बंसलोचन के फायदे उपयोग और सेवन विधि Banslochan Ke Fayde Hindi
बंसलोचन का नाम तो आपने सुना ही होगा। कई बार हमें देखा है की आयुर्वेदिक चिकित्सको के द्वारा इस दवा को केल्सियम की कमी हो जाने के कारण उपचार में लाया जाता है आज के इस लेख में हम जानने की कोशिश करेंगे की बंसलोचन क्या होता है और इसके लाभ क्या क्या होते हैं।
बंसलोचन क्या होता है : (Banslochan Kya Hota Hai Hindi ) बंस लोचन या तबासीर (طباشیر ) एक शुद्ध सफ़ेद रंग का एक प्रदार्थ होता है जो बांसों की गांठों में पाया जाता है। इसे बांसों की गांठो को काटकर प्राप्त किया जाता है। मूल रूप से इसमें कैल्शियम की भरमार होती है और अधिकतर दवा बनाने में इसका उपयोग होता है। बंसलोचन के गुणों के कारण यह बांस को सुशोभित करता है इसीलिए इसे "बंसलोचन" कहा जाता है। इसके क्षेत्रीय भाषाओं में कई नामो से जाना जाता है जैसे वंशलोचन, तबासीर, बांस काबर, वंशकपूर, बांस कपूर आदि। अंग्रेजी में इसका नाम Bamboo Silica / Bamboo Manna होता है। ऐसा नहीं है की सभी बांस में यह पाया जाता है, कुछ बांस में जब इसका पाता लगाया जाता है तो उसे अक्सर हिला कर देखते हैं, यदि अन्दर यह प्रदार्थ होता है तो आवाज आने पर बांस को चीर कर इसे बाहर निकाला जाता है। भारत में बंगाल और इसके आस पास के इलाकों में बांस बहुतयात से पाया जाता है। मादा जाती के बांसों (नजला बांस) में ही यह पाया जाता है। यह अधिकतर मोटे और लम्बे बांस में ही पाया जाता है। इसका स्वाद कुछ कुछ चोक जैसा ही होता है। बांस प्रकृति से मीठा, एसिडिक, तीखा, कड़वा, भारी,रूखा और ठंडे तासीर का होता है।
वंशलोचन के विभिन्न भाषाओं में नाम -
- संस्कृत: वंशलोचन, त्वक्क्षीरी, क्षीरिका, कपूर रोचना, तुङ्गा, रोचनिका, पिगा; बंशशर्करा, बंस कर्पूर
- हिंदी: बंशलोचन
- गुजराती: बांसकपूर
- बंगाली: बंशलोचन, बांसकावर
- मराठी: बंशलोचन
- फारसी: तबाशीर
- अंग्रेजी: Ramboo Manna
- लेटिन: Bambuna Arundinacea
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वंशलोचन के गुण वंशलोचन के फायदे
- कैल्शियम: वंशलोचन में कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत करने में मदद करता है।
- आयरन: वंशलोचन में आयरन की भी अच्छी मात्रा होती है, जो खून की कमी को दूर करने में मदद करता है।
- एंटी-इंफ्लेमेटरी: वंशलोचन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
- इम्यूनिटी बूस्टर: वंशलोचन में इम्यूनिटी बूस्टर गुण होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करते हैं।
- एंटासिड: वंशलोचन में एंटासिड गुण होते हैं, जो एसिडिटी को कम करने में मदद करते हैं।
- गठिया रोधी: वंशलोचन में गठिया रोधी गुण होते हैं, जो गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
- एंटी बैक्टीरियल: वंशलोचन में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं।
- एंटी-गाउट: वंशलोचन में एंटी-गाउट गुण होते हैं, जो गाउट के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।
