शिशु को स्तनपान ही क्यों? शिशु को छह माह तक स्तनपान ही क्यों करवाएं Importance of Breastfeeding

स्तनपान ही क्यों ? Importance of Breastfeeding

स्तनपान शिशु के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता है। स्तनपान से मिलने वाले पोषण की तुलना किसी अन्य माध्यम से की गयी फीडिंग से नहीं की जा सकती है। शिशु को स्तनपान से ४०० प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस सबंध में विस्तार से दिशा निर्देश जारी किये हैं। स्तनपान के सबंध में लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष ०१ अगस्त से ०७ अगस्त ०७ अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन किया जाता है। वैश्विक स्तर पर एक अनुमान के लिए छह माह तक की आयु के केवल ३८ प्रतिशत शिशुओं को ही माँ का दूध मिल पा रहा है। आइये जानते हैं की शिशु के लिए स्तनपान का महत्त्व क्या है और क्यों स्तनपान पर जोर दिया जाता है।

शिशु को स्तनपान ही क्यों? शिशु को छह माह तक स्तनपान ही क्यों करवाएं Importance of Breastfeeding

स्तनपान ही क्यों ? Importance of Breastfeeding

 शिशु को केवल माँ का ही दूध दिया जाना चाहिए। शिशु जब तक छह माह का नहीं हो जाय तब तक उसे केवल माँ का ही दूध पिलाना चाहिए। नवजात शिशु को माँ के दूध के अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की सर्दी है या गर्मी। हाईड्रेसन की पूर्ति बच्चे को माँ के दूध से ही हो जाती है। छः माह से कम उम्र के शिशु को अतिरिक्त पानी देने से कई बार शिशु के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव भी होता है यथा दूध कम पीना, पोषण का अभाव और पानी का नशा होना आदि। इसके अतिरिक्त नवजात शिशु को पानी पिलाने से ओरल वाटर इंटोक्सिकेशन का खतरा बना रहता है जिससे शिशु के मस्तिष्क और हृदय पर इसका विपरीत प्रभाव भी हो सकता है। नवजात शिशु को दूध ना पिलाकर पानी पिलाने से डाईरीआ और मैल्नूट्रिशन का खतरा भी बना रहता है। यह बात आपको समझनी चाहिए की जब तक आपका शिशु ठोस भोजन ग्रहण नहीं करता है उसकी पानी की आवश्यकता माँ के दूध से ही हो जाती है।

शिशु को केवल माँ का ही दूध क्यों पिलाना चाहिए 

शिशु को छह माह तक सिर्फ माँ का ही दूध पिलाना चाहिए इसके पीछे क्या कारण हैं आईये जानते हैं।

