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त्रिफला चूर्ण के फायदे
त्रिफला चूर्ण क्या है
हरड़ (Haritaki)
हरड को हरीतकी भी के नाम से भी जाना जाता है। हरीतिकी के पेड़ से प्राप्त सूखे फल है जिन्हें हरड़ कहा जाता है। हरीतकी (Haritaki) का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम टर्मिनालिया केबुला (Terminalia chebula) है। इसके अन्य नाम हैं हरड, कदुक्कई, कराकाकाया, कदुक्का पोडी, हर्रा और आयुर्वेद में इसे कायस्था, प्राणदा, अमृता, मेध्या, विजया आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। पेट से सबंधित व्याधियों जैसे की अपच, पाचन शक्ति का दुर्बल होना, बवासीर होना दस्त आदि में इसका उपयोग असरदायक होता है। हरड विटामिन C का एक अच्छा स्रोत होता है। चरक सहिता में हरड के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है।भरड़ (बहेड़ा)
बहेड़ा एक ऊँचा पेड़ होता है और इसके फल को भरड कहा जाता है। बहेड़े के पेड़ की छाल को भी औषधीय रूप में उपयोग लिया जाता है। यह पहाड़ों में अत्यधिक रूप से पाए जाते हैं। इस पेड़ के पत्ते बरगद के पेड़ के जैसे होते हैं। इसे हिन्दी में बहेड़ा, संस्कृत में विभीतक के नाम से जाना जाता है। भरड पेट से सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। यह पित्त को स्थिर और नियमित करता है। कब्ज को दूर करने में ये गुणकारी है। यह कफ को भी शांत करता है। भरड एंटी ओक्सिडेंट से भरपूर होता। अमाशय को शक्तिशाली बनाता है और पित्त से सबंदित दोषों को दूर करता है। क्षय रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है। भरड में कई तरह के जैविक योगिक होते हैं जैसे की ग्लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि जो की बहुत लाभदायी होते हैं।आँवला
सामान्य रूप से आंवले के गुणों को पहचानकर हमारे घरों में ऋतू में इसकी सब्जी बनायीं जाती है और आंवले का मुरब्बा भी सेहत के लिए काम में लिया जाता है। आंवला भोजन भी है और आयुर्वेदिक दवा भी। इसका वनस्पति नाम एम्बलोका ऑफिजिनालिस या फ़िलेंथस इम्ब्लिका है। आंवला एक शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट हैं। आंवले का उपयोग विटामिन c के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। आंवले का उपयोग मुख्यतया एंटी-एजिंग को रोकने, संक्रमण की रोकथाम के लिए, आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए, बालों को सेहतमंद करने के लिए, और पाचन तंत्र को सुधारने के लिए किया जाता है।आंवले से लिवर भी मजबूत होता है।त्रिफला चूर्ण के फायदे आँखों की ज्योति बढ़ाये
त्रिफला चूर्ण लेने से आखों की ज्योति का विकास होता है। आखों की मास्पेशियाँ सुद्रढ़ होती हैं। यदि आखों में जलन और लाल होती है तो त्रिफला का चूर्ण बहुत ही उपयोगी सिद्ध होता है। आखों में पानी आने की व्याधियों के लिए त्रिफला के चूर्ण को रात में ताम्बे या मिटटी के बर्तन में पानी के साथ भिगो दें और सुबह उसे कपडे से छान लें और उसके पानी से आखों धोये। मोतियाबिंद में सुधार होता है। सुबह पानी में त्रिफला चूर्ण भिगो कर रख दें, शाम को छानकर पी लें इससे आखों की रोशनी बढ़ती है।पाचन के लिए त्रिफला के फायदे
त्रिफला पाचन के लिए एक बहुत ही अच्छा उपाय है। यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जो तीन फलों से बनी है: हरीतकी, आंवला और बहेड़ा। त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।कब्ज के लिए त्रिफला चूर्ण के फायदे
त्रिफला चूर्ण के फायदे मधुमेह में लाभदायक
