटी करता है। आइये जानते हैं की क्या कारण है की शिशु दूध पीने के बाद दूध की उलटी Baby Reflux करता है और वे कौनसी सावधानियां है जिनसे हम शिशु को उलटी से बचा सकते हैं। 

शिशु का दूध की उलटी करना Baby Reflux & Posseting in Hindi

शिशु उलटी क्यों आती है

सामान्य रूप से शिशु को दूध की उलटी आना कोई चिंताचंजक कारण नहीं होता है। कुछ समय के उपरान्त यह स्वतः ही ठीक हो जाती है। शिशु की आहार नली के छोर पर एक संकुचन शील मांशपेशीय वाल्व (lower esophageal sphincter) होता है जो भोजन को वापस बाहर आने से रोकता है। शिशु का यह वाल्व पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है, जबकि वयस्क मनुष्यों में यह विकसित होने पर सुचारु रूप से काम करता है। चूँकि यह वाल्व पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है इसलिए यह कभी कभार बैक (रेफ्लेक्स) करता है जिससे जिसके कारण से वह दूध को बाहर निकाल देता है। इस विषय में हम क्या सावधानियां रख सकते हैं, आइये जानते हैं

Baby Reflux: Infants With Reflux, Symptoms & Causes

इस विषय में ध्यान रखें :
  • शिशु को सीधा रखते हुए दूध पिलायें, शिशु की गर्दन, पीठ और सर पर समान रूप से हाथ रखें।
  • शिशु को दूध पिलाते वक़्त साफ़ कॉटन का कपडा रखें।
  • स्तनों को दूध पिलाने से पूर्व और बाद में अच्छे से साफ़ रखें ताकि शिशु को किसी प्रकार का संक्रमण ना हो पाए।
  • शिशु को दूध पिलाते वक़्त शांत माहौल में रखे ताकि वह उचित मात्रा में दूध का सेवन कर सके। शोरगुल के वातावरण में शिशु का ध्यान भंग होता है और वह चिड़चिड़ा होकर रोने लगता है।
  • शिशु को दूध पिलाने के बाद अच्छे से सपोर्ट देकर सीधा करें। इससे उसके शरीर की डकार रिलीज़ हो जायेगी जिससे बार बार उलटी आने की समस्या में भी सुधार होता है।
  • जहाँ तक संभव हो शिशु को सीधी अवस्था में ही दूध पिलायें।
  • प्रत्येक स्तनपान के बाद शिशु को पन्दरह से बीस मिनट तक छाती पर सीधा पकड़े जिससे अतिरिक्त वायु बाहर निकल जाए।
  • शिशु को एक ही बार में ज्यादा दूध ना पिलायें। कई बार दूध पिलायें जिससे उसे पोषण भी मिले और एक साथ ज्यादा दूध ना होने पर रेफ्लेक्स भी नहीं होगा।
  • यदि शिशु हिचकियों से परेशान हो तो उसे शांत करने के लिए मधुर आवाजों से उसका ध्यान अपनी और खींचे और उसे खुश करने की कोशिश करें ताकि उसका ध्यान हिचकी से भंग हो जाए।
इनके अलावा कुछ विशेष परिस्थितियों में शिशु की उलटी के कई कारन हो सकते हैं जिनके बारे में जानना भी उचित होता।
  1. यदि शिशु को माँ के दूध में मौजूद प्रोटीन से कोई एलर्जी हो तो उलटी (Infant Vomiting, Baby Reflux: Infants Reflux ) हो सकती है। इसके लिए डोक्टर से संपर्क करना श्रेयकर होता है।
  2. जल्दी और ज्यादा मात्रा में दूध का सेवन : कई बार माँ इस और ध्यान नहीं देती हैं और एक ही बार में ज्यादा मात्रा में शिशु को स्तनपान करवा देती हैं। इससे शिशु के पेट में जगह ही नहीं बचती है और उलटी हो जाती है। इस विषय पर ध्यान देने की महती आवश्यकता है। आप शिशु को बार बार दूध पिलाए लेकिन एक साथ ज्यादा मात्रा में दूध ना पिलायें।
  3. शिशु का दूध की उलटी करना Baby Reflux & Posseting नवजात शिशु की उलटी का घरेलु इलाज Infant Vomiting, Baby Reflux: Infants With Reflux, Symptoms & Causes
  4. गयी शिशुओं के स्वर यन्त्र में किसी कारन एठन हो जाती है जिसके कारन से भी शिशु को उलटी की शिकायत हो जाती है।
  5. नवजात शिशु को जल्दी से इधर उधर उठाने पर मोसन सिकनेस की वजह से भी उलटी होने लगती है।
  6. नवजात शिशु को संक्रमण : कई बार नवजात शिशु को ज्यादा लाड प्यार के चक्कर में हम उसे चुमते रहते हैं। शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कम होने और अन्न नहीं खाने की वजह से वह बड़ों से संक्रमण का शिकार हो जाता है। इसके लिए यह सुनिश्चित करें की शिशु को छूने से पूर्व हाथों की सफाई अच्छे से हो और शिशु के मुंह के पास बार बार अपना मुंह ना ले जाएँ।
  7. माँ को शिशु को दूध पिलाने से पूर्व और पश्चात अपने स्तनों को अच्छे से कॉटन क्लोथ से साफ़ करना चाहिए।
  8. शिशु की माँ को चाहिए की स्नान करते वक़्त यह सुनिश्चित करें की स्तनों पर कही कोई साबुन का अंश निप्पल पर लगा ना रह जाए।
  9. शिशु की उलटी यदि लगातार जारी रहे हो इस विषय पर डोक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
  10. यदि उलटी में दूध फट कर बाहर निकलता है तो इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की शिशु ने अपनी क्षमता से अधिक दूध पी लिया है।
  11. शिशु की आँतों और गुदा मार्ग पर कर्मी के संक्रमण से भी ऐसा हो सकता है इसके लिए आप घरेलु नुस्खे अपना सकते हैं ( छोटे बचों / नवजात शिशु के चुरने, कर्मी कैसे दूर करें ) जो लाभदायक होगा।
  12. शिशु के सोने की जगह की साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखें।
शिशुओं में दूध की उल्टी करना एक आम समस्या है। दूध की उल्टी को दो प्रकारों में बांटा जा सकता है:
रिफ्लक्स (Reflux): यह तब होता है जब दूध पेट से वापस आहार नली (esophagus) में चला जाता है। रिफ्लक्स आमतौर पर दूध पीने के तुरंत बाद होता है और इसमें दूध की थोड़ी मात्रा शामिल होती है।

