त्रिफला चूर्ण कैसे बनाये फायदे उपयोग How To Make Trifala Churna at Home Hindi
त्रिफला चूर्ण क्या है ?
त्रिफला चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो तीन फलों के मिश्रण से बनाई जाती है: आंवला, हरड़, और बहेड़ा। इन तीनों फलों को समान मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर त्रिफला चूर्ण बनाया जाता है। त्रिफला चूर्ण को आमतौर पर पानी के साथ या दूध के साथ लिया जाता है। इसे दिन में दो बार या डॉक्टर की सलाह के अनुसार लिया जा सकता है। त्रिफला चूर्ण एक सुरक्षित और प्राकृतिक औषधि है, लेकिन इसे लेने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेना उचित है। त्रिफला चूर्ण में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है। यह आंतों के स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। त्रिफला चूर्ण में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं।
त्रिफला चूर्ण में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।त्रिफला चूर्ण पित्त नलिकाओं को शिथिल करने में मदद करता है, जिससे पित्त का प्रवाह बेहतर होता है। त्रिफला चूर्ण शरीर में होमियोस्टैसिस को बनाए रखने में मदद करता है, जो शरीर के अंदरूनी वातावरण को स्थिर रखने की प्रक्रिया है।
त्रिफला चूर्ण में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।त्रिफला चूर्ण पित्त नलिकाओं को शिथिल करने में मदद करता है, जिससे पित्त का प्रवाह बेहतर होता है। त्रिफला चूर्ण शरीर में होमियोस्टैसिस को बनाए रखने में मदद करता है, जो शरीर के अंदरूनी वातावरण को स्थिर रखने की प्रक्रिया है।
त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि
वात, कफ और पित्त (त्रिदोष) को शांत करने के लिए त्रिफला से उत्तम कोई अन्य ओषधि नहीं है। आचार्य वागभट जी इस त्रिफला की महत्ता को बताते हुए 150 से अधिक सूत्र त्रिफला की गुणों पर लिखे हैं। त्रिफला चूर्ण में हरड़, भरड़ और आंवला का उपयोग होता है। इस चूर्ण को आप घर पर ही बना सकते हैं। आइये जानते हैं की त्रिफला के चूर्ण को घर पर कैसे बनाये।
त्रिफला चूर्ण कैसे बनाये How To Make Trifala Churna at Home
त्रिफला चूर्ण बनाते वक़्त के बात का विशेष ध्यान रखना है की इसमें आंवला, भरड़, हरड़ का अनुपात ३ : २ : १ का ही रखना है। उदाहरण की रूप में यदि आपको २०० ग्राम त्रिफला का चूर्ण बनाना है तो इसका अनुपात होगा, आंवला 100 ग्राम, भरड़ 66 ग्राम और हरड़ 33 ग्राम।
सर्वप्रथम आप किसी पंसारी की दुकान से उत्तम गुणवत्ता के सूखा आवला (बगैर बीज के ), हरड़ और भरड़ लेकर आये। अब इनकी अनुपात के आधार पर निश्चित मात्रा में अलग कर लें। अब इनको हमाम जस्ते में कूट लें।
कूटने के दौरान यदि आंवले का कोई बीज मिले तो उसे अलग कर दें। तीनों को अच्छे से कूटने के बाद आप इसे मिक्सी में भी पीस लें। ध्यान रहे की त्रिफला का चूर्ण ज्यादा मोटा नहीं होना चाहिए। तीनों के पिसे हुए चूर्ण को आपस में मिलाकर किसी हवाबंद डब्बे में भरकर रख लें।
सर्वप्रथम आप किसी पंसारी की दुकान से उत्तम गुणवत्ता के सूखा आवला (बगैर बीज के ), हरड़ और भरड़ लेकर आये। अब इनकी अनुपात के आधार पर निश्चित मात्रा में अलग कर लें। अब इनको हमाम जस्ते में कूट लें।
कूटने के दौरान यदि आंवले का कोई बीज मिले तो उसे अलग कर दें। तीनों को अच्छे से कूटने के बाद आप इसे मिक्सी में भी पीस लें। ध्यान रहे की त्रिफला का चूर्ण ज्यादा मोटा नहीं होना चाहिए। तीनों के पिसे हुए चूर्ण को आपस में मिलाकर किसी हवाबंद डब्बे में भरकर रख लें।
त्रिफला चूर्ण का उपयोग
कब्ज, गैस, खट्टी डकार आदि के लिए त्रिफला का सेवन रात्रि को गर्म पानी के साथ करना चाहिए। यदि शुबह त्रिफला का उपयोग किया जाता है तो यह पोषक हो जाता है और शरीर में पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है।
क्या त्रिफला का सेवन पुरे साल करना है
नहीं, त्रिफला को आप तीन महीने लगातार लें और फिर एक महीने के लिए छोड़ दें और फिर आवश्यकता के अनुसार इसका सेवन करें।