त्रिफला मधुमेह में भी उपयोगी होता है। आंवला, कोशिकाओं के पृथक समूह को प्रेरित करता है जो हार्मोन इंसुलिन को छिपाने के साथ-साथ मधुमेह रोगियों में रक्त शर्करा को कम करते हैं और शरीर को संतुलित और स्वस्थ रखते हैं। मधुमेह के लिए त्रिफला का उपयोग सुबह किया जाता है। त्रिफला चूर्ण कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन की खपत के स्तर को नियमित करता है जिससे हमें अतिरिक्त इंसुलिन लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।त्रिफला चूर्ण के फायदे रक्तचाप को करे नियंत्रित
त्रिफला चूर्ण का लाभ रक्तचाप में भी होता है। त्रिफला चूर्ण एंटी-स्पैस्मोडिक गुणो से युक्त होता है जो रक्तचाप के स्तर को सामान्य बनाता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। हृदय रोगों के लिए भी त्रिफला उपयोगी होता है। मांसपेशियों को मजबूती देता है और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। रक्त वाहिनी नालियों को साफ़ करने में इसका प्रभाव होता है। त्रिफला चूर्ण लिपिड को भी नियंत्रित करने में असरदायक होता है। इसके उपयोग से सीरम कोलेस्ट्रॉल घटता है और रक्त में लाइपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड का स्तर नियमित होता है।त्रिफला चूर्ण के फायदे मोटापा दूर करने में उपयोगी
त्रिफला वजन घटाने में भी उपयोगी होता है। त्रिफला चूर्ण से मोटापा कम होता है और इसके लिए किसी जिम जाने या डाइट प्लान की कोई आवश्यकता नहीं होती है। त्रिफला से लाल रक्त कणिकाओं का बनना बढ़ जाता है जिससे अतिरिक्त वसा दूर होती है। इसके लिए इसे काढ़े के रूप में अगर कोई ले तो लाभ होता है। त्रिफला में शहद मिलाकर लेने से भी वजन कम होता है। मोटापा बढ़ने से कई बीमारियाँ जैसे टाइप-2 मधुमेह , उच्च रक्तचाप, ह्रदय की बीमारियाँ भी हो सकती हैं। शरीर से टॉक्सिक बाहर निकलने से शरीर स्वस्थ रहता है। एक चम्मच रोज त्रिफला लेने से मोटापा घटता है। त्रिफला में विटामिन C प्रचुर मात्रा में होता है जो अतिरिक्त फैट को काटता है। जल्दी मोटापा दूर करने की लिए गुनगुने पानी में त्रिफला के चूर्ण को भिगों दे और पूरी रात उसे भीगने दें। सुबह उसे कपडे से छान लें और उसे शहद मिलाकर लें। यदि ताम्बे के बर्तन में त्रिफला भिगोया जाय तो परिणाम और अधिक लाभदायक होते हैं। त्रिफला लेने के १ घंटे तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।त्रिफला चूर्ण के फायदे त्वचा के लिए
त्रिफला के सेवन से त्वचा सबंधी बीमारियां भी दूर होती हैं। इसके सेवन से मृत त्वचा झड़ जाती है और रोम छिद्र खुलते हैं जिससे त्वचा में निखार आता है। त्रिफला रक्त साफ़ करता है जिससे कील मुँहासे नहीं होते हैं और यह कोलेजन के निर्माण में सहायक होता है। पिग्मेंटेशन से त्वचा सबंधी रोग दूर होते हैं। विटामिन C के कारन त्वचा का रूखापन, झुर्रियां दूर होती हैं। आंवले के एंटी ऑक्सीडेंट गुणों के कारन बढ़ती उम्र के प्रभाव भी कम होते हैं। त्रिफला रक्त शोधक होता है जो की त्वचा के लिए भी उपयोगी और लाभप्रद है। यह त्वचा के संक्रमण को भी दूर करता है।त्रिफला चूर्ण के फायदे दांतों की मजबूती के लिए
त्रिफला एक और इसके गुण अनेक, जी हाँ त्रिफला दाँतों के लिए भी एक औषधि हैं। त्रिफला के एंटी इंफ्लेमेंटरी और एंटी बक्ट्रियल गुणों के कारण दाँतों की समस्याओं में भी इसका उपयोग लाभप्रद होता है। रात को त्रिफला को भिगो कर रख दें और सुबह इसको कपडे से छान लें और ब्रश करने के बाद त्रिफला के पानी को थोड़ी देर तक मुँह में रखे। इससे मसूड़ों और दातों में संक्रमण नहीं होता है और दांत दर्द में भी राहत मिलती ही। ऐसा दिन में दो से तीन बार तक करें और सांस की बदबू से भी निजाद पाएं।त्रिफला चूर्ण के फायदे बालों को रखे तंदुरुस्त