पोसेटिंग (Possetting): यह तब होता है जब दूध आहार नली में वापस चला जाता है, लेकिन मुंह तक नहीं आता है। पोसेटिंग आमतौर पर दूध पीने के कुछ घंटों बाद होती है और इसमें दूध की अधिक मात्रा शामिल होती है।

शिशुओं में दूध की उल्टी के कारण


शिशुओं में दूध की उल्टी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD): यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें दूध पेट से वापस आहार नली में चला जाता है। GERD शिशुओं में आम है और आमतौर पर 6 महीने की उम्र तक अपने आप ठीक हो जाती है।
  • एलर्जी या असहिष्णुता: कुछ शिशुओं को गाय के दूध या अन्य खाद्य पदार्थों से एलर्जी या असहिष्णुता हो सकती है। इन एलर्जी या असहिष्णुताओं से उल्टी, दस्त, पेट में ऐंठन और अन्य लक्षण हो सकते हैं।
  • पेट में संक्रमण: शिशुओं को पेट में संक्रमण होने से भी उल्टी हो सकती है। पेट में संक्रमण के अन्य लक्षण में बुखार, दस्त और पेट में ऐंठन शामिल हैं।
  • गैर-खाद्य पदार्थों का सेवन: कुछ शिशु गैर-खाद्य पदार्थों को निगल सकते हैं, जैसे कि बाल या छोटे खिलौने। इन गैर-खाद्य पदार्थों से उल्टी, दस्त और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

शिशुओं में दूध की उल्टी का इलाज

शिशुओं में दूध की उल्टी का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है। यदि उल्टी GERD के कारण होती है, तो लक्षणों को कम करने के लिए दवाएं दी जा सकती हैं। यदि उल्टी एलर्जी या असहिष्णुता के कारण होती है, तो बच्चे को उस खाद्य पदार्थ से बचाया जाना चाहिए जिससे वह एलर्जी या असहिष्णुता है। यदि उल्टी पेट में संक्रमण के कारण होती है, तो एंटीबायोटिक्स दी जा सकती हैं।

शिशुओं में दूध की उल्टी को रोकने के लिए उपाय


शिशुओं में दूध की उल्टी को रोकने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • बच्चे को धीरे-धीरे दूध पिलाएं।
  • बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे सीधा रखें।
  • बच्चे को दूध पिलाने के बाद उसे हिलाएं या झटका न दें।
  • बच्चे को पेट के बल न सुलाएं।
  • जब शिशु को दूध की उल्टी हो
यदि आपके बच्चे को दूध की उल्टी हो रही है, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
  • यदि उल्टी गंभीर है या लगातार हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • यदि उल्टी के साथ बुखार, दस्त या अन्य लक्षण हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
  • बच्चे को पर्याप्त तरल पदार्थ दें ताकि निर्जलीकरण न हो।
शिशुओं में दूध की उल्टी एक आम समस्या है। अधिकांश मामलों में, उल्टी गंभीर नहीं होती है और 6 महीने की उम्र तक अपने आप ठीक हो जाती है। यदि आपके बच्चे को दूध की उल्टी हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वे उल्टी के कारण का पता लगा सकें और उचित उपचार की सलाह दे सकें।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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