त्रिफला चूर्ण के फायदे Trifala Churna Ke Fayade Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे Trifala Churna Ke Fayade Hindi

त्रिफला तीन फलों का योग होता है। त्रिफला से तात्पर्य तीन फल हरड़( हरितकी -Terminalia chebula), भरड़ ( बिभीतक -बहेडा-Terminalia bellirica ) और आंवला (अमलकी-Emblica officinalis) से होता है। इन तीनों को निश्चित आयुर्वेदिक अनुपात (3 :2 :1 ) यानी 1 भाग हरड, 2 भाग भरड़ , 3 भाग आंवला का लेकर इनका मिश्रण (पालीहर्बल) तैयार किया जाता है। यह चूर्ण अवस्था में लिया जाता है जिसे तैयार करने के लिए इनके बीज निकालकर इन्हे सुखाने के बाद इनका चूर्ण बना लिया जाता है। 
 
आयुर्वेद में त्रिफला को "अमृत" बताया गया है जो इसके गुणों के बारे में बताने के लिए काफी है। आयुर्वेद एक सम्पूर्ण चिकित्सा है और ये भारतीय ऋषि मुनियों के द्वारा जांचे परखे और आजमाएं गए तरीकों पर आधारित है। आयुर्वेद का इतिहास लगभग ५००० वर्ष पुराना रहा है। चरक संहिता में त्रिफला के गुणों का विस्तार से परिचय प्राप्त होता है। यह चमत्कारी चूर्ण वात, कफ और पित्त को स्थिर करता है। दुनिया में त्रिफला ही एक मात्र ऐसी औशधि है जो वात कफ और पित्त को शांत करता है। 
 
त्रिफला चूर्ण के फायदे Trifala Churna Ke Fayade Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे Trifala Churna Ke Fayade What is Trifala Churna त्रिफला के घटक Ingredients of Trifala Churna


त्रिफला चूर्ण में तीन प्रमुख विभिन्न गुणों से युक्त फल होते हैं जिनके बारे में जानना लाभदायक होगा। 
 

त्रिफला चूर्ण क्या है – What is Triphala Churna in Hindi

हरड़ (Haritaki)

हरड को हरीतकी भी के नाम से भी जाना जाता है। हरीतिकी के पेड़ से प्राप्‍त सूखे फल है जिन्‍हें हरड़ कहा जाता है। हरीतकी (Haritaki) का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम टर्मिनालिया केबुला (Terminalia chebula) है। इसके अन्य नाम हैं हरड, कदुक्‍कई, कराकाकाया, कदुक्‍का पोडी, हर्रा और आयुर्वेद में इसे कायस्था, प्राणदा, अमृता, मेध्या, विजया आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। पेट से सबंधित व्याधियों जैसे की अपच, पाचन शक्ति का दुर्बल होना, बवासीर होना दस्त आदि में इसका उपयोग असरदायक होता है। हरड विटामिन C का एक अच्छा स्रोत होता है। चरक सहिता में हरड के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है।

भरड़ (बहेड़ा)

बहेड़ा एक ऊँचा पेड़ होता है और इसके फल को भरड कहा जाता है। बहेड़े के पेड़ की छाल को भी औषधीय रूप में उपयोग लिया जाता है। यह पहाड़ों में अत्यधिक रूप से पाए जाते हैं। इस पेड़ के पत्ते बरगद के पेड़ के जैसे होते हैं। इसे हिन्दी में बहेड़ा, संस्कृत में विभीतक के नाम से जाना जाता है। भरड पेट से सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। यह पित्त को स्थिर और नियमित करता है। कब्ज को दूर करने में ये गुणकारी है। यह कफ को भी शांत करता है। भरड एंटी ओक्सिडेंट से भरपूर होता। अमाशय को शक्तिशाली बनाता है और पित्त से सबंदित दोषों को दूर करता है। क्षय रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है। भरड में कई तरह के जैविक योगिक होते हैं जैसे की ग्‍लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि जो की बहुत लाभदायी होते हैं। 