त्रिफला चूर्ण से करें कब्ज दूर त्रिफला चूर्ण के फायदे
त्रिफला चूर्ण क्या हैत्रिफला तीन फलों का योग होता है। त्रिफला से तात्पर्य तीन फल हरड़( हरितकी -Terminalia chebula), भरड़ ( बिभीतक -बहेडा-Terminalia bellirica ) और आंवला (अमलकी-Emblica officinalis) से होता है। इन तीनों को निश्चित आयुर्वेदिक अनुपात (3 :2 :1 ) यानी 1 भाग हरड, 2 भाग भरड़ , 3 भाग आंवला का लेकर इनका मिश्रण (पालीहर्बल) तैयार किया जाता है। यह चूर्ण अवस्था में
लिया जाता है जिसे तैयार करने के लिए इनके बीज निकालकर इन्हे सुखाने के बाद इनका चूर्ण बना लिया जाता है। आयुर्वेद में त्रिफला को "अमृत" बताया गया है जो इसके गुणों के बारे में बताने के लिए काफी है। आयुर्वेद एक सम्पूर्ण चिकित्सा है और ये भारतीय ऋषि मुनियों के द्वारा जांचे परखे और आजमाएं गए तरीकों पर आधारित है। आयुर्वेद का इतिहास लगभग ५००० वर्ष पुराना रहा है। चरक संहिता में त्रिफला के गुणों का विस्तार से परिचय प्राप्त होता है। यह चमत्कारी चूर्ण वात, कफ और पित्त को स्थिर करता है। दुनिया में त्रिफला ही एक मात्र ऐसी औशधि है जो वात कफ और पित्त को शांत करता है।
लिया जाता है जिसे तैयार करने के लिए इनके बीज निकालकर इन्हे सुखाने के बाद इनका चूर्ण बना लिया जाता है। आयुर्वेद में त्रिफला को "अमृत" बताया गया है जो इसके गुणों के बारे में बताने के लिए काफी है। आयुर्वेद एक सम्पूर्ण चिकित्सा है और ये भारतीय ऋषि मुनियों के द्वारा जांचे परखे और आजमाएं गए तरीकों पर आधारित है। आयुर्वेद का इतिहास लगभग ५००० वर्ष पुराना रहा है। चरक संहिता में त्रिफला के गुणों का विस्तार से परिचय प्राप्त होता है। यह चमत्कारी चूर्ण वात, कफ और पित्त को स्थिर करता है। दुनिया में त्रिफला ही एक मात्र ऐसी औशधि है जो वात कफ और पित्त को शांत करता है।
पाचन में सहायक त्रिफला चूर्ण
त्रिफला वात, कफ्फ, और पित्त को शांत करके उन्हें स्थिर अनुपात में रखता है। त्रिफला चूर्ण के अनेकों विधियों से सेवन क्या जाता है। जिस विधि से इसे लिया जाता है उसी के अनुसार इसके परिणाम प्राप्त होते हैं। त्रिफला के चूर्ण को रात को खाना खाने के बात आधे घंटे के बाद गुनगुने पानी के साथ (एक चम्मच-5 ग्राम) लिया जाय तो यह गैस, अपच, खट्टी डकार, कब्ज का अंत करता है। सुबह पेट सही से साफ़ हो जाता है। कब्ज स्वंय कई बिमारियों का जनक होता है। कब्ज के कारण मुंह में छाले, स्वाद का बेस्वाद होना, अल्सर आदि रोग उत्पन्न हो जाते हैं। फाइबर के कारण मल त्यागने में आसानी होती है और मल ढीला लगता है। आँतों के अंदरूनी सतहों को साफ़ करता है और वर्षों से चिपके कचरे को शरीर से बाहर निकालता है। सामान्यतयः हम समझते हैं की हमें मल सही से लग रहा है लेकिन वर्तमान में प्रचलित खाद्य प्रदार्थों के कारण आँतों की सही से सफाई नहीं हो पाती है। आँतों की सतहों पर चिपके अपशिष्ट के कारण भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा पहुचती है, त्रिफला चूर्ण सतह पर जमे मल को साफ़ कर देता है।
त्रिफला चूर्ण कैसे बनाये :
अधिक पढ़ें : त्रिफला चूर्ण के फायदे।
त्रिफला चूर्ण कैसे बनाये :
अधिक पढ़ें : त्रिफला चूर्ण के फायदे।
त्रिफला चूर्ण के घटक का परिचय
त्रिफला में हरड़, भरड़ और आंवला तीन घटक होते हैं जिनका परिचय निचे दिया गया है।
संस्कृत में विभीतक के नाम से जाना जाता है। भरड पेट से सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। यह पित्त को स्थिर और नियमित करता है। कब्ज को दूर करने में ये गुणकारी है। यह कफ को भी शांत करता है। भरड एंटी ओक्सिडेंट से भरपूर होता। अमाशय को शक्तिशाली बनाता है और पित्त से सबंदित दोषों को दूर करता है। क्षय रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है। भरड में कई तरह के जैविक योगिक होते हैं जैसे की ग्लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि जो की बहुत लाभदायी होते हैं।
हरड़
