पतंजली कपर्दक भस्म (वराटिका भस्म ) के फायदे उपयोग Patanjali Kapardak Bhasma Benefits Usage Doses and Price

पतंजली कपर्दक भस्म (वराटिका भस्म ) के फायदे उपयोग Patanjali Kapardak Bhasma (Varatika Bhasma ) Benefits Usage Doses and Price

कपर्दक भस्म क्या होती है : कपर्दक भस्म कौड़ी Cowrie or cowry Shell (sea snails, marine gastropod mollusks in the family Cypraeidae) से बनायी जाती है। यह कौड़ी उसी प्रजाति की होती है जिसे अक्सर चौपड़ खेलने में, पूजा या फिर सजावटी माला बनाने में उपयोग में लिया जाता है, यह एक समुद्री जीव का बाहरी खोल होता है। कौड़ी की प्रधान रूप से तीन प्रजातियां होती हैं पीली, सफ़ेद और श्योन जिनमे से पीले रंग की कौड़ी का उपयोग प्रधानतया भस्म निर्माण में होता है। कौड़ी के शोधन और भावना के उपरान्त उसे गजपुट के जरिये इसे सफ़ेद किया जाता है और इसका महीन चूर्ण बना लिया जाता है। इस भस्म को कपर्दिका भस्म, वराटिका भस्म आदि नामों से भी जाना जाता है। भस्म निर्माण के विषय में अहम है की यह एक जटिल प्रक्रिया होती है इसलिए किसी प्रतिष्ठित निर्माता के उत्पाद को खरीदने में वरीयता दी जानी चाहिए और नीम हकीमों से भस्म खरीदने से बचना चाहिए क्योंकि यदि इसे शास्त्र सम्मत तरीके से ना बनाया जाय तो इनके हैवी मेटल्स शरीर को हानि पंहुचा सकते हैं। कपर्दक भस्म में कैल्शियम, नाइट्रोजन, फास्फोरस, सोडियम, गंधक, बोरान, ताम्बा लोहा और मेगनीज के अलावा लैनिंग और टैनिन होते हैं।
 
पतंजली कपर्दक भस्म (वराटिका भस्म ) के फायदे उपयोग Patanjali Kapardak Bhasma Benefits Usage Doses and Price

 

कपर्दक भस्म (KAPARDAK BHASMA) के गुण धर्म : इसका रस कटु और तिक्त होता है। कपर्दक भस्म का गुण रुक्षण, लघु और तीक्ष्ण होता है। कपर्दक भस्म का वीर्य उष्ण और विपाक कटु होता है। इसके चिकित्सीय गुण कर्म में यह पाचक होती है और कफ, पित्त और वात को नियंत्रित करती है। पाचन तंत्र विकारों के साथ ही प्लीहा, यकृत और फेफड़ों पर अपना असर दिखाती है। क्षारीय होने के कारण पेट के अम्ल को नियंत्रित करती है। पित्त के अम्ल को शांत करने के कारण यह पित्तशामक भी होती है। यह आम पाचक और कफ्फ नाशक होती है। यह दीपन, पाचन और ग्राही होती है।

कपर्दक भस्म (KAPARDAK BHASMA) के विषय पर पतंजलि आयुर्वेदा का कथन : 
Kapardak Bhasma gives relief from chronic indigestion problems, acidity, flatulence, colic pains, etc. Unbalanced diet and sedentary lifestyle constantly harm and weaken our digestive systems. Kapardak Bhasma is a time-tested formulation that soothes the stomach, heals the damages from contaminations, treats ulcers and boosts digestion. It is made from herbal extracts with natural detoxifying and antibacterial properties. Take Kapardak Bhasma regularly to give you lasting relief from lingering digestive ailments. Experience the soothing relief of Ayurvedic medication with Kapardak Bhasma.
कपर्दक भस्म (KAPARDAK BHASMA) के लाभ/ फायदे : कपर्दक भस्म के निम्न लाभ होते हैं। 
  • पेट फूलना, जलन और अपच की थिति में कपर्दक भस्म श्रेष्ठ ओषधि होती है। पेट दर्द, सूजन, भूख ना लगने, आंतों की गैस आदि विकारों में भी लाभदायी होती है।
  • पाचन तंत्र की कमजोरी और अम्लता के बढ़ जाने पर भी इसके सेवन से लाभ मिलता है। 
  • पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है और खाने के उपरान्त खट्टी डकारें और पेट का फूलना आदि में राहत देती है। 
  • पुराने ज्वर, प्लीहा वृद्धि, अग्निमांध आदि में उत्तम और प्रभावी ओषधि। 
  • पुराने कर्ण स्त्राव में कपर्दक भस्म के उपयोग से लाभ मिलता है और इसे कान में भी डाला जाता है। 
  • रक्तपित्त में भी कपर्दक भस्म के सेवन से लाभ मिलता है। 
  • भूख की कमी, कमजोर पाचन आदि विकारों में लाभदायी होती है। 
  • आँतों की सूजन और आँतों में जमा वायु के निस्तारण में उपयोगी। 
  • पाचन तंत्र को सुधार कर पेट दर्द, आफरा और ऐंठन को दूर करती है। 
  • पित्त के बढे हुए अम्ल को कम करने में सहायक होती है। 
  • एसिडिटी और हाइपरएसिडिटी में भी बहुत ही लाभदायी। 
  • छालों और अल्सर के लिए लाभदायी दवा। 
  • विशेष रूप से पित्तशामक, स्वदुकर, शूलघ्न, कोषस्थ। ग्रहाणी रोग में यह बेहद प्रभावी है, ग्रहाणी पर प्रवीका के साथ सीधी क्रिया और दीपक, पाचक और ग्राही होना। पेट में भारीपन, पेट दर्द, उल्टी जैसे लक्षणों के साथ ब्लीचिंग (belching) Ajeerna (अजीर्ण ) में उपयोगी।
कपर्दक भस्म (KAPARDAK BHASMA) का सेवन : कपर्दक भस्म के सेवन हेतु वैद्य की राय लेवे। उम्र, रोग के प्रकार और शरीर की प्रकृति के अनुसार इस भस्म के सेवन की मात्रा और विधि में परिवर्तन हो सकता है। स्वंय इसका सेवन नहीं करें और वैद्य की राय अवश्य ही लेवें।

