विषतिन्दुकादि वटी के फायदे Patanjali VISHTINDUKADI VATI Ke Fayde
विषतिन्दुकादि वटी एक आयुर्वेदिक दवा है जो टेबलेट्स फॉर्म में आती है। इसमें मुख्य रूप से विषतिन्दुक (कुचला ) होती है और अन्य घटक होते हैं जिन्हे विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र के विकारों यथा कमर दर्द, जोड़ों के दर्द, साइटिका (रिंगण ), वात रोगों के इलाज हेतु उपयोग में लिया जाता है। विषतिन्दुक (कुचला ) जिसका वानस्पतिक नाम Strychnos Nuxvomica होता है अत्यंत ही विषैली होती है जिसे केवल डिटॉक्सीफाइड (सुद्ध अवस्था ) करके ही उपयोग में लिया जा सकता है अन्यथा यह मानव शरीर के लिए जहरीली होती है। इसका औषधीय रूप में उपयोग आयुर्वेद और होम्योपैथी में किया जाता है। शारंगधर संहिता चिकित्सा ग्रंथ में इसके गुण धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
संस्कृत में इसे 'कुपील', 'विष तिन्दुक', 'कारस्कर', 'रम्यफल', 'विषमुष्टि' आदि नामों से पुकारते हैं। विषतिन्दुक एक ज़हरीला पौधा है जिसका वैज्ञानिक नाम स्ट्राइचनोस नक्सवोमिका है। यह पौधा भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया और फिलीपींस में पाया जाता है। यह पौधा आमतौर पर जंगलों और पहाड़ों में उगता है। विषतिन्दुक के बीजों में एक जहरीला पदार्थ होता है जिसे स्ट्राइचनिन कहा जाता है। स्ट्राइचनिन एक बहुत ही शक्तिशाली विष है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को मार सकता है। यह विष तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और सांस लेने में परेशानी, मांसपेशियों में ऐंठन और मृत्यु का कारण बन सकता है।
विषतिन्दुक का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। यह दवाओं का उपयोग आमतौर पर पेट फूलना, कब्ज और मूत्राशय की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। विषतिन्दुक का उपयोग कई तरह के ज़हरीले पदार्थों को बनाने के लिए भी किया जाता है। स्ट्राइचनिन का उपयोग कुछ कीटनाशकों, हत्यारे सांप के जहर और मनो-सक्रिय दवाओं के निर्माण में किया जाता है। विषतिन्दुक एक बहुत ही खतरनाक पौधा है। यदि आप इस पौधे से परिचित नहीं हैं, तो इसका उपयोग नहीं करना ही बेहतर है।
Patanjali Vishtindukadi Vati uses in Hindi पंतजलि विषतिन्दुकादि वटी के उपयोग
पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी का उपयोग सामान्य रूप से तंत्रिका तंत्र के विकारों के लिए किया जाता है। विषतिन्दुकादि वटी का उपयोग स्लिप डिस्क के दर्द/घुटनों के दर्द (नसों के दर्द ) की रोकथाम के लिए भी किया जाता है। कमर दर्द, साइटिका, सर्वाइकिल घुटनों के दर्द में भी इसका उपयोग लाभदाई होता है। वातजनित विकारों में इसका उपयोग प्रभावी होता है।
कुचला ( स्ट्रैक्नोस नोक्स-वोमिका) Strychnos nux-vomica का पेड़ बारहमासी होता है और मुख्यतया गर्म और पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में यह वृक्ष बंगाल, तमिलनाडु और आन्ध्रप्रदेश में प्रधानता से पाया जाता है। कुचला के लगने वाले फल गोल होते हैं और इन्ही बीजों का उपयोग शोधन के उपरांत किया जाता है। अशोधित रूप में कुचला जानलेवा होता है और भ्रम, मितली, उलटी और तंत्रिका तंत्र पर विपरीत प्रभाव डालता है, कुछ विशेष अवस्था में इसके अशोधित रूप का सेवन करने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसके उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लेवें। कुचला में मुख्यतया 13 एल्कोलोइड का मिश्रण होता है जिनमे एल्कालोइड स्ट्राइकेन और ब्रूसिन की प्रधानता होती है।