आँवला

सामान्य रूप से आंवले के गुणों को पहचानकर हमारे घरों में ऋतू में इसकी सब्जी बनायीं जाती है और आंवले का मुरब्बा भी सेहत के लिए काम में लिया जाता है। आंवला भोजन भी है और आयुर्वेदिक दवा भी। इसका वनस्पति नाम एम्बलोका ऑफिजिनालिस या फ़िलेंथस इम्ब्लिका है। आंवला एक शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट हैं। आंवले का उपयोग विटामिन c के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। आंवले का उपयोग मुख्यतया एंटी-एजिंग को रोकने, संक्रमण की रोकथाम के लिए, आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए, बालों को सेहतमंद करने के लिए, और पाचन तंत्र को सुधारने के लिए किया जाता है।आंवले से लिवर भी मजबूत होता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे Trifala Churna Ke Fayade Hindi What is Trifala Churna आइये जानते हैं की त्रिफला के क्या गुण हैं और इसे आयुर्वेद में अमृत क्यों बताया गया है। 

 
त्रिफला चूर्ण के फायदे पेट सबंधित बिमारियों के उपचार के लिए : त्रिफला वात, कफ्फ, और पित्त को शांत करके उन्हें स्थिर अनुपात में रखता है। त्रिफला चूर्ण के अनेकों विधियों से सेवन क्या जाता है। जिस विधि से इसे लिया जाता है उसी के अनुसार इसके परिणाम प्राप्त होते हैं। त्रिफला के चूर्ण को रात को खाना खाने के बात आधे घंटे के बाद गुनगुने पानी के साथ (एक चम्मच-5 ग्राम) लिया जाय तो यह गैस, अपच, खट्टी डकार, कब्ज का अंत करता है। सुबह पेट सही से साफ़ हो जाता है। कब्ज स्वंय कई बिमारियों का जनक होता है। कब्ज के कारण मुंह में छाले, स्वाद का बेस्वाद होना, अल्सर आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। फाइबर के कारण मल त्यागने में आसानी होती है और मल ढीला लगता है। आँतों के अंदरूनी सतहों को साफ़ करता है और वर्षों से चिपके कचरे को शरीर से बाहर निकालता है। सामान्यतयः हम समझते हैं की हमें मल सही से लग रहा है लेकिन वर्तमान में प्रचलित खाद्य प्रदार्थों के कारण आँतों की सही से सफाई नहीं हो पाती है। आँतों की सतहों पर चिपके अपशिष्ट के कारण भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा पहुचती है, त्रिफला चूर्ण सतह पर जमे मल को साफ़ कर देता है।

यदि कब्ज ज्यादा हो तो त्रिफला के साथ इसबगोल की भूसी को गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर होता है। रात को त्रिफला रेचक (आँतों की साफ सफाई करने वाला ) का काम करता है। त्रिफला के चूर्ण को गौमूत्र के साथ सेवन करने से अफारा, उदर शूल, प्लीहा वृद्धि आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।

पेट के कीड़े समाप्त करने के लिए त्रिफला का चूर्ण अत्यंत लाभदायक होता है। रिंगवॉर्म या टेपवॉर्म जैसे आँतों के कीड़े त्रिफला से समाप्त हो जाते हैं और त्रिफला का गुण है की ये लाल रक्त कणिकाओं को बढ़ाता है जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे Trifala Churna Ke Fayade Hindi What is Trifala Churna त्रिफला क्या होता है ? Trifla Churn Kya Hota Hai Hindi

त्रिफला चूर्ण के फायदे आँखों की ज्योति बढ़ाये

त्रिफला चूर्ण लेने से आखों की ज्योति का विकास होता है। आखों की मास्पेशियाँ सुद्रढ़ होती हैं। यदि आखों में जलन और लाल होती है तो त्रिफला का चूर्ण बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है। आखों में पानी आने की व्याधियों के लिए त्रिफला के चूर्ण को रात में ताम्बे या मिटटी के बर्तन में पानी के साथ भिगो दें और सुबह उसे कपडे से छान लें और उसके पानी से आखों धोये। मोतियाबिंद में सुधार होता है। सुबह पानी में त्रिफला चूर्ण भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें इससे आखों की रोशनी बढ़ती है।
 

