बैद्यनाथ गैसांतक बटी फायदे परिचय सेवन विधि

बैद्यनाथ गैसांतक बटी फायदे परिचय सेवन विधि Baidyanath Gaisantak Bati Fayade Upyog

वैद्यनाथ गैसांतक बटी : पेट की गैस, बदहज़मी, आफरा, दाएं तरफ फेफड़े के निचे का दर्द (गैस जनित) आदि विकारों में बैद्यनाथ गैसांतक बटी का उपयोग किया जाता है। यह वटी फॉर्म (टेबलेट) में आती है। आज के इस लेख में हम इस आयुर्वेदिक ओषधि के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे। आपसे निवेदन है की यदि आपको निचे दी गई कोई समस्या है, भले ही वो पाचन या पाचन तंत्र विकारों से सबंधित अन्य व्याधि, आप इस दवा का उपयोग करने से पूर्व वैद्य /चिकित्स्क से परामर्श अवश्य प्राप्त कर लेंवें, क्योंकि किसी भी व्यक्ति के विकार की जटिलता, अन्य ओषधियों का योग, उम्र और देशकाल का प्रभाव ओषधि की मात्रा के चयन और सेवन विधि पर होता है। 

बैद्यनाथ गैसांतक बटी के फायदे परिचय सेवन विधि Baidyanath Gaisantak Bati Ke Fayade Aur Upyog

बैद्यनाथ गैसांतक बटी क्या है Vaidynaath Gaisantak Bati Kya Hoti Hai ?

यह वटी के रूप में (टेबलेट) आयुर्वेदिक ओषधि है जिसका उपयोग पेट में उतपन्न होने वाली गैस के इलाज के लिए किया जाता है।

बैद्यनाथ गैसांतक बटी का उपयोग कब किया जाता है Baidyanath Gaisantak Bati Ka Upyog

बैद्यनाथ गैसांतक बटी का उपयोग निम्न अवस्थाओं में लाभकारी होता है -
  • पेट में अपच, पित्त के बिगड़ने से उतपन्न अपच और गैस की रोकथाम हेतु बैद्यनाथ गैसांतक बटी का उपयोग किया जाता है।
  • गैस ,पेट दर्द ,खट्टी डकारों आदि विकारों के निदान के लिए बैद्यनाथ गैसांतक बटी का उपयोग किया जाता है।
  • बैद्यनाथ गैसांतक बटी का उपयोग भोजन के पाचन और भूख बढ़ाने के लिए किया जाता है।

बैद्यनाथ गैसांतक बटी के फ़ायदे /लाभ Baidyanath Gaisantak Bati Ke Fayade (Benefits in Hindi)

बैद्यनाथ गैसांतक बटी के सेवन से निम्न फायदे/लाभ होते हैं :-

बैद्यनाथ गैसांतक बटी का फायदा गैस दूर करने में Baidyanath Gaisantak Bati Kare Gais Ko Door Hindi

कमज़ोर पाचन के कारण उतपन्न होने वाली गैस की रोकथाम के निदान के लिए बैद्यनाथ गैसांतक बटी का सेवन अत्यंत ही लाभकारी होता है। खराब पाचन के कारण आँतों में कुछ सूजन आ जाती है और गैस पैदा होने लगती है जो रिलीज़ नहीं हो पाती है इसलिए पेट में हल्का दर्द होने लगता है और सर दर्द आदि होने लगते हैं। बैद्यनाथ गैसांतक बटी के सेवन से पेट हल्का महशूस होता है और जमा गैस शरीर से अपान वायु के रूप में बाहर निकल जाती है। 

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बैद्यनाथ गैसांतक बटी का फ़ायदा पेट दर्द में Pet Dard Me Baidyanath Gaisantak Bati Ke Laabh