कुचला की मात्रा : कुचला कितनी मात्रा में लें ? इसके लिए आपकी शरीर की प्रकृति के अनुसार चिकित्सक के सलाह के उपरांत ही इसका सेवन करे। अधिक मात्रा में कुचला जानलेवा होती है, इस विषय को अति गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
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कुचला ( स्ट्रैक्नोस नोक्स-वोमिका) Strychnos nux-vomica का पेड़ बारहमासी होता है और मुख्यतया गर्म और पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में यह वृक्ष बंगाल, तमिलनाडु और आन्ध्रप्रदेश में प्रधानता से पाया जाता है। कुचला के लगने वाले फल गोल होते हैं और इन्ही बीजों का उपयोग शोधन के उपरांत किया जाता है। अशोधित रूप में कुचला जानलेवा होता है और भ्रम, मितली, उलटी और तंत्रिका तंत्र पर विपरीत प्रभाव डालता है, कुछ विशेष अवस्था में इसके अशोधित रूप का सेवन करने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसके उपयोग से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लेवें। कुचला में मुख्यतया 13 एल्कोलोइड का मिश्रण होता है जिनमे एल्कालोइड स्ट्राइकेन और ब्रूसिन की प्रधानता होती है।
कुचला की तासीर
कुचला की तासीर गर्म होती है। इसके गुणों के कारण यह वात और कफ नाशक होता है। इसके गुणों पर पूर्णतयाः शोध बाकी है। वर्तमान में उपलब्ध ज्ञान के आधार पर इसका उपयोग कटिशूल (स्लीप डिस्क), जोड़ों के दर्द, श्वाश सबंधी विकारों, अजीर्ण और पेट सबंधी विकार आदि के लिए किया जाता है। सांप, कुत्ते और बिच्छू के जहर को समाप्त करने सबंधी दावे किये जाते हैं लेकिन कोई प्रामाणिक सुचना उपलब्ध नहीं है। कुल मिलाकर कुचला उष्ण प्रकृति का होता है।
कुचला की मात्रा : कुचला कितनी मात्रा में लें ? इसके लिए आपकी शरीर की प्रकृति के अनुसार चिकित्सक के सलाह के उपरांत ही इसका सेवन करे। अधिक मात्रा में कुचला जानलेवा होती है, इस विषय को अति गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
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विषतिन्दुकादि वटी के फायदे/लाभ Patanjali VISHTINDUKADI VATI Ke Fayde
विषतिन्दुक /कुचला के सेवन के लाभ :-
- कुचला के सेवन से अनेकों लाभ आयुर्वेद में उजागर किये गए हैं।
- विषतिन्दुकादि वटी के सेवन से हमें निम्न विकारों में लाभ मिलता है।
- Patanjali VISHTINDUKADI VATI Benefits in Hindi विषतिन्दुकादि वटी के लाभ स्लिप डिस्क (कटी शूल ) विकार, जोड़ों और गठिया के रोग में इसका उपयोग किया जाता है और अन्य वातजनित विकारों में इसका उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है।
- सर्दी झुकाम में इसका उपयोग लाभदायक माना जाता है।
- कुछ विकार जैसे आमवात, संधिवात आदि में भी कुचला का प्रयोग किया जाता है |
- कुचला के साथ अन्य औषधी का मेल करके शीघ्रपतन, योन शक्ति को बढ़ाने, धातु विकारों के लिए इनका उपयोग किया जाता है।
- कुचला का उपयोग बवासीर, मधुमेह और उदरकृमि में श्रेष्ठ माना जाता है।
- पक्षाघात में कुचला का उपयोग किया जाता है।
- सन्धिवात और वात जनित रोगों के लिए कुचला का उपयोग किया जाता है।
- शरीर में कृमि को समाप्त करने के लिए भी कुचला का उपयोग लिया जाता है।
- लकवा, श्वसनीशोध, मधुमेह, खून की कमी, त्वचा रोग, दमा विकारों में कुचला का उपयोग किया जाता है।
- मांशपेशियों की कमजोरी में कुचला लाभदायक सिद्ध होता है।
- पाचनतंत्र से सबंधित विकारों के लिए कुचला का उपयोग किया जाता है।
- अवसाद, माइग्रेन सिरदर्द में इसका उपयोग लाभदायी होता है।