पाचन के लिए त्रिफला के फायदे

त्रिफला पाचन के लिए एक बहुत ही अच्छा उपाय है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो तीन फलों से बनी है: हरीतकी, आंवला और बहेड़ा। त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
त्रिफला के पाचन के लिए कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
  • त्रिफला कब्ज को दूर करने में मदद करता है। इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो मल को नरम करने में मदद करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।
  • त्रिफला पाचन रसों के उत्पादन को बढ़ाता है। यह पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है और भोजन को ठीक से पचाने में मदद करता है।
  • त्रिफला पेट में सूजन को कम करने में मदद करता है। यह पेट में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
  • त्रिफला पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और संक्रमण से बचाता है।
त्रिफला का सेवन करने के कई तरीके हैं। इसे पानी में मिलाकर, जूस में मिलाकर या कैप्सूल के रूप में लिया जा सकता है। 

यहां कुछ विशिष्ट तरीके दिए गए हैं जिनसे त्रिफला पाचन में मदद कर सकता है:
  1. फाइबर की मात्रा बढ़ाकर: त्रिफला में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो मल को नरम करने में मदद करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।
  2. पाचन रसों के उत्पादन को बढ़ाकर: त्रिफला पाचन रसों के उत्पादन को बढ़ाता है, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  3. सूजन को कम करके: त्रिफला पेट में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
  4. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखकर: त्रिफला पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और संक्रमण से बचाता है।

कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे

कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदेत्रिफला चूर्ण कब्ज के लिए एक बहुत ही प्रभावी उपाय है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो तीन फलों से बनी है: हरीतकी, आंवला और बहेड़ा। त्रिफला में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कब्ज को दूर करने में मदद करते हैं। त्रिफला चूर्ण कब्ज के लिए निम्नलिखित तरीकों से मदद करता है:
  • फाइबर की मात्रा बढ़ाकर: त्रिफला चूर्ण में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है जो मल को नरम करने में मदद करता है और मल त्याग को आसान बनाता है।
  • पाचन रसों के उत्पादन को बढ़ाकर: त्रिफला चूर्ण पाचन रसों के उत्पादन को बढ़ाता है, जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • सूजन को कम करके: त्रिफला चूर्ण पेट में सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।
  • पाचन तंत्र को स्वस्थ रखकर: त्रिफला चूर्ण पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और संक्रमण से बचाता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे मधुमेह में लाभदायक

त्रिफला मधुमेह में भी उपयोगी होता है। आंवला, कोशिकाओं के पृथक समूह को प्रेरित करता है जो हार्मोन इंसुलिन को छिपाने के साथ-साथ मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को कम करते हैं और शरीर को संतुलित और स्वस्थ रखते हैं। मधुमेह के लिए त्रिफला का उपयोग सुबह किया जाता है। त्रिफला चूर्ण कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन की खपत के स्तर को नियमित करता है जिससे हमें अतिरिक्त इंसुलिन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे रक्तचाप को करे नियंत्रित

त्रिफला चूर्ण का लाभ रक्तचाप में भी होता है। त्रिफला चूर्ण एंटी-स्पैस्मोडिक गुणो से युक्त होता है जो रक्तचाप के स्तर को सामान्य बनाता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। हृदय रोगों के लिए भी त्रिफला उपयोगी होता है। मांसपेशियों को मजबूती देता है और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। रक्त वाहिनी नालियों को साफ़ करने में इसका प्रभाव होता है। त्रिफला चूर्ण लिपिड को भी नियंत्रित करने में असरदायक होता है। इसके उपयोग से सीरम कोलेस्ट्रॉल घटता है और रक्त में लाइपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड का स्तर नियमित होता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे मोटापा दूर करने में उपयोगी