त्रिफला में पाए जाने वाले विटामिन C के कारण से बाल नहीं झड़ते हैं और काले और घने बने रहते हैं। त्रिफला के सेवन के साथ यदि इसका पेस्ट बनाकर नहाने से पहले १५ मिनट तक बालों में लगाने से अधिक लाभ प्राप्त होता है। दूसरी विधि के लिए दो चम्मच त्रिफला के चूर्ण को एक गिलास पानी में उबल लें और ठंडा होने पर छान कर नहाने से पहले बालों में इसकी मालिस करे। जड़ों तक इसे लगाए। थोड़ी देर बाद इसे साफ़ कर लें, झड़ते बालों से मुक्ति मिलेगी और आपके बाल भी स्वस्थ बने रहेंगे।त्रिफला चूर्ण के फायदे मूत्र सबंधी रोगों का इलाज
त्रिफला से मूत्र सबंधी विकार भी दूर होते हैं। जब आप त्रिफला का सेवन करते हैं तो मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है जिससे गुर्दे से विषाक्त प्रदार्थ तेजी से बाहर निकलते हैं और मूत्र नली के संक्रमण में भी राहत मिलती है।मासिक धर्म में भी उपयोगी
त्रिफला लेने से मासिक धर्म में होने वाली सूजन और ऐंठन में भी लाभ प्राप्त होता है। त्रिफला में कुछ ऐसे खनिज और विटामिन्स का ऐसा मिश्रण होता है जो मासिक धर्म में होने वाले विकारों में लाभदायक होता है।बढ़ती उम्र के असर को करे कम
त्रिफला एंटी एजिंग भी होता है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन्स C होता है जो बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करता है। त्वचा चमकदार बनी रहती है और झुर्रियां समाप्त होती है और इसके साथ ही बाल भी नहीं झड़ते हैं। आँवले में पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट शरीर को नयी स्फूर्ति देते हैं और मुक्त कणों को शरीर से बाहर निकालते हैं।त्रिफला से कैंसर की रोक थाम
शोध (पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय ) से पता चला है की त्रिफला में कैंसर के सेल्स को समाप्त करने के गुण भी विद्यमान हैं। पाचन ग्रंथि में होने वाले कैंसर की रोक थाम में त्रिफला के परिणाम सकारात्मक देखे गए हैं। त्रिफला ख़राब हो चुकी ग्रंथियों को बिना जहरीला प्रभाव छोड़े समाप्त कर सकता है और ट्यूमर के आकर को भी कम कर सकता है। इसके लिए अभी अनुसंधान प्रगति पर है और आशा है की त्रिफला से कैंसर के इलाज के लिए कोई दवा शीघ्र ही बना ली जाएगी।त्रिफला लेने का तरीका Doses of Trifala Churna
महत्वपूर्ण है की रात के समय लिया जाने वाला त्रिफला रेचक (अपशिस्ट दूर करने वाला ) होता है और सुबह इसके सेवन करने से शरीर में विटामिन्स, मिनरल्स की पूर्ति होती है, ये सुबह या दिन में पोषक का काम करता है इसलिए दिन में लिए जाने वाले त्रिफला को "पोषक" कहते हैं। रात में त्रिफला को गर्म पानी और दूध के साथ लिया जाता है और दिन में शहद या गुड़ के साथ।त्रिफला के सेवन में सावधानियां
त्रिफला का वैसे तो कोई बहुत बड़ा साइड इफ्फेक्ट नहीं होता है, भी चिकित्सक की राय के अनुसार त्रिफला का सेवन किया जाना चाहिए। पतंजलि चिकित्सालय में इसके बारे में राय ली जा सकती है। त्रिफला लेने में कुछ सावधानियां हैं जो निचे वर्णित हैं।कैसे बनाये त्रिफला चूर्ण
त्रिफला का चूर्ण बाजार में बना बनाया मिलता है। पतंजलि का त्रिफला चूर्ण किफायती दरों पर उपलब्ध हैं। फिर भी यदि आप स्वंय त्रिफला का चूर्ण घर पर ही बनाना चाहते हैं तो इसे आसानी से घर पर भी बनाया जा सकता है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |