स्तनपान टिप्स, स्तनपान सावधानी स्तनपान की सही अवस्था, स्तनपान सबंधी सुझाव
स्तनपान शिशु के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता है। स्तनपान से मिलने वाले पोषण की तुलना किसी अन्य माध्यम से की गयी फीडिंग से नहीं की जा सकती है। शिशु को स्तनपान से ४०० प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस सबंध में विस्तार से दिशा निर्देश जारी किये हैं। स्तनपान के सबंध में लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष ०१ अगस्त से ०७ अगस्त ०७ अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है। वैश्विक स्तर पर एक अनुमान के लिए छह माह तक की आयु के केवल ३८ प्रतिशत शिशुओं को ही माँ का दूध मिल पा रहा है। आइये जानते हैं की शिशु के लिए स्तनपान का महत्त्व क्या है और क्यों स्तनपान पर जोर दिया जाता है।
- स्तनपान का को विकल्प नहीं हो सकता है। स्तनपान से ही शिशु का सर्वांगीर्ण विकास होता है। स्तनपान के अभाव में शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास अवरुद्ध हो जाता है।
- प्रथम छह माह में शिशु को अन्य किसी पोषण की आवश्यकता नहीं रहती है। इस अवधि में उसे अनिवार्य रूप से स्तनपान करवाया जाना चाहिए।
- प्रथम छह माह में जब तक शिशु कोई ठोस आहार ग्रहण नहीं करता है उसे पानी की कोई आवश्यकता नहीं होती है। पानी की जरुरत को शिशु दूध से ही पूरा कर लेता है। विशेष परिस्थियों में डॉक्टर की सलाह के उपरांत शिशु को पानी पिलाया जा सकता है। शिशु को पानी पिलाने से कई प्रकार के विकार भी पैदा हो सकते हैं, यथा पानी के प्रति संवेदनशीलता, पाचन तंत्र का बिगड़ना आदि। जब शिशु ठोस भोजन ग्रहण करने लग जाय तो उसे आवश्यकतानुसार पानी दिया जा सकता है।
- स्तनपान शिशुओं के लिए एक सर्वोत्तम आहार होता है।
- शिशु को यदि संभव हो तो प्रसव के एक घंटे के अंदर ही स्तनपान करवा देना चाहिए क्यों की इस दौरान माँ का गाढ़ा दूध 'कोलेस्ट्रम' शिशु के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता है।
- शिशु में स्वंय की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास नहीं हुआ होता है और उसे रोगप्रतिरोधक क्षमता माँ के दूध से ही प्राप्त होती है।
- माँ के दूध के अभाव में शिशु कई प्रकार के रोगों का शिकार हो सकता है।
- कई मिथक भी समाज में प्रचलित हैं की माँ का दूध ज्यादा पिने से माँ ख़राब दूध देने लगती है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है, बल्कि इसके विपरीत माँ का दूध शिशु के लिए सदैव लाभकारी ही होता है।
- माँ बीमारी के समय में भी स्तनपान करवा सकती है। यदि कोई विशेष अवस्था हो तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- स्तनपान के लिए जब शिशु की मांग हो तब दूध उपलब्ध हो जाता है जिसके लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं करनी पड़ती है।
- एक मिथक यह भी है की स्तनों के छोटे होने से शिशु को कम दूध मिलता है। जबकि वास्तविकता यह है की यह पूर्ण रूप से मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। जितना शिशु दूध पीता है उतना ही दूध माँ को बनना शुरू हो जाता है। इसलिए स्तनों के छोटे होने का शिशु के पोषण पर कोई असर नहीं पड़ता है।
- स्तनपान से शिशु और माँ का भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है और प्रसव के उपरान्त माँ तनाव से मुक्त हो जाती है। स्तनपान से माँ कई प्रकार की बिमारियों से भी बच पाती है यथा, तनाव, स्तन कैंसर और उच्च रक्तचाप आदि।
- स्तनपान से बच्चों में गैप रखने में भी मदद मिलती है। साधारण अवस्था में स्तनपान के दौरान गर्भधारण की सम्भावना कम हो जाती है।
- छह माह की आयु के उपरांत शिशु को सप्लीमेंट फ़ूड, पूरक आहार दिया जा सकता है।
- स्तनपान को अनिवार्य रूप से दो वर्ष तक बंद नहीं करना चाहिए।
- माँ के दूध में कम से कम ४०० प्रकार के पोषक तत्वों से युक्त होता है जो की शिशु को पोषण तो देता ही है और उसे कई प्रकार के संक्रामक रोगों से भी बचाता है।
- शिशु की उम्र बढ़ने के दौरान माँ के दूध में भी बदलाव होते हैं और शिशु के पोषण के लिए यह अडजस्टेबल होता है।
- स्तनों की सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें। दूध पिलाने और दूध पिलाने के बाद निप्पल को अच्छे से कॉटन क्लॉथ से सफाई करें।
- स्तनों की सफाई के अभाव से शिशु को संक्रमण का खतरा बना रहता है।