त्रिफला वजन घटाने में भी उपयोगी होता है। त्रिफला चूर्ण से मोटापा कम होता है और इसके लिए किसी जिम जाने या डाइट प्लान की कोई आवश्यकता नहीं होती है। त्रिफला से लाल रक्त कणिकाओं का बनना बढ़ जाता है जिससे अतिरिक्त वसा दूर होती है। इसके लिए इसे काढ़े के रूप में अगर कोई ले तो लाभ होता है। त्रिफला में शहद मिलाकर लेने से भी वजन कम होता है। मोटापा बढ़ने से कई बीमारियाँ जैसे टाइप-2 मधुमेह , उच्च रक्तचाप, ह्रदय की बीमारियाँ भी हो सकती हैं। शरीर से टॉक्सिक बाहर निकलने से शरीर स्वस्थ रहता है। एक चम्मच रोज त्रिफला लेने से मोटापा घटता है। त्रिफला में विटामिन C प्रचुर मात्रा में होता है जो अतिरिक्त फैट को काटता है। जल्दी मोटापा दूर करने की लिए गुनगुने पानी में त्रिफला के चूर्ण को भिगों दे और पूरी रात उसे भीगने दें। सुबह उसे कपडे से छान लें और उसे शहद मिलाकर लें। यदि ताम्बे के बर्तन में त्रिफला भिगोया जाय तो परिणाम और अधिक लाभदायक होते हैं। त्रिफला लेने के १ घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।

त्रिफला चूर्ण के फायदे त्वचा के लिए

त्रिफला के सेवन से त्वचा सबंधी बीमारियां भी दूर होती हैं। इसके सेवन से मृत त्वचा झड़ जाती है और रोम छिद्र खुलते हैं जिससे त्वचा में निखार आता है। त्रिफला रक्त साफ़ करता है जिससे कील मुँहासे नहीं होते हैं और यह कोलेजन के निर्माण में सहायक होता है। पिग्मेंटेशन से त्वचा सबंधी रोग दूर होते हैं। विटामिन C के कारन त्वचा का रूखापन, झुर्रियां दूर होती हैं। आंवले के एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारन बढ़ती उम्र के प्रभाव भी कम होते हैं। त्रिफला रक्त शोधक होता है जो की त्वचा के लिए भी उपयोगी और लाभप्रद है। यह त्वचा के संक्रमण को भी दूर करता है।

त्रिफला चूर्ण के फायदे दांतों की मजबूती के लिए

त्रिफला एक और इसके गुण अनेक, जी हाँ त्रिफला दाँतों के लिए भी एक औषधि हैं। त्रिफला के एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी बक्ट्रियल गुणों के कारण दाँतों की समस्याओं में भी इसका उपयोग लाभप्रद होता है। रात को त्रिफला को भिगो कर रख दें और सुबह इसको कपडे से छान लें और ब्रश करने के बाद त्रिफला के पानी को थोड़ी देर तक मुँह में रखे। इससे मसूड़ों और दातों में संक्रमण नहीं होता है और दांत दर्द में भी राहत मिलती ही। ऐसा दिन में दो से तीन बार तक करें और सांस की बदबू से भी निजाद पाएं।

त्रिफला चूर्ण के फायदे बालों को रखे तंदुरुस्त

त्रिफला में पाए जाने वाले विटामिन C के कारण से बाल नहीं झड़ते हैं और काले और घने बने रहते हैं। त्रिफला के सेवन के साथ यदि इसका पेस्ट बनाकर नहाने से पहले १५ मिनट तक बालों में लगाने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। दूसरी विधि के लिए दो चम्मच त्रिफला के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबल लें और ठंडा होने पर छान कर नहाने से पहले बालों में इसकी मालिस करे। जड़ों तक इसे लगाए। थोड़ी देर बाद इसे साफ़ कर लें, झड़ते बालों से मुक्ति मिलेगी और आपके बाल भी स्वस्थ बने रहेंगे।

त्रिफला चूर्ण के फायदे मूत्र सबंधी रोगों का इलाज

त्रिफला से मूत्र सबंधी विकार भी दूर होते हैं। जब आप त्रिफला का सेवन करते हैं तो मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है जिससे गुर्दे से विषाक्त प्रदार्थ तेजी से बाहर निकलते हैं और मूत्र नली के संक्रमण में भी राहत मिलती है।

मासिक धर्म में भी उपयोगी

त्रिफला लेने से मासिक धर्म में होने वाली सूजन और ऐंठन में भी लाभ प्राप्त होता है। त्रिफला में कुछ ऐसे खनिज और विटामिन्स का ऐसा मिश्रण होता है जो मासिक धर्म में होने वाले विकारों में लाभदायक होता है।