- रुमेटिज्म Rheumatism और लम्बागो Lumbago में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- लकवे के इलाज के लिए कुचला का प्रयोग होता है।
- इसके उपयोग से तंतुओं की विकृति दूर होती है।
Patanjali Divya Vishtindukadi Vati की खुराक - Patanjali Divya Vishtindukadi Vati Dosage in Hindi
कुचला / विषतिन्दुक की खुराक : इसकी खुराक व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य की प्रकृति, और जांच पर निर्भर करती है। इसकी खुराक का चयन अत्यंत ही सावधानी और चिकित्सक की सलाह के उपरान्त ही किया जाना चाहिए। लम्बे समय तक इसका सेवन विपरीत प्रभाव पैदा कर सकता है। डॉक्टर की सलाह से इसे कुछ समय के लिए बंद कर देना चाहिए और कुछ अंतराल के बाद पुनः शुरू किया जा सकता है जो की सुद्ध रूप से डॉक्टर की सलाह के बाद ही होना चाहिए। अधिक मात्रा शरीर के लिए घातक है। यदि इसके सेवन से कुछ भी नकारात्मक प्रभाव दिखें तो शीघ्र डॉक्टर की सलाह लेवें।
पतंजलि विषतिन्दुकादि के सेवन से सम्बंधित सावधानियां Side Effectcs of Patanjali VISHTINDUKADI VATI
- यह एक संवेदनशील दवा है जिसका प्रयोग अत्यंत सावधानी के साथ किया जाना चाहिए। इसके उपयोग में निम्न सावधानियों का ध्यान रखें।
- इस ओषधि का उपयोग गर्भकाल और स्तनपान के दौरान नहीं किया जाना चाहिए।
- गर्भधारण के दौरान इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इसकी प्रवर्ति उष्ण होती है।
- पेट की सूजन के दौरान इसका प्रयोग नहीं करें।
- इसकी मात्रा का विशेष रूप से ध्यान रखें। डॉक्टर द्वारा बताई गयी मात्रा से अधिक इसका प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
- यदि इसके सेवन से एसिडिटी,नाक से रक्त विकार, पेशाब में जलन या मूत्रमार्ग मेंजलन हो तो तुरंत इसका उपयोग बंद करके डॉक्टर की सलाह लेवें।
दिव्य विषतिन्दुकादि वटी के घटक
इस आयुर्वेदिक दवा में कुचला के अलावा अन्य जड़ी बूटियों का भी मेल होता है जैसे सुपारी, इमली के बीज, और काली मिर्च। Ingredients: Sudha Kuchla, Supari, Kali Marich, Imli Beej
इस आयुर्वेदिक दवा में कुचला के अलावा अन्य जड़ी-बूटियों का भी मेल होता है, जैसे सुपारी, इमली के बीज, और काली मिर्च। इन जड़ी-बूटियों के गुणों के बारे में कुछ जानकारी इस प्रकार है:
सुपारी में टैनिन, पॉलीफेनोल्स, और अन्य यौगिक होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटी-कैंसर गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं। सुपारी का उपयोग आमतौर पर पेट फूलना, कब्ज, और अपच के इलाज के लिए किया जाता है।
इमली के बीज में टैनिन, पॉलीफेनोल्स, और अन्य यौगिक होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटी-कैंसर गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं। इमली के बीज का उपयोग आमतौर पर कब्ज, अपच, और पेट फूलना के इलाज के लिए किया जाता है।
काली मिर्च में पिपरीन, कैप्साइसिन, और अन्य यौगिक होते हैं जो एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एंटी-कैंसर गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं। काली मिर्च का उपयोग आमतौर पर पाचन में सुधार, पेट फूलना और कब्ज को कम करने के लिए किया जाता है।
इन जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई आयुर्वेदिक दवा का उपयोग आमतौर पर पेट फूलना, कब्ज, और अपच के इलाज के लिए किया जाता है। यह दवा पाचन तंत्र को उत्तेजित करने और पाचन रसों के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आयुर्वेदिक दवाएं भी जहरीली हो सकती हैं यदि उन्हें सही तरीके से नहीं लिया जाता है। इसलिए, किसी भी आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करने से पहले हमेशा एक योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के चिकित्सीय उपयोग Uses of Patanjali Vishtindukadi Vati in Hindi