कपर्दक भस्म (KAPARDAK BHASMA) की तासीर : कपर्दक भस्म की तासीर गर्म (उष्ण ) होती है।

कपर्दक भस्म (KAPARDAK BHASMA) की कीमत : 5 ग्राम कपर्दक भस्म की कीमत ९ रूपये है जो परिवर्तनीय हो सकती है। इस हेतु आप पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेब साइट पर विजिट करें।



कपर्दक भस्म (KAPARDAK BHASMA) को कहाँ से खरीदें : कपर्दक भस्म को आप पतंजलि आयुर्वेदा के स्टोर्स या फिर आप इसे ऑनलाइन भी क्रय कर सकते हैं। ऑनलाइन खरीदने के लिए आप निचे दिए गए पतंजलि की अधिकृत वेब साइट का विजिट करें :
https://www.patanjaliayurved.net/product/ayurvedic-medicine/bhasma/kapardak-bhasma/71

भस्म क्या होती है What is Bhasma: आयुर्वेद चिकित्सा की पद्धति में बहुत ही पूर्व से धातुओं का उपयोग चकित्सीय लाभ के लिए किया जाता रहा है, चिकित्सा के लिए धातुओं का उपयोग होता रहा है। ऐसी मान्यता है की धातुओं के गुणों को पहचान कर उनसे चिकित्सा हेतु दवा बनाने की परम्परा 2500 ईसा पूर्व में चीनी और मिस्र की सभ्यता में भी वर्णित है। भस्म में धातु को शास्त्रीय तरीके से बनाया जाता है जिसे हर्बल रस या काढ़े के साथ इलाज हेतु दिया जाता है। आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की पुरानी बीमारियों के उपचार के लिए व्यापक रूप से भस्म का उपयोग किया जाता है। जहाँ किसी भी धातु से बनने वाली पिस्टी सौम्य होती है वहीँ अपर भस्म कुछ गरम तासीर की होती है। भस्म का अर्थ है किसी धातु को गर्म करके निश्चित रस आदि में बुझाना। सबसे पहले धातु शुद्धिकरण की एक विस्तृत प्रक्रिया से गुजरती है और इसमें कुछ अन्य खनिजों और / या हर्बल अर्क (गुलाब जल, गोमूत्र आदि ) का समावेश होता है। भस्म के विभिन्न महत्व हैं जैसे पुरानी बिमारियों के इलाज के लिए, हानिकारक एसिड को बेअसर करना जो बीमारी का कारण बनते हैं; क्योंकि भस्म को चयापचय नहीं मिलता है, इसलिए वे किसी भी हानिकारक मेटाबोलाइट का उत्पादन कर सकते हैं, बल्कि यह शरीर में भारी धातुओं को तोड़ता है। 
 
भस्म में धातु के कण आकार काफी कम हो जाता है, जो शरीर के सिस्टम में दवा के अवशोषण और आत्मसात करने में सुपाच्य होता है। एक प्रश्न है की भस्म कैसे इतनी प्रभावी हो जाती है की वो जटिल रोगों को समाप्त करने में सक्षम होती है , जबकि इसका कच्चा माल (सापेक्ष धातु या रत्न ) यानी जिस धातु या रत्न से इसका निर्माण होता है वह गुणों में इतना प्रभावशाली नहीं होता है । वस्तुतः यह नैनोटेक्नोलॉजी के मूल सिद्धांत पर आधारित है जिसमे किसी धातु के आकार और वजन को कम करना और इसकी गुणवत्ता को कई गुना बढ़ाना होता है। ऐसा करने पर भस्म की प्रभावकारिता काफी बढ़ जाती है। इस प्रकार इस तरह की प्रभावकारिता के साथ भस्म और शरीर द्वारा आसानी से स्वीकार किए जाने पर शरीर की कोशिकाओं में धातु या रत्न द्वारा आवश्यक इलाज को पूरा करने में सक्षम है। भस्म का मानकीकरण अत्यंत आवश्यक है, इसलिए निवेदन है की वैद्य की राय से प्रतिष्ठित निर्माता के ही भस्म खरीदें क्योंकि यदि इसे बनाने में लापरवाही या फिर मानकों का पालन नहीं किया जाय तो भस्म नुक्सान देह भी हो सकती है।  
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
 

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