बढ़ती उम्र के असर को करे कम

त्रिफला एंटी एजिंग भी होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन्स C होता है जो बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करता है। त्वचा चमकदार बनी रहती है और झुर्रियां समाप्त होती है और इसके साथ ही बाल भी नहीं झड़ते हैं। आँवले में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट शरीर को नयी स्फूर्ति देते हैं और मुक्त कणों को शरीर से बाहर निकालते हैं।

त्रिफला से कैंसर की रोक थाम

शोध (पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय ) से पता चला है की त्रिफला में कैंसर के सेल्स को समाप्त करने के गुण भी विद्यमान हैं। पाचन ग्रंथि में होने वाले कैंसर की रोक थाम में त्रिफला के परिणाम सकारात्मक देखे गए हैं। त्रिफला ख़राब हो चुकी ग्रंथियों को बिना जहरीला प्रभाव छोड़े समाप्त कर सकता है और ट्यूमर के आकर को भी कम कर सकता है। इसके लिए अभी अनुसंधान प्रगति पर है और आशा है की त्रिफला से कैंसर के इलाज के लिए कोई दवा शीघ्र ही बना ली जाएगी।

त्रिफला चूर्ण के फायदे त्रिफला के अन्य लाभ/फायदे : Benefits of Trifala Churna Hindi

  1. त्रिफला के नियमित सेवन से दाद खाज में आराम मिलता है। त्वचा से सबंधी रोगों के रोकथाम में मदद मिलती है।
  2. इसके नियमित सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
  3. त्रिफला के काढ़े से घाव को धोने से घाव जल्दी भरता है और ये एंटीसेप्टिक की तरह से कार्य करता है।
  4. इसके नियमित सेवन से शरीर में छोटे मोटे रोग आसानी से नहीं लगते हैं और शरीर रोगमुक्त बना रहता है।
  5. त्रिफला के सेवन से वात, कफ और पित्त नियंत्रित रहता है।
  6. इसके सेवन से अल्सर नहीं होते हैं।
  7. रक्त में बुरे कोलेस्ट्रॉल कम करता है और रक्त वाहिनिओं की सफाई करता है।
  8. बालों में लगाने से बाल कम झड़ते हैं और रुसी आदि विकार नहीं होते हैं। बाल चमकदार और स्वस्थ बनते हैं।
  9. हृदय रोगों के लिए और मधुमेह के मरीजों को इसे नियमित लेना चाहिए।
  10. डेंगू के दौरान भी त्रिफला लाभदायी होता है।
  11. गाय के घी में शहद मिलाकर इसे त्रिफला के साथ लेने पर आखों से सबंधित विकार दूर होते हैं।
  12. एक चम्मच रोज त्रिफला लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
  13. त्रिफला के काढ़े में शहद मिलाकर लेने से मोटापा दूर होता है।
  14. वात के कारण होने वासे सिरदर्द में त्रिफला उपयोगी होता है।

त्रिफला लेने का तरीका Doses of Trifala Churna

महत्वपूर्ण है की रात के समय लिया जाने वाला त्रिफला रेचक (अपशिस्ट दूर करने वाला ) होता है और सुबह इसके सेवन करने से शरीर में विटामिन्स, मिनरल्स की पूर्ति होती है, ये सुबह या दिन में पोषक का काम करता है इसलिए दिन में लिए जाने वाले त्रिफला को "पोषक" कहते हैं। रात में त्रिफला को गर्म पानी और दूध के साथ लिया जाता है और दिन में शहद या गुड़ के साथ।

ग्रीष्म ऋतू 14 मई से 13 जुलाई तक त्रिफला को गुड़ 1/4 भाग मिलाकर सेवन करना चाहिए।
वर्षा ऋतू 14 जुलाई से 13 सितम्बर तक त्रिफला के साथ सैंधा नमक 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |
शरद ऋतू 14 सितम्बर से 13 नवम्बर तक त्रिफला के साथ देशी खांड 1/4 भाग मिलाकर सेवन करना चाहिए।
हेमंत ऋतू 14 नवम्बर से 13 जनवरी के बीच त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |
शिशिर ऋतू 14 जनवरी से 13 मार्च के बीच पीपल छोटी का चूर्ण 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |
बसंत ऋतू - 14 मार्च से 13 मई के दौरान इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।