- शिशु को हर दो घंटे के उपरांत स्तनपान करवाना चाहिए।
- एक बार में ज्यादा दूध पिलाने से परहेज किया जाना चाहिए और कोशिश करें की कई बार में दूध पिलायें। ऐसा करने से एक शिशु दूध की उलटी नहीं करता है।
- स्तनपान के दौरान शिशु को सीधा रखें और स्तनपान के बाद लगभग दस से पंद्रह मिनट तक शिशु को सीधे पकड़े रखें जिससे उसकी डकार निकल जाएगी और उलटी भी नहीं होगी।
- स्तनपान के लिए जल्दबादी न करें और कम से आधे घंटे तक एक बार में स्तनपान करवाएं।
- स्तनपान के लिए किसी शांत स्थल का चयन करें जिससे शिशु का ध्यान भंग न हो और वह पेट भरकर दूध का सेवन कर पाए। शोरगुल के स्थान पर शिशु चिड़चिड़ा हो सकता है और रोने लगता है।
- कोशिश करें की एक बार में शिशु को एक स्तन का ही पूरा दूध पिलाये। जल्दी जल्दी स्तन बदलने से स्तन के आखिर में आने वाला वसायुक्त दूध शिशु नहीं पी सकता है और चिड़चिड़ा हो जाता है।
- स्तनपान के दौरान कोशिश करें की शिशु सीधा रहे इससे वह प्रयाप्त मात्रा में दूध का सेवन कर सकता है।
- शिशु का स्तनपान के दौरान नाक नहीं दबना चाहिए इसके लिए आप अपनी अँगुलियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। निप्पल अच्छे से शिशु के मुंह में जानी चाहिए।
- दूध पिने के दौरान यदि शिशु हिचकी लेता है तो कुछ देर के लिए स्तनपान बंद कर देना चाहिए। ऐसा नहीं करने से शिशु उलटी भी कर सकता है।
- नियमित रूप से स्तनपान करने वाले शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होता है। यह पोषण उसके ता उम्र काम आता है।
स्तनपान टिप्स
- स्तनपान शुरू करने के लिए सही समय का चुनाव करें। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को स्तनपान कराना शुरू करना चाहिए। इससे बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है और बच्चे और मां के बीच भावनात्मक बंधन मजबूत होता है।
- अपने बच्चे को सही तरीके से स्तनपान कराएं। बच्चे को स्तनपान कराने के लिए सही तरीके से पकड़ना बहुत जरूरी है। अगर बच्चा सही तरीके से स्तन नहीं पकड़ पाता है, तो उसे दूध नहीं मिल पाएगा और उसके निप्पल में दर्द हो सकता है।
- अपने बच्चे को दोनों स्तनों से दूध पिलाएं। प्रत्येक स्तन से कम से कम 10 मिनट तक दूध पिलाएं। इससे बच्चे को दोनों स्तनों से दूध मिल सकेगा और आपके स्तनों में दूध का उत्पादन भी संतुलित रहेगा।
- अपने बच्चे को जब भी वह भूखा हो, उसे स्तनपान कराएं। नवजात शिशुओं को आमतौर पर हर 2-3 घंटे में दूध पिलाना चाहिए।
- स्तनपान के दौरान आराम करें और तनाव न लें। स्तनपान एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इसमें समय और अभ्यास लगता है। अगर आपको कोई समस्या हो रही है, तो किसी अनुभवी महिला से सलाह लें।
स्तनपान सावधानियां
- स्तनपान के दौरान धूम्रपान और शराब से बचें। ये दोनों चीजें आपके दूध के स्वाद और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।
- स्तनपान के दौरान अपने स्तनों को साफ रखें। दिन में दो बार अपने स्तनों को गुनगुने पानी से धोएं।
- स्तनपान के दौरान अपने स्तनों को संरक्षित करें। स्तनपान के दौरान अपने स्तनों को चोट से बचाने के लिए सही ब्रा पहनें।
स्तनपान की सही अवस्था
स्तनपान की सही अवस्था में बच्चा निप्पल के साथ-साथ एरिओला (निप्पल के चारों ओर का गाढ़ा भूरा क्षेत्र) को भी अपने मुंह में ले लेता है। इससे बच्चे को दूध पीने में आसानी होती है और उसके निप्पल में दर्द नहीं होता है।स्तनपान की सही अवस्था को पहचानने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें:
- बच्चे का मुंह खुला होना चाहिए और उसके होंठ बाहर निकले हुए होने चाहिए।
- बच्चे का निचला होंठ ऊपर की ओर मुड़ा हुआ होना चाहिए।
- बच्चे का नाक निप्पल को छू रहा होना चाहिए।
- बच्चे का सिर और गर्दन सीधी होनी चाहिए।
स्तनपान के लाभ
स्तनपान के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:बच्चे के लिए:
- बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है।
- बच्चे का विकास और वृद्धि अच्छी तरह से होती है।
- बच्चे को मानसिक और भावनात्मक लाभ मिलते हैं।
- मां के शरीर से अतिरिक्त वजन कम करने में मदद मिलती है।
- मां के गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद मिलती है।
- स्तन कैंसर और ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |