आखों की रौशनी बढाए त्रिफला चूर्ण Improve Eye Sight with Trifala Churna

आखों की रौशनी बढाए त्रिफला चूर्ण Improve Eye Sight with Trifala Churna

 
आखों की रौशनी बढाए त्रिफला चूर्ण Improve Eye Sight with Trifala Churna

त्रिफला चूर्ण क्या है ?

त्रिफला चूर्ण के ना केवल पाचन विकार दूर होते हैं बल्कि यदि इसे सुबह के वक़्त सेवन किया जाय तो यह पोषक हो जाता है। त्रिफला का यदि रात को सेवन किया जाता है तो यह रेचक होता है,

आँतों की सफाई करता है। गैस, कब्ज और अजीर्ण से छुटकारा दिलाता है। यह त्रिदोष नाशक होता है। कमजोरी ही बिमारियों का घर होती है। यदि हम आयुर्वेद की शरण में जाकर त्रिफला का सेवन करते हैं तो इससे न केवल आँतों की सफाई होती है अपितु अनेकों रोगों में धीरे धीरे सुधार होता है।

आँखों के कमजोर होने के कारण

वर्तमान जीवन शैली में हमारी आँखों पर काफी दबाव होता है। भले ही मोबाइल, कंप्यूटर, टीवी हो या ऑफिस में देर तक बैठकर कृतिम रौशनी में काम करना। इन दबावों के बीच यह जरुरी हो जाता है की आप अपनी आखों का ध्यान रखे। आखों के कमजोर होने के सामान्य कारन निम्न हैं। लगातार मोबाइल की पास से देखना, जैसे मोबाइल पर मूवी आदि देखने के लिए हम मोबाइल को आखों के बहुत पास ले आते हैं जिससे आखों पर अधिक दबाव पड़ता है जिससे आखों के रौशनी कम होना और आखों की सूजन, आखों से पानी आना जैसे विकार उत्पन्न हो जाते हैं। ख़राब पाचन भी आखों की कमजोरी का एक कारन है। वैसे तो ज्यादातर विकारों का कारण ख़राब पाचन ही होता है। पाचन के सही तरीके से काम नहीं करने पर शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।  विटामिन A और C की कमी भी आखों के विकारों के लिए जिम्मेदार होते हैं। लम्बे समय तक टीवी और कंप्यूटर से भी आखों पर बहुत दबाव पड़ता है। 

प्रदूषित वातावरण में रहने से भी आखों की रौशनी कम हो जाती है। धूम्रपान और शराब की लत का होना।
अधिक गर्मी में रहने या मस्तिष्क की कमजोरी होने पर भी आखों के विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
आखों की देखभाल नहीं करने और बढ़ती उम्र के प्रभावों के कारण। ज्यादा देर तक कृतिम रौशनी में काम करने आदि से भी आखों के विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

आखों की रौशनी बढाए त्रिफला

आँखों की रौशनी की लिए भी त्रिफला बहुत ही कारगर ओषधि होता है। त्रिफला के सेवन के अलावा हम त्रिफला के पानी से आखों को भी साफ़ कर सकते हैं। रात को एक चम्मच त्रिफला पाउडर तो एक गिलास पानी में अच्छे से मिला कर भिगो दें। सुबह सूती कपडे से इसको छान कर आँखे धोये। थोड़े ही दिनों में आपको सुधार प्राप्त हो जाएगा।

इसके आलावा त्रिफला के चूर्ण के सेवन से विटामिन C और A की आपूर्ति शरीर को होती है। विटामिन C हमारी आखों और त्वचा के लिए विशेष लाभकारी होता है।

अधिक पढ़े : त्रिफला चूर्ण क्या होता है और इसके लाभ

डार्क सर्कल को दूर करें

त्रिफला के दो चम्मच चूर्ण का पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट को आखों के निचे और चेहरे पर जहाँ पर भी काले घेरे हों, लगाए। इसके दस से पंद्रह मिनट तक लगा रहने दें। अब इसे पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में आपके डार्क सर्कल और झाइयां दूर हो जाएगी।

त्रिफला के घटक : परिचय

आँवला

सामान्य रूप से आंवले के गुणों को पहचानकर हमारे घरों में ऋतू में इसकी सब्जी बनायीं जाती है और आंवले का मुरब्बा भी सेहत के लिए काम में लिया जाता है। आंवला भोजन भी है और आयुर्वेदिक दवा भी। इसका वनस्पति नाम एम्बलोका ऑफिजिनालिस या फ़िलेंथस इम्ब्लिका है। आंवला एक शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट हैं। आंवले का उपयोग विटामिन c के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। आंवले का उपयोग मुख्यतया एंटी-एजिंग को रोकने, संक्रमण की रोकथाम के लिए, आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए, बालों को सेहतमंद करने के लिए, और पाचन तंत्र को सुधारने के लिए किया जाता है।आंवले से लिवर भी मजबूत होता है।