पेट दर्द खराब पाचन से जुड़ा हुआ विषय है। जब हम खाना खाने के तुरंत बाद ही पानी पी लेते हैं, या फिर खान पान का ध्यान नहीं रखते तो पित्त सही से कार्य नहीं कर पाता है और पेट में गैस पैदा होती है और इसी के कारण पेट में दर्द होने लग जाता है। आप ऐसी स्थिति में पाएंगे की दोपहर के खाने के बाद बहुत भारीपन शरीर में रहने लग जाता है और गैस बनती है जो रिलीज़ नहीं हो पाती है। यह गैस शाम के खाने के बाद रिलीज होती है जिससे पुरे दिन आपका सर भारी रहता है और कार्य में अरुचि उतपन्न होने लगती है। ऐसे में खाने के बाद आप पानी नहीं पिए और दो से तीन गैसांतक बटी को मुंह में रखकर धीरे धीरे चूंसे और लार के साथ इसके रस को निगलते जाएं। आप पाएंगे की आपका पेट हल्का रहने लगेगा और गैस जनित पेट दर्द भी शांत होगा।

खट्टी डकारों (बर्पिंग) में लाभकारी है बैद्यनाथ गैसांतक बटी Baidynath Gaisantak Bati Useful in burping or eructation Hindi

खट्टी डकारों के कई कारण होते हैं यथा ओवरइटिंग, पेट में इंफेक्शन, बदहजमी, समय पर भोजन नहीं करना, सिगरेट या शराब का अधिक सेवन, मानसिक अवसाद/टेंशन और ज्यादा मसालेदार भोजन का सेवन करना, खाने के तुरंत बाद पानी का सेवन, गरिष्ठ भोजन आदि। आप इन आदतों का त्याग कीजिये और बैद्यनाथ गैसांतक बटी का सेवन खट्टी डकारों में आपके लिए लाभकारी होगा।

पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है Baidynaath Gaisantak Bati Good for Digestion

बैद्यनाथ Gaisantak Bati पाचन को दुरुस्त करता है, इसके घटक यथा लहसुन, शुंठी ,अजवाइन, विड लवण, नौसादर व हींग इत्यादि सभी जठराग्नि को मजबूती देते हैं और पाचन को दुरुस्त करते हैं। बैद्यनाथ गैसांतक बटी एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन से तैयार ओषधि है जो गैस, हाइपरएसिडिटी, पेट फूलना और सूजन, खराब पाचन आदि में लाभकारी होता है। इसमें घरेलू जड़ी-बूटियों और मसाले जैसे अजवाइन, अदरक, हिंग और काला नमक होते हैं जो पाचन को सुधारने के अतिरिक्त रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी विकास करने में सहायक होते हैं।

बैद्यनाथ गैसांतक बटी के अन्य लाभ/फ़ायदे Other Benefits of Baidyanath Gaisantak Bati-

  • बैद्यनाथ गैसांतक बटी आँतों की सूजन कम करता है।
  • बैद्यनाथ गैसांतक बटी के सेवन से भूख जाग्रत होती है।
  • बैद्यनाथ गैसांतक बटी के सेवन से पाचन तंत्र मज़बूत बनता है।
  • गैस के कारण पेट फूलना विकार में लाभकारी होती है।
  • गैस के कारण सर का भारी रहना और अरुचि में लाभकारी होती है।
इस आयुर्वेदिक ओषधि के निर्माण के लिए निम्न घटक उपयोग में लिए जाते हैं।
  • चित्रक मूल Chitrak / चित्रक Plumbago zeylanica Comparative मूल (रूट)
  • पिपला मूल Long Pepper (पिपला मूल ) पिपला मूल (पिप्पली मूल)
  • सौंठ : English- Wet ginger root (वैट जिंजर रूट), जिंजर (Ginger), जिंजीबिल (Zingibil), कॉमन जिंजर (Common ginger)
  • लौंग : English (Lavanga in english) क्लोवस (Cloves), जंजिबर रैड हेड (Zanzibar red head), क्लोव ट्री (Clove tree), Clove (क्लोव)
  • शुद्ध हींग : Asafoetida (ऐसैफिटिडा)
  • अजवाइन : एजोवा सीड्स (Ajova seeds) एजोवन (Ajowan) कैरम (Carum or Carom Seeds) ओमम (Omum)
  • शंख भस्म : Shankh Bhasma
  • काला नमक : Black Salt
  • यवक्षार (Yavakshar)
  • नौसादर, (अमोनियम नीरेय)
  • भावना- निम्बू रस।