- अफीम व्यसन (Opium Addiction)
- आर्थराइटिस (Arthritis)
- ईडी (Erectile Dysfunction), नपुंसकता (Impotence)
- कटिवात (Sciatica)
- गाउट (Gout)
- जोड़ों में दर्द (Joint Pain)
- डिप्रेशन (Depression)
- नपुंसकता (Impotence)
- पक्षाघात (Stroke), लकवा (Paralysis)
- पार्किन्सन रोग (Parkinson's Disease)
- पुराने वात रोग (Chronic Rheumatic Disease)
- फेफड़ों की बीमारी (Respiratory Disease)
- मांसपेशियों में दर्द (Muscular Pain)
- मांसपेशी में कमज़ोरी (Muscle Weakness)
- रुमेटिज्म (Rheumatism)
- लम्बागो (Lumbago)
- साइटिका (Sciatica)
पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी को कब प्रयोग न करें Contraindications in Hindi
विषतिन्दुकादि वटी एक आयुर्वेदिक दवा है, और यह कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए, इसे लेने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:-- गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान न लें। आयुर्वेद में उष्ण चीजों का सेवन गर्भावस्था में निषेध है। विषतिन्दुकादि वटी एक उष्ण प्रकृति की दवा है, इसलिए इसे गर्भावस्था में नहीं लेना चाहिए।
- जिन्हें पेट में सूजन हो, उनका सेवन न करें। विषतिन्दुकादि वटी पेट में सूजन को बढ़ा सकती है। इसलिए, जिन लोगों को पेट में सूजन है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- जिन्हें पहले से पित्त बढ़ा है, रक्त बहने का विकार है, हाथ-पैर में जलन है, अल्सर है, छाले हैं, उनका सेवन न करें। विषतिन्दुकादि वटी पित्त को बढ़ा सकती है और रक्त बहने का कारण बन सकती है। इसलिए, जिन लोगों को इन समस्याओं में से कोई भी है, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
- इसे बताई मात्रा से अधिकता में न लें। विषतिन्दुकादि वटी पेट में जलन, एसिडिटी, आदि समस्या कर सकती है। इसलिए, इसे निर्धारित मात्रा से अधिक नहीं लेना चाहिए।
- यदि दवा से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हों तो इसका इस्तेमाल नहीं करें। यदि आपको विषतिन्दुकादि वटी से किसी भी तरह का एलर्जिक रिएक्शन हो, जैसे कि खुजली, लालिमा, या सांस लेने में कठिनाई, तो इसका इस्तेमाल तुरंत बंद कर दें।
- डॉक्टर से परामर्श के बिना कोई आयुर्वेदिक दवाइयां नहीं लें। आयुर्वेदिक दवाइयां भी कई तरह के दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं। इसलिए, किसी भी आयुर्वेदिक दवा को लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना उचित है।
पतंजलि विषतिन्दुकादि वटी के उपयोग और लाभ Benefits of Patanjali Vishtindukadi Vati in Hindi
- तंतुओं की विकृति दूर करना: विषतिन्दुकादि वटी तंतुओं को मज़बूत करने में मदद करती है। यह तंतुओं की विकृति को दूर करने में मदद करती है, जिससे मांसपेशियों, जोड़ों और हड्डियों को मजबूती मिलती है।
- बुखार को दूर करना: विषतिन्दुकादि वटी बुखार को कम करने में मदद करती है। यह नए, पुराने और विषम बुखार को दूर करने में मदद करती है।
- नसों को ताकत देना और काम शक्ति बढ़ाना: विषतिन्दुकादि वटी नसों को ताकत देती है और काम शक्ति बढ़ाती है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करती है।
- वात और कफ को कम करना: विषतिन्दुकादि वटी वात और कफ को कम करने में मदद करती है। यह शरीर में वायु और जल के संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है।