त्रिफला के सेवन में सावधानियां

त्रिफला का वैसे तो कोई बहुत बड़ा साइड इफ्फेक्ट नहीं होता है, भी चिकित्सक की राय के अनुसार त्रिफला का सेवन किया जाना चाहिए। पतंजलि चिकित्सालय में इसके बारे में राय ली जा सकती है। त्रिफला लेने में कुछ सावधानियां हैं जो निचे वर्णित हैं।
  1. गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान त्रिफला का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। गर्भ में पल रहे बच्चे पर इसका नकारात्मक प्रभाव हो सकता है।
  2. कुछ लोगों को आंवले से एलर्जी होती है उनको त्रिफला लेने से पेट दर्द और ऐंठन आदि हो सकती है। इस हेतु चिकित्सक की राय लेवे।
  3. त्रिफला मूत्रल गुण (अधिक और बार बार मूत्र लाने वाला ) का होता है इसलिए रात नींद सबंधी विकार पैदा हो सकते हैं।
  4. कुछ लोगों को त्रिफला से हाइपरएसिडिटी हो सकती है।
  5. लम्बे समय तक यदि त्रिफला का सेवन करना हो तो कुछ समय के लिए त्रिफला लेना बंद कर देना चाहिए इससे इसकी आदत नहीं पड़ती है, मतलब कुछ समय के अंतराल से इसे बंद कर दे और फिर पुनः शुरू कर दें।
  6. ६ वर्ष से छोटे बच्चों को त्रिफला ना दें।
  7. अधिक मात्रा में त्रिफला लेने से शरीर डीहाइड्रेड होने का खतरा होता है क्यों की ये तेजी से मल को शरीर से बाहर निकलता है जिससे शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। ज्यादा मात्रा में त्रिफला लेने से दस्त भी लग सकते हैं।
  8. हृदय की बिमारियों के लिए किसी चिकित्सक की सलाह से ही त्रिफला का सेवन करे क्योंकि ये रक्तचाप को कुछ समय के लिए स्थानांतरित कर सकता है।
  9. त्रिफला की तासीर गर्म होती है इसलिए इसकी अधिक मात्रा शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है।

कैसे बनाये त्रिफला चूर्ण

त्रिफला का चूर्ण बाजार में बना बनाया मिलता है। पतंजलि का त्रिफला चूर्ण किफायती दरों पर उपलब्ध हैं। फिर भी यदि आप स्वंय त्रिफला का चूर्ण घर पर ही बनाना चाहते हैं तो इसे आसानी से घर पर भी बनाया जा सकता है।

  • सबसे पहले तो आंवले के सीजन में आप ताजे आंवले को धूप में सूखा लें। सूखे हुए आंवले आप सीधे भी मुँह में रखकर सुपारी की तरह से उपयोग में ले सकते हैं। हरड़ और भरड़ (बहेड़ा) आप बाजार से किसी पंसारी की दुकान से खरीद लें और विशेष रूप से ध्यान रखें की ये उच्च गुणवत्ता के हों। इनकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें और ये 3 : 2 : 1 के अनुपात में रखें। उदहारण के रूप में 300 ग्राम आंवला लें, 200 ग्राम बहेड़ा और 100 ग्राम हरड़ को लें।
  • तीनों को अच्छे से अच्छे से किसी कूटने के पात्र में महीन कूट लें। कुटे हुए मिश्रण को मिक्सी में अच्छे से पीस लें और फिर सूती कपडे से कपड़छान कर लें। हो सकते उतना इसे महीन पीसना लाभदायद होता है। अब इसे किसी हवाबंद डिब्बे में स्टोर करे। 

पतंजलि का त्रिफला चूर्ण : पतंजलि के द्वारा उच्च गुणवत्ता का त्रिफला चूर्ण बाजार में उपलब्ध है जिसे आप नजदीकी पतंजलि स्टोर / चिकित्सालय से खरीद सकते हैं। ये आपको किफायती दरों पर उपलब्ध हो जाता है। यदि आप इस विषय में और अधिक जानना चाहते हैं या ऑनलाइन खरीदना चाहते हैं तो पतंजलि की ऑफिसियल वेब पेज जिसका लिंक निचे दिया गया है विजिट करें। 
 
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. Lyricspandits.blogspot.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
 
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1 टिप्पणी

  1. फायदेमंद जानकारी।