  • छह माह की आयु तक शिशु को केवल माँ के ही दूध की सलाह दी जाती है। इसका कारण है की माँ के दूध में ४०० प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो शिशु के सर्वांगीर्ण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।
  • माँ के दूध से शिशु को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त होती है जो उसे इस नाजुक आयु में विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाती है।
  • प्रसव के एक घंटे के भीतर माँ से शिशु को अत्यंत पोषक दूध प्राप्त होता है जिसे कॉलेस्ट्रन कहते हैं, शिशु के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता है।
  • माँ का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक होता है। इससे शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास होता है जो पुरे जीवन उसके काम आता है।
  • जिन शिशुओं को किसी कारन माँ का दूध प्राप्त नहीं हो पाता है उनका विकास अवरुद्ध हो जाता है और उन्हें बिमारियों के होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
  • शिशु को माँ के द्वारा स्तनपान करवाने से माँ को भी लाभ मिलता है और प्रसव के उपरांत उसका मानसिक तनाव कम होता है। माँ को ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा नहीं होता है।
  • माँ का दूध शिशु के जीवन के लिए जरूरी है, क्योंकि मां का दूध सुपाच्य होता है और इससे पेट की गड़बड़ियों की आशंका नहीं होती।
  • स्तनपान से दमा और कान की बीमारी पर नियंत्रण होता है, क्योंकि मां का दूध शिशु की नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है।
  • स्तनपान से शिशु को आगे चलकर रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है।
  • स्तनपान करानेवाली मां और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत बनता है।
  • प्रथम बार निकलने वाला दूध शिशु के लिए एक तरह से टीके का काम करता है। स्तन से निकलने वाला पीले रंग का द्रव, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, शिशु को संक्रमण से बचाने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का सबसे अच्छा उपाय होता है।
  • स्तनपान कराने वाली महिलाएं अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ होती हैं। स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को टाइप−2 डायबिटीज, रूमेटाइट आर्थराइटिस, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर व हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं होने की संभावना कम हो जाती है।
  • प्रसव के बाद जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी शिशु को माँ का दूध पिलाना चाहिए।
  • शुरुआती दूध की तुलना में शिशु के जन्म देने के 3 से 5 दिनों के बाद माँ के शरीर में बनने वाले दूध में सुधार हो जाता है और यह दूध ‘कोलोस्ट्रम’ की तुलना में ज्यादा पतला और सफेद होता है। इस दूध में आवश्यकतानुसार उतना ही पानी, मिठास, प्रोटीन और वसा होती है जितना शिशु की पलने-बढ़ने के जरूरी है। शिशु के पोषण के हिसाब से पोषक तत्वों की मात्रा घटती और बढ़ती रहती है। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होते हैं।
  • शिशु को छह माह तक पानी या गाय का दूध भी नहीं पिलाना चाहिए। इससे भी संक्रमण का खतरा बना रहता है।
  • पाउडर के दूध की तुलना में माँ का दूध प्राकृतिक होने के कारन ज्यादा सुपाच्य होता है और पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
  • स्तनपान हमेशा तैयार रहता है जबकि कृतिम रूप से दूध पिलाने में दूध बनाने, हाथ धोने, बोतल या बर्तन को कीटाणु मुक्त करने जैसे काम नहीं करने पड़ते।
  • स्तनपान से शिशु और माँ के बीच अपनापन बढ़ता है और इससे उनके रिश्ते को जो मज़बूती मिलती है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। पाउडर दूध के मामले में ऐसा नहीं होता।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ-साथ अमेरिकी बाल रोग अकादमी (आप-अमेरिकन अकॅडमी ऑफ पेदियट्रिक्स) सलाह देते हैं कि मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम पौष्टिक आहार होता है।
  • एक महीनें से एक साल की उम्र में शिशु में SIDS (अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण) का खतरा भी स्तनपान करवाने से कम हो जाता है।
  • मां के दूध में फैटी एसिड और DHA होता है जो शिशु में उच्च एकाग्रता और बेहतर दृष्टि के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा, मां के दूध नेत्र संक्रमण में भी लाभ मिलता है।
  • स्तनपान से शिशु का पाचन भी दुरुस्त रहता है और पेट की गड़बड़ियां भी नहीं होती हैं।
  • स्तनपान से दांतों का सही से विकास होता है और हाड़ियाँ मजबूत बनती हैं।
स्तनपान एक ऐसा तरीका है जिसमें एक माँ अपने बच्चे को अपने स्तनों से दूध पिलाती है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो मां और बच्चे के बीच एक मजबूत बंधन बनाने में मदद करती है। स्तनपान के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, दोनों बच्चे और माँ के लिए।