हरड को हरीतकी भी के नाम से भी जाना जाता है। हरीतिकी के पेड़ से प्राप्त सूखे फल है जिन्हें हरड़ कहा जाता है। हरीतकी (Haritaki) का वानस्पतिक या वैज्ञानिक नाम टर्मिनालिया केबुला (Terminalia chebula) है। इसके अन्य नाम हैं हरड, कदुक्कई, कराकाकाया, कदुक्का पोडी, हर्रा और आयुर्वेद में इसे कायस्था, प्राणदा, अमृता, मेध्या, विजया आदि नामों से भी जाना जाता है। आयुर्वेद में इसे अत्यंत ही लाभकारी माना जाता है। पेट से सबंधित व्याधियों जैसे की अपच, पाचन शक्ति का दुर्बल होना, बवासीर होना दस्त आदि में इसका उपयोग असरदायक होता है। हरड विटामिन C का एक अच्छा स्रोत होता है। चरक सहिता में हरड के गुणों के बारे में उल्लेख मिलता है।भरड़ (बहेड़ा)
बहेड़ा एक ऊँचा पेड़ होता है और इसके फल को भरड कहा जाता है। बहेड़े के पेड़ की छाल को भी औषधीय रूप में उपयोग लिया जाता है। यह पहाड़ों में अत्यधिक रूप से पाए जाते हैं। इस पेड़ के पत्ते बरगद के पेड़ के जैसे होते हैं। इसे हिन्दी में बहेड़ा,संस्कृत में विभीतक के नाम से जाना जाता है। भरड पेट से सम्बंधित रोगों के उपचार के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। यह पित्त को स्थिर और नियमित करता है। कब्ज को दूर करने में ये गुणकारी है। यह कफ को भी शांत करता है। भरड एंटी ओक्सिडेंट से भरपूर होता। अमाशय को शक्तिशाली बनाता है और पित्त से सबंदित दोषों को दूर करता है। क्षय रोग में भी इसका उपयोग किया जाता है। भरड में कई तरह के जैविक योगिक होते हैं जैसे की ग्लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड, इथाइल गैलेट आदि जो की बहुत लाभदायी होते हैं।
आँवला
सामान्य रूप से आंवले के गुणों को पहचानकर हमारे घरों में ऋतू में इसकी सब्जी बनायीं जाती है और आंवले का मुरब्बा भी सेहत के लिए काम में लिया जाता है। आंवला भोजन भी है और आयुर्वेदिक दवा भी। इसका वनस्पति नाम एम्बलोका ऑफिजिनालिस या फ़िलेंथस इम्ब्लिका है। आंवला एक शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट हैं। आंवले का उपयोग विटामिन c के लिए प्रमुखता से उपयोग में लिया जाता है। आंवले का उपयोग मुख्यतया एंटी-एजिंग को रोकने, संक्रमण की रोकथाम के लिए, आँखों की रौशनी बढ़ाने के लिए, बालों को सेहतमंद करने के लिए, और पाचन तंत्र को सुधारने के लिए किया जाता है।आंवले से लिवर भी मजबूत होता है।
त्रिफला चूर्ण में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करते हैं। मुक्त कण शरीर में उत्पन्न होने वाले हानिकारक पदार्थ होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और बीमारियों का कारण बन सकते हैं। त्रिफला चूर्ण में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है।
त्रिफला चूर्ण के अद्भुत फायदे
इम्युनिटी बूस्टर (रोग प्रतिरोधक शक्ति)
त्रिफला चूर्ण एक शक्तिशाली इम्युनिटी बूस्टर है। यह एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।त्रिफला चूर्ण में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट शरीर को मुक्त कणों से बचाने में मदद करते हैं। मुक्त कण शरीर में उत्पन्न होने वाले हानिकारक पदार्थ होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और बीमारियों का कारण बन सकते हैं। त्रिफला चूर्ण में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण है।
पाचन में मददगार
त्रिफला चूर्ण पाचन के लिए बहुत फायदेमंद है। यह पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है और कब्ज, सूजन और अपच जैसी समस्याओं से राहत देता है।त्रिफला चूर्ण में मौजूद फाइबर भोजन को पचाने में मदद करता है और आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
प्राकृतिक डिटॉक्सीफायर
त्रिफला एक प्राकृतिक डिटॉक्सीफायर के रूप में कार्य करता है। यह तीन फलों का एक मिश्रण है: आमला, बहेड़ा और हरीतकी। इन फलों में एंटीऑक्सिडेंट, फाइबर और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करते हैं।त्रिफला के डिटॉक्सीफाइंग प्रभावों में निम्नलिखित शामिल हैं:
यह पाचन तंत्र को साफ करने में मदद करता है, जिससे विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना आसान हो जाता है।
यह लिवर के डिटॉक्सीफिकेशन कार्यों को बढ़ावा देता है, जिससे शरीर को हानिकारक पदार्थों को तोड़ने और निकालने में मदद मिलती है।
यह रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है, जिससे शरीर के सभी अंगों और ऊतकों को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है।
त्रिफला का उपयोग अक्सर वजन घटाने, पाचन में सुधार और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए किया जाता है। यह एक सुरक्षित और प्रभावी प्राकृतिक डिटॉक्सीफायर है जो नियमित रूप से सेवन करने पर कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है।
वेट मैनेजमेंट में मददगार
त्रिफला वजन प्रबंधन में मददगार हो सकता है। यह निम्नलिखित तरीकों से वजन कम करने में मदद कर सकता है:- मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देता है: त्रिफला में एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर होते हैं जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। इससे शरीर को कैलोरी जलाने में मदद मिलती है और वजन कम होता है।पाचन में सुधार करता है: त्रिफला में फाइबर होता है जो पाचन में सुधार करने में मदद कर सकता है। इससे कब्ज से राहत मिलती है और भोजन से पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से अवशोषित किया जा सकता है।
शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है: त्रिफला एक प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर है जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद कर सकता है। इससे चयापचय में सुधार होता है और वजन कम होता है।
त्रिफला का उपयोग वजन कम करने के लिए कई तरह से किया जा सकता है। इसे पाउडर, कैप्सूल या टैबलेट के रूप में लिया जा सकता है। पाउडर को पानी, दूध या दही के साथ लिया जा सकता है। कैप्सूल या टैबलेट को दिन में दो बार भोजन के साथ लिया जा सकता है।
आंखों के लिए फायदेमंद
त्रिफला आंखों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसमें मौजूद तीन फलों में आंखों के लिए पोषण देने वाले गुण होते हैं, जो आंखों को हेल्दी रखने और आंखों की रोशनी को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।त्रिफला में आंखों के लिए फायदेमंद निम्नलिखित गुण होते हैं:
विटामिन A: त्रिफला में विटामिन A होता है, जो आंखों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है। यह रेटिना को स्वस्थ रखने में मदद करता है और रात की दृष्टि को बढ़ावा देता है।
एंटीऑक्सिडेंट: त्रिफला में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो आंखों को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं।
फाइबर: त्रिफला में फाइबर होता है जो पाचन में सुधार करने में मदद कर सकता है। इससे कब्ज से राहत मिलती है और आंखों में रक्त के प्रवाह में सुधार होता है।
तनाव से राहत मिलता है
तनाव से राहत पाने के लिए एडाप्टोजेनिक गुण बहुत प्रभावी हो सकते हैं। एडाप्टोजेनिक गुण वाले पौधे और मशरूम शरीर को तनाव के प्रति बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया देने में मदद करते हैं। वे शरीर को तनाव के हानिकारक प्रभावों से बचाने में भी मदद कर सकते हैं। हालांकि, एडाप्टोजेनिक गुणों के बारे में अभी भी अधिक शोध की आवश्यकता है। कुछ मामलों में, वे दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं। इसलिए, किसी भी एडाप्टोजेनिक उत्पाद का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करना हमेशा सबसे अच्छा होता है।हेल्दी स्किन को बढ़ावा देता है