वंशलोचन का उपयोग कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- हड्डियों और दांतों की समस्याएं: वंशलोचन का उपयोग हड्डियों और दांतों को मजबूत करने के लिए किया जाता है। यह ऑस्टियोपोरोसिस, दांतों की सड़न और अन्य हड्डी और दांतों की समस्याओं के इलाज में मदद कर सकता है।
- इम्यूनिटी कमजोर होना: वंशलोचन का उपयोग इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए किया जाता है। यह सर्दी-जुकाम, फ्लू और अन्य संक्रमणों के खिलाफ शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
- एसिडिटी: वंशलोचन का उपयोग एसिडिटी को कम करने के लिए किया जाता है। यह पेट में अतिरिक्त एसिड को बेअसर करने में मदद कर सकता है।
- गठिया: वंशलोचन का उपयोग गठिया के दर्द और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। यह गठिया के जोड़ों को आराम देने और सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।
- बैक्टीरियल संक्रमण: वंशलोचन का उपयोग बैक्टीरियल संक्रमण से लड़ने के लिए किया जाता है। यह मूत्र संक्रमण, निमोनिया और अन्य बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज में मदद कर सकता है।
वंशलोचन का उपयोग आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों को इससे एलर्जी हो सकती है। यदि आपको वंशलोचन से एलर्जी है, तो आपको इसे लेने से बचना चाहिए।
Banslochan Kya Hota Hai Hindi बंसलोचन में होता क्या है
वंश लोचन आपको डलियो (टुकड़ो ) में भी मिल सकता है और आजकल कुछ निर्माता इसका चूर्ण भी बना कर बेचते हैं। बेहतर रहेगा की आप इसके तुकडे ही ख़रीदे और घर पर मिक्सी से इसका पाउडर बना ले ताकि अशुद्धि की आशंका से बचा जा सके। वंशलोचन में मुख्यतया सिलिका, पानी और कुछ मात्र में पोटाश और चुना होता है। इसे जहाँ एक और जहाँ कैल्शियम की कमी के लिए उपयोग में लाया जाता है वही यह कुछ रोगों जैसे की ज्वर, तृष्णा, काश, रक्तपित्त, स्वांस सबंधी रोग, ज्वर, हड्डियों का कमजोर होना, स्पैज़्म बाईटा आना, लकवे आदि रोगों के इलाज में अन्य दवाओं के योग से इसे भी उपयोग में लाया जाता है।
असली और नकली बंसलोचन की पहचान कैसे करे (Banslochan Ki Pahchaan)
दुर्भाग्य की बात है कुछ लोग ओषधियों में भी मिलावट कर देते हैं इसलिए जब भी आप बंसलोचन ले तो गौर करे की असली बंसलोचन खालिस सफ़ेद रंग का होता है और हल्का सा नीलापन लिए हुए होता है। आप चूर्ण के बजाय इसे टुकड़ो में ही ख़रीदे तो बेहतर होगा। कुछ लोग इसे मशीनी रूप से भी बनाने लगे हैं जिसकी पहचान कर पाना बड़ा ही मुश्किल होता है। बेहतर होगा की आप किसी भरोसेमंद पंसारी से ही इसे ख़रीदे। इस की पहचान के लिया आप बंसलोचन के एक तुकडे तो किसी चिमटे से पकड़ कर आग में तपाये तो गौर करे की असली बंसलोचन के रंग में किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है जबकि नकली प्रदार्थ से बना बंसलोचन काला पड़ने लग जाता है।
असली बंशलोचन सफेद रंग का होता है, लेकिन उस पर नीले रंग की झाई होती है। यह एक प्राकृतिक पदार्थ है, इसलिए इसमें कोई भी रसायन या रंग नहीं होता है। असली बंशलोचन को लकड़ी या पत्थर पर घिसने से कोई भी निशान नहीं होता है। यह एक चिपचिपा पदार्थ होता है, इसलिए यह हाथ में दबाने से नहीं टूटता और मुंह में रखने से तुरंत नहीं घुलता है.