बैद्यनाथ गैसांतक बटी की कीमत : Baidyanath Gaisantak Bati Price

वर्तमान में बैद्यनाथ गैसांतक बटी के ४० ग्राम के पैकेट की कीमत रुपये ९९ है। आप इस हेतु बैद्यनाथ की ऑफिसियल वेबसाइट पर विजिट करके नवीनतम मूल्य की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

बैद्यनाथ गैसांतक बटी का सेवन विधि How to Use Baidynath Gaisantak Bati

बैद्यनाथ गैसांतक बटी की दो से तीन गोलियों को आप भोजन के उपरान्त अपने मुंह में रखकर चूसें तो अधिक उपयोगी रहती है। इसे पानी के साथ भी लिया जा सकता है। इसकी मात्रा और सेवन विधि से सबंधित जानकारी आप वैद्य से अवश्य प्राप्त कर लेंवे।

बैद्यनाथ गैसांतक बटी के दुष्परिणाम Side effect of Baidynaath Gaisantak Bati Hindi

वर्तमान में अभी इसके कोई ज्ञात दुष्परिणाम नहीं होते हैं। आप इसे आदत नहीं बनाएं और वैद्य की सलाह के उपरान्त ही सेवन करे।

बैद्यनाथ गैसांतक बटी के घटक की जानकारी Introduction of Ingredients of Baidynath Gaisantak Bati

सोंठ (Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae)

अदरक ( जिंजिबर ऑफ़िसिनेल / Zingiber officinale ) को पूर्णतया पकने के बाद इसे सुखाकर सोंठ बनायी जाती है। ताजा अदरक को सुखाकर सौंठ बनायी जाती है जिसका पाउडर करके उपयोग में लिया जाता है। अदरक मूल रूप से इलायची और हल्दी के परिवार का ही सदस्य है। अदरक संस्कृत के एक शब्द " सृन्ग्वेरम" से आया है जिसका शाब्दिक अर्थ सींगों वाली जड़ है (Sanskrit word srngaveram, meaning “horn root,”) ऐसा माना जाता रहा है की अदरक का उपयोग आयुर्वेद और चीनी चिकित्सा पद्धति में 5000 साल से अधिक समय तक एक टॉनिक रूट के रूप में किया जाता रहा है। सौंठ का स्वाद तीखा होता है और यह महकदार होती है। अदरक गुण सौंठ के रूप में अधिक बढ़ जाते हैं। अदरक जिंजीबरेसी कुल का पौधा है। अदरक का उपयोग सामान्य रूप से हमारे रसोई में मसाले के रूप में किया जाता है।

चाय और सब्जी में इसका उपयोग सर्दियों ज्यादा किया जाता है। अदरक के यदि औषधीय गुणों की बात की जाय तो यह शरीर से गैस को कम करने में सहायता करता है, इसीलिए सौंठ का पानी पिने से गठिया आदि रोगों में लाभ मिलता है। सामान्य रूप से सौंठ का उपयोग करने से सर्दी खांसी में आराम मिलता है। अन्य ओषधियों के साथ इसका उपयोग करने से कई अन्य बिमारियों में भी लाभ मिलता है। नवीनतम शोध के अनुसार अदरक में एंटीऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं जो शरीर से विषाक्त प्रदार्थ को बाहर निकालने में हमारी मदद करते हैं और कुछ विशेष परिस्थितियों में कैंसर जैसे रोग से भी लड़ने में सहयोगी हो सकते हैं। पाचन तंत्र के विकार, जोड़ों के दर्द, पसलियों के दर्द, मांपेशियों में दर्द, सर्दी झुकाम आदि में सौंठ का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। सौंठ के पानी के सेवन से वजन नियंत्रण होता है और साथ ही यूरिन इन्फेक्शन में भी राहत मिलती है।