भरड़ (बहेड़ा)

बहेड़ा एक ऊँचा पेड़ होता है और इसके फल को भरड कहा जाता है। बहेड़े के पेड़ की छाल को भी औषधीय रूप में उपयोग लिया जाता है। यह पहाड़ों में अत्यधिक रूप से पाए जाते हैं। इस पेड़ के पत्ते बरगद के पेड़ के जैसे होते हैं। इसे हिन्दी में बहेड़ा, संस्कृत में विभीतक के नाम से जाना जाता है। भरड पेट से सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। यह पित्त को स्थिर और नियमित करता है। कब्ज को दूर करने में ये गुणकारी है। यह कफ को भी शांत करता है। भरड एंटी ओक्सिडेंट से भरपूर होता। अमाशय को शक्तिशाली बनाता है और पित्त से सबंदित दोषों को दूर करता है। क्षय रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है। भरड में कई तरह के जैविक योगिक होते हैं जैसे की ग्‍लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि जो की बहुत लाभदायी होते हैं।

हरड़

हरड को हरीतकी भी के नाम से भी जाना जाता है। हरीतिकी के पेड़ से प्राप्‍त सूखे फल है जिन्‍हें हरड़ कहा जाता है। हरीतकी (Haritaki) का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम टर्मिनालिया केबुला (Terminalia chebula) है। इसके अन्य नाम हैं हरड, कदुक्‍कई, कराकाकाया, कदुक्‍का पोडी, हर्रा और आयुर्वेद में इसे कायस्था, प्राणदा, अमृता, मेध्या, विजया आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। पेट से सबंधित व्याधियों जैसे की अपच, पाचन शक्ति का दुर्बल होना, बवासीर होना दस्त आदि में इसका उपयोग असरदायक होता है। हरड विटामिन C का एक अच्छा स्रोत होता है। चरक सहिता में हरड के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है।


अधिक पढ़े : त्रिफला चूर्ण क्या होता है और इसके लाभ

मोतियाबिंद दूर करे त्रिफला

त्रिफला मोतियाबिंद को दूर करने में मदद कर सकता है। त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायबिटीज गुण होते हैं, जो मोतियाबिंद के विकास को रोकने और आंखों की रोशनी को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। त्रिफला के चूर्ण को सुबह-शाम ताजे पानी और शहद के साथ मिलाकर खाने से मोतियाबिंद को दूर करने में मदद मिल सकती है। त्रिफला के चूर्ण में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आंखों में फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाने में मदद करते हैं, जो मोतियाबिंद का एक प्रमुख कारण है। त्रिफला के चूर्ण में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी आंखों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो मोतियाबिंद के विकास में योगदान कर सकता है।

त्रिफला के चूर्ण के पानी से आंखों को धोने से भी मोतियाबिंद को दूर करने में मदद मिल सकती है। त्रिफला के चूर्ण में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण आंखों में मौजूद हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने और आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। त्रिफला मोतियाबिंद को दूर करने के लिए एक सुरक्षित और प्राकृतिक उपाय है। हालांकि, त्रिफला का सेवन करने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना उचित है।

आंखों के लिए त्रिफला कैसे फायदेमंद होता है?

त्रिफला आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए एक प्रभावी उपाय है। त्रिफला में विटामिन ए, एंटीऑक्सीडेंट, और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

त्रिफला के चूर्ण को रात भर मिट्टी के बर्तन में भिगोकर छोड़ देने से उसमें मौजूद पोषक तत्व पानी में घुल जाते हैं। सुबह इस पानी से आंखों को धोने से आंखों में मौजूद हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। यह आंखों की रोशनी बढ़ाने और आंखों की अन्य समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।

गाजर का जूस

गाजर का जूस आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। गाजर में विटामिन ए, बीटा-कैरोटीन, और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व होते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।
विटामिन ए आंखों को अंधेरे में देखने में मदद करता है। बीटा-कैरोटीन आंखों में ल्यूटिन और ज़ेक्सैन्थिन का उत्पादन करता है, जो आंखों को उम्र से संबंधित मैकुलर डिजनरेशन (AMD) से बचाने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट आंखों को फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। गाजर का जूस पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है, आंखों की सूजन कम होती है, और आंखों की अन्य समस्याओं से बचाव होता है।


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The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
 
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