नकली बंशलोचन असली के बराबर ओज पूर्ण नहीं होता है। यह एक कृत्रिम पदार्थ होता है, इसलिए इसमें अक्सर रासायनिक रंग और रसायन होते हैं। नकली बंशलोचन को पत्थर पर घिसने से उसकी लकीर उधड़ जाती है। यह एक गैर-चिपचिपा पदार्थ होता है, इसलिए यह हाथ में दबाने से टूट सकता है और मुंह में रखने से जल्दी घुल जाता है।
वंशलोचन एक मूल्यवान औषधीय पदार्थ है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप असली वंशलोचन खरीदें। असली वंशलोचन की पहचान करने के लिए आप इन लक्षणों का उपयोग कर सकते हैं:
नकली बंशलोचन असली के बराबर ओज पूर्ण नहीं होता है। यह एक कृत्रिम पदार्थ होता है, इसलिए इसमें अक्सर रासायनिक रंग और रसायन होते हैं। नकली बंशलोचन को पत्थर पर घिसने से उसकी लकीर उधड़ जाती है। यह एक गैर-चिपचिपा पदार्थ होता है, इसलिए यह हाथ में दबाने से टूट सकता है और मुंह में रखने से जल्दी घुल जाता है।
वंशलोचन एक मूल्यवान औषधीय पदार्थ है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप असली वंशलोचन खरीदें। असली वंशलोचन की पहचान करने के लिए आप इन लक्षणों का उपयोग कर सकते हैं:
- सफेद रंग का, जिसमें नीले रंग की झाई हो
- हाथ में दबाने पर नहीं टूटता
- मुंह में रखने पर एकदम नहीं गलता है.
- लकड़ी या पत्थर पर घिसने से कोई निशान नहीं होता
- पानी में डालने पर पारदर्शक नहीं होता
आयुर्वेदिक के अनुसार वंशलोचन के गुण
आयुर्वेद में वंशलोचन को एक महत्वपूर्ण औषधीय पदार्थ माना जाता है। वंशलोचन के कई औषधीय गुण होते हैं, जिनमें शामिल हैं:रक्त को शुद्ध करना: वंशलोचन रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
शीतल प्रभाव: वंशलोचन एक शीतल पदार्थ है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करता है और बुखार को कम करने में मदद करता है।
ग्राही गुण: वंशलोचन का ग्राही गुण होता है। यह पेट को मजबूत करता है और पाचन में सुधार करता है।
वीर्यवर्धक: वंशलोचन एक वीर्यवर्धक है। यह वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता में सुधार करता है।
कामोद्दीपक: वंशलोचन एक कामोद्दीपक है। यह यौन इच्छा को बढ़ाने में मदद करता है।
- वंशलोचन का उपयोग कई प्रकार की बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:
- श्वास, खांसी, रुधिर विकार: वंशलोचन श्वसन संबंधी समस्याओं, खांसी और रक्त विकारों के इलाज में मदद करता है।
- मंदाग्नि, रक्त पित्त, ज्वर: वंशलोचन पाचन समस्याओं, रक्त विकारों और बुखार के इलाज में मदद करता है।
- कुष्ठ, कामला, पांडुरोग: वंशलोचन कुष्ठ, पीलिया और एनीमिया के इलाज में मदद करता है।
- दाह, तृषा, व्रण: वंशलोचन जलन, प्यास और घावों के इलाज में मदद करता है।
- मूत्रकृच्छ और वात: वंशलोचन मूत्र संबंधी समस्याओं और वात विकारों के इलाज में मदद करता है।
वंशलोचन का रासायनिक विश्लेषण
वंशलोचन में मुख्य रूप से सेलिसिक एसिड, पोटेशियम और चूना होता है। सेलिसिक एसिड एक प्रकार का एसिड है जो कई औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार है। यह दर्द, सूजन और बुखार को कम करने में मदद करता है। पोटेशियम और चूना भी शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं। वंशलोचन के औषधीय गुणों का श्रेय इसके रासायनिक संघटन को दिया जाता है। सेलिसिक एसिड के कारण, वंशलोचन एक उत्तेजक और ज्वर नाशक है। यह श्वास संबंधी समस्याओं, खांसी और बुखार के इलाज में मदद करता है। पोटेशियम और चूना के कारण, वंशलोचन एक शीतल पदार्थ है जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है। यह पाचन में सुधार करने और वीर्य को बढ़ाने में भी मदद करता है।बंसलोचन के फायदे Banslochan Ke Fayade Hindi