सौंठ से हाइपरटेंशन दूर होती है और हृदय सबंधी विकारों में भी लाभदायी होती है। करक्यूमिन और कैप्साइसिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट के कारन सौंठ अधिक उपयोगी होता है। सौंठ गुण धर्म में उष्णवीर्य, कटु, तीक्ष्ण, अग्निदीपक, रुचिवर्द्धक पाचक, कब्जनिवारक तथा हृदय के लिए हितकारी होती है। सौंठ वातविकार, उदरवात, संधिशूल (जोड़ों का दर्द), सूजन आदि आदि विकारों में हितकारी होती है। सौंठ की तासीर कुछ गर्म होती है इसलिए विशेष रूप से सर्दियों में इसका सेवन लाभकारी होता है

सौंठ के प्रमुख फायदे Benefits of Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae) 
  • सर्दी जुकाम में सौंठ का उपयोग बहुत ही लाभकारी होता है। सर्दियों में अक्सर नाक बहना, छींके आना आदि विकारों में सौंठ का उपयोग करने से तुरंत लाभ मिलता है। शोध के अनुसार बुखार, मलेरिया के बुखार आदि में सौंठ चूर्ण का उपयोग लाभ देता है (1)
  • सौंठ / अदरक में लिपिड लेवल को कम करने की क्षमता पाई गई है जिससे यह वजन कम करने में भी सहयोगी होती है। एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सौंठ को पाया गया है। अदरक में लसिका स्तर को रोकने के बिना या बिलीरुबिन सांद्रता को प्रभावित किए बिना शरीर के वजन को कम करने की एक शानदार क्षमता है, जिससे पेरोक्सिसोमल कटैलस लेवल और एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। (2)
  • सौंठ के सेवन से पेट में पैदा होने वाली जलन को भी दूर करने में मदद मिलती है। पेट में गैस का बनाना, अफारा, कब्ज, अजीर्ण, खट्टी डकारों जैसे विकारों को दूर करने में भी सौंठ बहुत ही लाभकारी होती है। (3) मतली और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों में भी अदरक का चूर्ण लाभ पहुचाता है।
  • कई शोधों से यह स्पष्ट हो चुका है की अदरक में एंटी ट्यूमर के गुण होते हैं और साथ ही यह एक प्रबल एंटीओक्सिडेंट भी होता है।
  • Premenstrual syndrome (PMS) मतली आना और सर में दर्द रहने जैसे विकारों में भी सौंठ का उपयोग लाभ पंहुचाता है। माइग्रेन में भी सौंठ का उपयोग हितकर सिद्ध हुआ है (4)
  • सौंठ का उपयोग छाती के दर्द में भी हितकर होता है। सौंठ जैसे मसाले एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, और वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि वे ऊतक क्षति और रक्त शर्करा के उच्च स्तर और परिसंचारी लिपिड के कारण सूजन के प्रबल अवरोधक भी हैं। अदरक (Zingiber officinale Roscoe, Zingiberacae) एक औषधीय पौधा है जिसका व्यापक रूप से प्राचीन काल से ही चीनी, आयुर्वेदिक और तिब्बत-यूनानी हर्बल दवाओं में उपयोग किया जाता रहा है और यह गठिया, मोच शामिल हैं आदि विकारों में भी उपयोग में लिया जाता रहा है। अदरक में विभिन्न औषधीय गुण हैं। अदरक एक ऐसा यौगिक जो रक्त वाहिकाओं को आराम देन, रक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करने और शरीर दर्द से राहत देने के लिए उपयोगी है। (5)
  • सौंठ में एंटीइन्फ्लामेंटरीप्रॉपर्टीज होती हैं जो शरीर के विभिन्न भागों की सुजन को कम करती हैं और सुजन के कारण उत्पन्न दर्दों को दूर करती हैं। गठिया जैसे विकारों में भी सोंठ बहुत उपयोगी होती है। (6)
  • चयापचय संबंधी विकारों में भी अदरक बहुत ही उपयोगी होती है। (७)
  • क्रोनिक सरदर्द, माइग्रेन जैसे विकारों में भी सोंठ का उपयोग लाभकारी रहता है। शोध के अनुसार अदरक / सौंठ का सेवन करने से माइग्रेन जैसे विकारों में बहुत ही लाभ पंहुचता है। (८)
  • सौंठ में एंटी ओक्सिडेंट होते हैं जो शरीर से विषाक्त प्रदार्थों / मुक्त कणों को बाहर निकालने में मदद करता है। सौंठ के सेवन से फेफड़े, यकृत, स्तन, पेट, कोलोरेक्टम, गर्भाशय ग्रीवा और प्रोस्टेट कैंसर आदि विकारों की रोकथाम की जा सकती है। (9)
  • पाचन सबंधी विकारों को दूर करने के लिए भी सौंठ बहुत ही लाभकारी होती है। अजीर्ण, खट्टी डकारें, मतली आना आदि विकारों में भी सौंठ लाभकारी होती है। क्रोनिक कब्ज को दूर करने के लिए भी सौंठ का उपयोग हितकारी होता है। (10)
  • अदरक से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है और संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए भी यह बेहतर होती है।अदरक में प्रयाप्त एंटी ओक्सिदेंट्स, एंटी इन्फ्लामेंटरी प्रोपर्टीज होती हैं।
  • अदरक में अपक्षयी विकारों (गठिया ), पाचन स्वास्थ्य (अपच, कब्ज और अल्सर), हृदय संबंधी विकार (एथेरोस्क्लेरोसिस और उच्च रक्तचाप), उल्टी, मधुमेह मेलेटस और कैंसर सहित कई बीमारियों के इलाज की अद्भुद क्षमता है। (11)
  •  अदरक में पाए जाने वाले एंटी इन्फ्लामेंटरी गुणों के कारण यह दांत दर्द में भी बहुत ही उपयोगी हो सकती है। (12) 

