सूत पुराना जोड़ते बैठ बीनत दिन जाय मीनिंग

सूत पुराना जोड़ते बैठ बीनत दिन जाय मीनिंग

सूत पुराना जोड़ते, बैठ बीनत दिन जाय।
बरण बीनि वाणी किये, जोलहा परा भोलाय।।
or
सूत पुराना जोड़ने जेठ बिनत दिन जाए ।
बरन बीन बाना किया जुलदा पड़ा भुलाय ।
or


सूत पुराना जोड़ते , बैठ बिनत दिन जाय ।
बरण बीनि वाणी किए , जोलहा परा भुलाय ।
Soot Puraana Jodate, Baith Beenat Din Jaay.
Baran Beeni Vaanee Kiye, Jolaha Para Bholaay. 

सूत पुराना जोड़ते बैठ बीनत दिन जाय हिंदी मीनिंग Soot Purana Jodate Baith Binat Din Jay Hindi Meaning

दोहे के शब्दार्थ

सूत पुराना : धागा (वर्ण और मात्रा आदि), वर्ण , मात्रादि
जोड़ते : जोड़ और घटाव करके मिलाते हैं।

बीनत दिन जाय : समय का बीतना।
बरण बीनि वाणी किये : वाणी की रचना करना।
जोलहा : जुलाहा (विद्वान लोग), वाणियों के रचयिता 


दोहे का हिंदी मीनिंग : कबीर साहेब जुलाहे का उदाहरण देकर समझाते हैं की जैसे जुलाहा सूत को बीनने / रचना करने में सारा वक़्त बिताता है वैसे ही ज्ञानि जन वर्ण और मात्रा आदि से मिलाकर वाणी का निर्माण करते हैं। जैसे जुलाहा सूत में ही उलझा रहता है वैसे ही विद्वान लोग वाणी की रचना में ही लगे रहते हैं और जीवन के उद्देश्य से विमुख हो जाते हैं। जीवन का उद्देश्य क्या है ? कबीर साहेब ने जुलाहे के माध्यम से ज्ञानी लोगो को शिक्षा दी है की वे अपने उद्देश्य से दूर हो चुके हैं। 

कबीर माया राम की, भई रमते शेष।
व्यापक सब कहें राम है, राम रमामय देख।।


कबीर और गुरु गोरख नाथ जी : Kabir and Guru Gorakhnath Ji : ऐसी मान्यता है की एक बार एक सभा में गुरु गोरखनाथ जी की मुलाक़ात कबीर साहेब से हो गयी। नाथ जी महाराज अपनी विद्याओं के काऱण जग प्रसिद्द थे। जब गुरु गोरक्ष नाथ जी ने अपनी विद्याओं को कबीर साहेब को दिखाई तो उन्होंने उन्हें सन्देश दिया की उन्हें इन विद्याओं के स्थान पर चित्त लगाकर अधिक ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए। इस पर गुरु गोरखनाथ जी ने कबीर साहेब को सिद्ध पुरुष स्वीकार किया। कबीर ने उन्हें ऊँ तथा सोहं मन्त्र दिया 

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