वंसलोचन/तबासीर का उपयोग अनेको रोगों के उपचार के लिए किया जाता है, जिनमे से प्रधान रूप से निम्न हैं।- शरीर में कैल्शियम की कमी को प्राकृतिक रूप से दूर करता है। कमजोर हड्डियों के लिए अत्यंत उपयोगी होता है। घुटनों के दर्द में भी असरदायक होता है।
- ज्वर के इलाज में भी इसका उपयोग होता है।
- शरीर से विषाक्त प्रदार्थों को बाहर निकालता है।
- तृष्णा, काश, रक्तपित्त, स्वांस सबंधी रोग, ज्वर आदि रोगों में भी यह लाभदायी होता है।
- छोटे बच्चो में मिटटी खाने के रोग को भी वंसलोचन का उपयोग लाभदायी होता है।
- कफ्फ को शरीर से दूर करता है और पेट साफ़ करता है।
- रक्त से कफ्फ बनने की प्रक्रिया को भी नियंत्रित करता है।
- गर्भवती महिलाओं में इसका उपयोग लाभदायी होता है। जहाँ एक और महिलाओं की काल्सियम की कम दूर होती है वही दूसरी और गर्भ में पल रहे शिशु को भी इसका लाभ मिलता है और उसकी हड्डियाँ मजबूत बनती हैं।
- शरीर में बने हुए कफ्फ को शरीर से बाहर निकालने में लाभदायी होता है।
- दमे के रोगियों के लिए भी लाभदायी होता है।
- इससे कामोत्तेजना बढती है।
- हाथ पैरो में जलन में भी यह लाभदायी होता है।
- मुंह में छाले और पेट की गर्मी को शांत करने में प्रभावी
- शुक्राणु को गाढ़ा करने में भी उपयोग में लिया जाता है।
- गाय के दूध के साथ वंसलोचन का सेवन करने से गर्भ नहीं ठहरने में लाभ मिलता है।
- यदि मुंह में छाले हो गए हों तो इसके चूर्ण को शहद में मिलाकर मुंह में लगाने से फायदा होता है।
- शरीर में सातो धातुओं का पोषण करता है।
- अस्थमा रोग में भी इसके सेवन से लाभ मिलता है।
- एसिडिटी, शरीर में बनने वाली गैस आदि में प्रभावी
- अनिन्दा रोग को भी इससे दूर किया जाता है क्योकि यह शरीर को शांत करता है।
- पित्त की अनियमितता को शांत करता है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है।
- यह एक शीतल पदार्थ है जो शरीर को ठंडक प्रदान करता है।
- यह रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है।
- यह श्वास संबंधी समस्याओं, खांसी और बुखार के इलाज में मदद करता है।
- यह पाचन में सुधार करने और वीर्य को बढ़ाने में मदद करता है।
- यह घावों को भरने में मदद करता है।
वंशलोचन का उपयोग किन किन चिकित्सा पद्दतियों में किया जाता है
मुख्य रूप से आयुर्वेद, यूनानी और चीनी चिकित्सा पद्दतियों में इसका उपयोग बहुलता से किया जाता है।
बंसलोचन का उपयोग कब नहीं करे
भले ही यह आयुर्वेदिक औशधि है, फिर भी इसका उपयोग आप वैद्य की सलाह के उपरान्त ही करे। अधिक मात्रा में इसका सेवन हानि पंहुचा सकता है। यदि पथरी की कोई शिकायत हो तो इसे अमूमन नहीं लेना चाहिए। इस सबंध में आप वैद्य की सलाह अवश्य ही ले। अधिक मात्रा फेफड़ो के लिए भी नुकसानदायी होती है।The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
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