शिशु की हिचकी का समाधान हिचकी क्यों आती है Is Infants Hiccup Normal Remedies Hindi
जब आपके घर छोटा मेहमान आता है तो आपका जीवन खुशियों से भर जाता है, विशेषकर महिलाओं के लिए। जाहिर सी बात है की जब शिशु असहज महसूस करता है और रोने लगता है तो सबसे पहले हम यही देखते हैं की उसे क्या समस्या है। ऐसा ही तब होता है जब शिशु बार बार हिचकी लेता है या फिर दूध पीने के बाद हिचकी लेता है। आइये जानते हैं की क्या शिशु का हिचकी लेना आम बात है और हम ऐसा क्या कर सकते हैं जिससे शिशु की हिचकी बंद हो जाए। बच्चों को हिचकी आना एक आम बात है। यह आमतौर पर एक सौम्य समस्या होती है और कुछ मिनटों में अपने आप ठीक हो जाती है। हिचकी तब होती है जब डायाफ्राम, जो पेट और फेफड़ों के बीच एक मांसपेशी होती है, अचानक और अनैच्छिक रूप से सिकुड़ती है। इससे फेफड़ों से अचानक हवा निकल जाती है, जो एक विशेष प्रकार की आवाज पैदा करती है।
शिशु हिचकी क्यों लेता है
शिशु को हिचकी आने का कोई चिंताचंजक कारण नहीं होता है। शिशु की आहार नली के छोर पर एक संकुचन शील मांशपेशीय वाल्व (lower esophageal sphincter) होता है जो भोजन को वापस बाहर आने से रोकता है। शिशु का यह वाल्व पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है, जबकि वयस्क मनुष्यों में यह विकसित होने पर सुचारु रूप से काम करता है। चूँकि यह वाल्व पूर्ण रूप से विकसित नहीं होता है इसलिए यह कभी कभार बैक (रेफ्लेक्स) करता है जिससे हिचकी आने लगती है और कभी कभी शिशु का दूध भी उलटी के रूप में बाहर निकल जाता है।
शिशु को अक्सर हिचकियाँ आती है और हिचकियाँ उलटी के साथ भी हो सकती हैं और बिना उलटी के भी आ सकती हैं। साधारणतया हिचकी और उलटी आना कोई विशेष चिंता जनक विषय नहीं होता है।
इस विषय में ध्यान रखें :
शिशु को अक्सर हिचकियाँ आती है और हिचकियाँ उलटी के साथ भी हो सकती हैं और बिना उलटी के भी आ सकती हैं। साधारणतया हिचकी और उलटी आना कोई विशेष चिंता जनक विषय नहीं होता है।
इस विषय में ध्यान रखें :
- शिशु को सीधा रखते हुए दूध पिलायें, शिशु की गर्दन, पीठ और सर पर समान रूप से हाथ रखें।
- शिशु को दूध पिलाते वक़्त साफ़ कॉटन का कपडा रखें।
- स्तनों को दूध पिलाने से पूर्व और बाद में अच्छे से साफ़ रखें ताकि शिशु को किसी प्रकार का संक्रमण ना हो पाए।
- शिशु को दूध पिलाते वक़्त शांत माहौल में रखे ताकि वह उचित मात्रा में दूध का सेवन कर सके। शोरगुल के वातावरण में शिशु का ध्यान भंग होता है और वह चिड़चिड़ा होकर रोने लगता है।
- शिशु को दूध पिलाने के बाद अच्छे से सपोर्ट देकर सीधा करें। इससे उसके शरीर की डकार रिलीज़ हो जायेगी जिससे बार बार उलटी आने की समस्या में भी सुधार होता है।
- जहाँ तक संभव हो शिशु को सीधी अवस्था में ही दूध पिलायें।
- प्रत्येक स्तनपान के बाद शिशु को पन्दरह से बीस मिनट तक छाती पर सीधा पकड़े जिससे अतिरिक्त वायु बाहर निकल जाए।
- शिशु को एक ही बार में ज्यादा दूध ना पिलायें। कई बार दूध पिलायें जिससे उसे पोषण भी मिले और एक साथ ज्यादा दूध ना होने पर रेफ्लेक्स भी नहीं होगा।
- यदि शिशु हिचकियों से परेशान हो तो उसे शांत करने के लिए मधुर आवाजों से उसका ध्यान अपनी और खींचे और उसे खुश करने की कोशिश करें ताकि उसका ध्यान हिचकी से भंग हो जाए।
शिशुओं को हिचकी क्यों आती है?
