जय गणेश जय गणेश Jai Ganesh Jai Ganesh Jay Ganesh Deva Bhajan
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दन्त दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥
पान चढ़े फुल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लडुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आँख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
सुर श्याम शरण आये, सफल किजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
व्रकतुंड महाकाय, सूर्यकोटी समप्रभाः।
निर्वघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
Jai Ganesh Jai Ganesh Deva | Ganesh Aarti | Sachin
गणेश चतुर्थी (सोमवार दिनांक 2 सितंबर 2019) श्री गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम क्यों : सभी पवित्र और शुभ कार्यों में श्री गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम की जाती है। लेकिन क्यों ऐसा नियम है की विघ्न हर्ता श्री गणेश जी की पूजा सर्प्रथम की जाती है।श्री गणेश बुद्धि, व्यवहारिकता, उदारता और सहजता की प्रतिमूर्ति हैं साथ ही उन्हें शुभ, तेजस्वी भी माना जाता है। श्री गणेश जी के पिता शिव हैं जो भोलेनाथ हैं, भक्तों के कष्ट दूर करने वाले हैं। ऐसी मान्यता है की एक बार प्रतियोगिता आयोजित की गयी जिसमे यह तय हुआ की जो पृथ्वी का चक्कर सबसे पहले लगा लेगा वही विजेता होगा। यह प्रतियोगिता कार्तिकेय और गणेश के बीच में करवाई गयी। कार्तिकेय अपने वाहन मोर से परिक्रमा के निकल गए थे तथा साथ ही अन्य देवी देवता भी अपने वाहनों में बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े। श्री गणेश जी का वाहन मूषक है। विचार करने के बाद श्री गणेश जी ने अपने माता पिता के ही परिक्रमा करनी शुरू कर दी और सात बार परिकर्मा की।
उन्होंने माता पिता को ही पूरा संसार माना। इसलिए श्री गणेश जी को सबसे पहले पूजा जाता है।एक अन्य मत के अनुसार के जब श्री शिव जी ने श्री गणेश जी का मस्तक काटा तो माता पार्वती जी श्री शिव पर बहुत क्रोधित हो गयी। श्री शिव ने पार्वती जी मनाने के लिए हाथी का मस्तक श्री गणेश जी के लगाने के बाद भी श्री पार्वती जी जब शांत नहीं हुई और उन्होंने शिव से कहा की यदि मेरा पुत्र जीवित नहीं होता है तो मैं सम्पूर्ण श्रष्टि को आग लगा दूंगी, समाप्त कर दूंगी। शिव के कहने पर सभी देवता ऐसे जीव की खोज में निकल पड़े जिनका सर श्री गणेश जी के सर पर लगाया जा सके। देवता एक हाथी के बच्चे का मस्तक लेकर आये जिसकी माँ पीठ करके सोयी हुई थी। श्री शिव ने बालक गणेश के हाथी के बच्चे का मस्तक लगाकर जीवित तो कर दिया लेकिन माँ पार्वती इससे भी खुश नहीं हुई और कहने लगी की सभी लोग मेरे पुत्र का मजाक उड़ाएंगे। तब शिव ने उन्हें आश्वत किया की श्री गणेश संसार में पूजे जाएंगे और प्रत्येक शुभ कार्य से पहले श्री गणेश जी की पूजा अर्चना की जायेगी। इन्हे विघ्न हर्ता के रूप में पूजा जाएगा।
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Author - Saroj Jangir
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