पिप्पली

पीपली / पीपल पीपलामूल या बड़ी पेपर को Piper longum (पाइपर लोंगम)के नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में इसे कई नाम दिए गए हैं यथा पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, कणा, ऊषण, शौण्डी, कोला, तीक्ष्णतण्डुला, चञ्चला, कोल्या, उष्णा, तिक्त, तण्डुला, मगधा, ऊषणा आदि। बारिस की ऋतू में इसके पुष्प लगते हैं और शरद ऋतु में इसके फल लगते हैं। इसके फल बाहर से खुरदुरे होते हैं और स्वाद में तीखे होते हैं। आयुर्वेद में इसको अनेकों रोगों के उपचार हेतु प्रयोग में लिया जाता है। अनिंद्रा, चोट दर्द, दांत दर्द, मोटापा कम करने के लिए, पेट की समस्याओं के लिए इसका उपयोग होता है। पिप्पली की तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्मियों में इसका उपयोग ज्यादा नहीं करना चाहिए।

पिप्पल के मुख्य फायदे 
  • पिप्पली पाचन में सुधार करती है और भूख को जाग्रत करती है।
  • पिप्पली लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करती है।
  • पिप्पली चूर्ण के सेवन से सर दर्द में लाभ मिलता है।
  • नमक और हल्दी के साथ पिप्पली के चूर्ण से दांतों के दर्द में लाभ मिलता है।
  • पिप्पली चूर्ण को शहद के साथ लेने पर मोटापे में लाभ मिलता है, माटापा दूर होता है।
  • सर्दी झुकाम आदि विकारों में भी पिप्पली चूर्ण का लाभ मिलता है।
  • पिप्पली की तासीर गर्म होती है और यह कफ्फ को दूर करता है।
  • वात जनित विकारों में पिप्पली के चूर्ण से लाभ मिलता है।
  • दमा और सांस फूलना जैसे विकारों में भी पिप्पली चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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1 टिप्पणी

  1. Nice information