त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो इसे त्वचा के लिए एक बेहतरीन उपाय बनाते हैं।त्रिफला के एंटीऑक्सीडेंट गुण मुक्त कणों को बेअसर करने में मदद करते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुक्त कण तनाव, प्रदूषण और धूप के संपर्क के कारण हो सकते हैं। त्रिफला के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जो मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा की समस्याओं का एक प्रमुख कारण है। त्रिफला के डिटॉक्सिफाइंग गुण शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करते हैं, जो त्वचा को साफ और चमकदार बनाने में मदद कर सकते हैं।
त्रिफला के अन्य फायदे
त्रिफला एक आयुर्वेदिक सूत्रीकरण है जो तीन फलों से मिलकर बना है: आंवला (एम्ब्लिका ऑफिसिनैलिस), हरड़ (टर्मिनलिया चेबुला) और बहेड़ा (टर्मिनलिया बेलिरिका)। त्रिफला को प्राचीन काल से कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।त्रिफला के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित हैं:
- पाचन स्वास्थ्य में सुधार: त्रिफला कब्ज, दस्त और अन्य पाचन समस्याओं के इलाज में मदद कर सकता है। यह आंतों की सफाई और पाचन रस के उत्पादन को बढ़ाकर काम करता है।
- प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा: त्रिफला में एंटीऑक्सिडेंट और रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। यह संक्रमण और बीमारियों के खिलाफ लड़ने में मदद करता है।
- आंखों के स्वास्थ्य में सुधार: त्रिफला में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। यह धब्बेदार अध:पतन और मोतियाबिंद जैसी उम्र से संबंधित आंखों की समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।
- त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार: त्रिफला में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा को नुकसान से बचाने और त्वचा की उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। यह मुँहासे और अन्य त्वचा की समस्याओं के इलाज में भी मदद कर सकता है।
- वजन घटाने में मदद: त्रिफला मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, जो वजन घटाने में मदद कर सकता है। यह भूख को कम करने और पाचन को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है।
- महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार: त्रिफला में हार्मोन को संतुलित करने और मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में मदद करने वाले गुण होते हैं। यह रजोनिवृत्ति के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है।
- पुरुषों के स्वास्थ्य में सुधार: त्रिफला यौन शक्ति और प्रजनन क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकता है। यह शुक्राणुओं की गुणवत्ता और मात्रा में भी सुधार कर सकता है।
- कैंसर से बचाव: त्रिफला में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं। यह कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है।
त्रिफला के सेवन में सावधानियां
- गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान त्रिफला का सेवन सुरक्षित नहीं हो सकता है। त्रिफला में हरतकी नामक एक तत्व होता है, जो गर्भपात और प्रसवपूर्व रक्तस्राव का कारण बन सकता है। इसलिए, गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को त्रिफला का सेवन करने से बचना चाहिए।
- मधुमेह के रोगियों को त्रिफला का सेवन सावधानी से करना चाहिए। त्रिफला में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकते हैं। इसलिए, मधुमेह के रोगियों को अपने रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करते हुए त्रिफला का सेवन करना चाहिए।
- कुछ लोगों को त्रिफला से एलर्जी हो सकती है। त्रिफला में मौजूद किसी भी तत्व से एलर्जी होने पर त्रिफला का सेवन करने से बचना चाहिए। एलर्जी के लक्षणों में खुजली, लालिमा, सूजन और सांस लेने में तकलीफ शामिल हो सकते हैं।
- त्रिफला का अधिक सेवन करने से पेट की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि दस्त, पेट में दर्द और ऐंठन। इसलिए, त्रिफला की अनुशंसित खुराक का पालन करना महत्वपूर्ण है।
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