- मंदाग्नि में लाभप्रद: विषतिन्दुकादि वटी पित्त बढ़ाने के गुण के कारण, यह मन्दाग्नि में लाभप्रद है। यह पाचन में सुधार करने और भूख बढ़ाने में मदद करती है।
- कठिन वात रोगों में लाभप्रद: विषतिन्दुकादि वटी कठिन वात रोगों में लाभप्रद है। यह वात से जुड़ी बीमारियों जैसे गठिया, लकवा, और चक्कर आना आदि को दूर करने में मदद करती है।
- पुराने वात रोगों में लाभप्रद: विषतिन्दुकादि वटी पुराने वात रोगों में लाभप्रद है। यह पुराने वात रोगों से जुड़ी समस्याओं जैसे दर्द, सूजन, और कमजोरी आदि को दूर करने में मदद करती है।
दिव्य विषतिन्दुकादि वटी को कहाँ से खरीदें
Buy Patanjali Vishtindukadi Vati Onlineपतंजलि आयुर्वेद के द्वारा इसे किफायती दरों पर पतंजलि स्टोर्स पर उपलब्ध करवाया जाता है। इसके मूल्य, ऑनलाइन खरीदने और इसके सबंध में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद की अधिकृत और ऑफिसियल वेब साइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया हैं -
Divya VISHTINDUKADI VATI is a wonderful herbal remedy for normal functioning of the nervous system. It is a wonderful natural remedy for abdominal pain. This is a natural remedy and produces no side effects. It helps in boosting up the nervous system and gives quick relief from acute nerve pain.
What is the use of Vishtindukadi Vati विषतिन्दुकादि वटी का उपयोग क्या होता है
विषतिन्दुकादि वटी का उपयोग तंत्रिका तंत्र के विकारों और वातजनित विकारों में किया जाता है। आयुर्वेद के मतानुसार यह प्रमुख रूप से वात जनित विकारों के उपचार के लिए किया जाता है।
Patanjali Divya Vishtindukadi Vati का पैक साइज कीमत Patanjali Divya Vishtindukadi Vati Price and Pack Size in Hindi
वर्तमान में इस लेख के लिखे जाने तक पतंजलि विषतिंदुकादि वटी की कीमत रूपये MRP: Rs 37 (Inclusive of all taxes) No Of Tablets- 80 Tab (250mg) है। नवीनतम मूल्य के लिए आप पतंजली वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है.
Patanjali medicine for nerve pain तंत्रिका तंत्र / नसों के दर्द के लिए विषतिन्दुकादि वटीयदि आप तंत्रिका तंत्र/नसों के दर्द से ग्रसित हैं तो वैद्य की सलाह के उपरान्त आप इसका सेवन कर सकते हैं।
Usage of Patanjali Divya Vishtindukadi Vati in Sciatica Relief & Treatment for Sciatic Nerve Pain
विषतिन्दुकादि वटी का उपयोग नसों के दर्द यथा साइटिका, कमर दर्द और स्लिप डिस्क में होता है।
पतंजलि विषतिन्दुक वटी टैबलेट / Patanjali Vishtindukadi Vati Tablet का इस्तेमाल कब ना करें
यद्यपि यह एक आयुर्वेदिक दवा है फिर भी आप अपनी मर्जी से इसका सेवन नहीं करें। यदि पूर्व से ही कोई ओषधि आप ले रहे हों तो वैद्य से सम्पर्क अवश्य करे।
सन्दर्भ : Sources
Effect of Shodhana (processing) on Kupeelu (Strychnos nux-vomica Linn.) with special reference to strychnine and brucine content
कमर दर्द (Back pain) के लिए आयुर्वेदिक उपचार | Swami Ramdev
Patanjali Vishtindukadi Vati is an Ayurvedic formulation made by Patanjali Ayurved Limited, founded by Baba Ramdev. It is a natural supplement that is used to treat digestive disorders, including indigestion, bloating, gas, and constipation.
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
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