बच्चे के लिए स्तनपान के लाभ:
  • बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना: स्तन के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं।
  • बच्चे के पाचन तंत्र को विकसित करने में मदद करना: स्तन के दूध में लैक्टोज़ होता है, जो बच्चे के पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है।
  • बच्चे के विकास और वृद्धि को बढ़ावा देना: स्तन के दूध में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा होते हैं जो बच्चे के विकास और वृद्धि के लिए आवश्यक हैं।
  • बच्चे के मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देना: स्तन के दूध में महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे के मस्तिष्क के विकास को बढ़ावा देते हैं।
  • बच्चे को मोटापे से बचाना: स्तन के दूध में फॉर्मूला दूध की तुलना में कम वसा होती है।
  • बच्चे को एलर्जी से बचाना: स्तनपान करने वाले बच्चों को एलर्जी होने का खतरा कम होता है।
माँ के लिए स्तनपान के लाभ:
  • माँ के गर्भाशय को सिकोड़ने में मदद करना: स्तनपान करने से ऑक्सीटोसिन का स्तर बढ़ता है, जो एक हार्मोन है जो गर्भाशय को सिकोड़ने में मदद करता है।
  • माँ को प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव को कम करने में मदद करना: स्तनपान करने से प्रोस्टाग्लैंडिन का स्तर बढ़ता है, जो एक हार्मोन है जो रक्तस्राव को कम करने में मदद करता है।
  • माँ को वजन कम करने में मदद करना: स्तनपान करने से कैलोरी बर्न होती है।
  • माँ को स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर और टाइप 2 मधुमेह से बचाने में मदद करना: स्तनपान करने से इन कैंसर और मधुमेह के जोखिम कम हो सकते हैं।
  • स्तनपान क्यों महत्वपूर्ण है?

स्तनपान महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बच्चे को एक स्वस्थ शुरुआत प्रदान करता है। यह बच्चे को संक्रमण से बचाने में मदद करता है, उसके पाचन तंत्र को विकसित करने में मदद करता है, और उसके विकास और वृद्धि को बढ़ावा देता है। स्तनपान माँ के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह प्रसव के बाद की वसूली में मदद करता है और कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है।

स्तनपान कैसे शुरू करें?
स्तनपान शुरू करना आसान है। बस अपने बच्चे को अपने स्तन पर रखें और उसे निप्पल को मुंह में लेने दें। बच्चे को निप्पल और उसके आसपास के क्षेत्र को अच्छी तरह से चूसना चाहिए। यदि आपके बच्चे को स्तनपान करने में कठिनाई हो रही है, तो किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से मदद लें।

स्तनपान कैसे जारी रखें?
स्तनपान जारी रखना भी आसान है। बस अपने बच्चे को जब भी वह भूखा हो, तब स्तनपान कराएं। यदि आप काम पर हैं, तो आप एक स्तनपूर्तिकर्ता का उपयोग करके अपने स्तनों से दूध निकाल सकते हैं और इसे अपने बच्चे को बोतल में दे सकते हैं।

स्तनपान के लिए समर्थन कैसे प्राप्त करें?
स्तनपान के लिए कई प्रकार के समर्थन उपलब्ध हैं। आप अपने डॉक्टर, एक स्तनपान सलाहकार, या एक स्तनपान समर्थन समूह से मदद ले सकते हैं।

स्तनपान एक स्वस्थ और फायदेमंद तरीका है बच्चे को पोषण देने का। यदि आपके पास कोई प्रश्न या चिंताएँ हैं, तो कृपया किसी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें।
शिशु को छह माह तक स्तनपान करवाने के कई फायदे हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • स्तन का दूध शिशु के लिए सबसे अच्छा पोषण प्रदान करता है। इसमें शिशु के विकास और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व होते हैं।
  • स्तनपान से शिशु के विकास और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिलता है। इससे शिशु को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है।
  • स्तनपान से शिशु के पेट की बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है, जैसे कि दस्त, पेचिश और कान में संक्रमण।
  • स्तनपान से मां के लिए वजन घटाने में मदद मिलती है।
  • स्तनपान से मां के लिए कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है, जैसे कि स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा कैंसर।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश है कि शिशु को जन्म के बाद से कम से कम छह माह तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए। इसके बाद, शिशु को स्तनपान जारी रखते हुए ठोस आहार भी शुरू किया जा सकता है।

स्तनपान करवाने के लिए कुछ सुझाव:
स्तनपान को जन्म के तुरंत बाद शुरू करें।
शिशु को मांग पर स्तनपान कराएं।
शिशु को सही तरीके से स्तनपान कराएं।
स्तनपान के दौरान स्वस्थ आहार खाएं और भरपूर मात्रा में पानी पिएं।
यदि आपको स्तनपान में कठिनाई हो रही है, तो अपने डॉक्टर या किसी स्तनपान विशेषज्ञ से मदद लें।

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