शिशुओं को हिचकी आने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
पेट में गैस का निर्माण: स्तनपान कराने वाले शिशुओं को दूध पीने के दौरान हवा निगलने की अधिक संभावना होती है। यह हवा पेट में गैस के रूप में बन जाती है, जो हिचकी का कारण बन सकती है।
दूध या फार्मूला पीने में जल्दबाजी करना: यदि बच्चा बहुत जल्दी दूध या फार्मूला पी लेता है, तो उसके पेट में हवा फंस सकती है, जिससे हिचकी आ सकती है।
पेट में संक्रमण: यदि बच्चे को पेट में संक्रमण है, तो इससे भी हिचकी आ सकती है।
कुछ दवाएं: कुछ दवाएं, जैसे कि एंटीबायोटिक्स, भी हिचकी का कारण बन सकती हैं।
शिशुओं की हिचकी का समाधान
अधिकांश मामलों में, शिशुओं की हिचकी कुछ ही मिनटों में चली जाती है। यदि आपके बच्चे को हिचकी आ रही है, तो आप उसे आराम देने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
पेट में गैस का निर्माण: स्तनपान कराने वाले शिशुओं को दूध पीने के दौरान हवा निगलने की अधिक संभावना होती है। यह हवा पेट में गैस के रूप में बन जाती है, जो हिचकी का कारण बन सकती है।
दूध या फार्मूला पीने में जल्दबाजी करना: यदि बच्चा बहुत जल्दी दूध या फार्मूला पी लेता है, तो उसके पेट में हवा फंस सकती है, जिससे हिचकी आ सकती है।
पेट में संक्रमण: यदि बच्चे को पेट में संक्रमण है, तो इससे भी हिचकी आ सकती है।
कुछ दवाएं: कुछ दवाएं, जैसे कि एंटीबायोटिक्स, भी हिचकी का कारण बन सकती हैं।
शिशुओं की हिचकी का समाधान
अधिकांश मामलों में, शिशुओं की हिचकी कुछ ही मिनटों में चली जाती है। यदि आपके बच्चे को हिचकी आ रही है, तो आप उसे आराम देने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:
- उसे सीधा खड़ा करें और उसकी पीठ पर धीरे से थपथपाएं। यह पेट में हवा को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।
- उसे अपनी गोद में रखें और उसे कंधे पर झुकाएं। यह पेट में दबाव डालता है और हिचकी को रोकने में मदद कर सकता है।
- उसे थोड़ा सा पानी या दूध पिलाएं। यह पेट को शांत करने में मदद कर सकता है।
शिशुओं की हिचकी को रोकने के उपाय
यहां कुछ अतिरिक्त सुझाव दिए गए हैं जो आपके बच्चे को हिचकी आने से रोकने में मदद कर सकते हैं:
- उसे धीरे-धीरे दूध या फार्मूला पिलाएं। उसे बहुत जल्दी दूध या फार्मूला पिलाने से बचें।
- उसे हर 2-3 औंस के बाद डकार दिलाएं। यह पेट में हवा को बाहर निकालने में मदद कर सकता है।
- उसे पेट से नीचे की ओर रखकर उसे डकार दिलाएं। यह पेट में दबाव डालता है और हिचकी को रोकने में मदद कर सकता है।
- उसे पेट पर लेटने से बचें। यह पेट में हवा को फंसने का कारण बन सकता है, जिससे हिचकी आ सकती है।
विशेष मामलों में क्या करें?
यदि आपके बच्चे को हिचकी 24 घंटे से अधिक समय तक रहती है, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा, यदि आपके बच्चे को निम्नलिखित लक्षण भी हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:
- पीठ दर्द या पेट दर्द
- उल्टी या दस्त
- बुखार
- चिड़चिड़ापन या नींद न आना
ये लक्षण किसी अन्य चिकित्सा स्थिति का संकेत हो सकते हैं।
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