पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल हिंदी मीनिंग Padhe Gune Sikhe Sune Miti Na Sanse Shool Meaning

पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल हिंदी मीनिंग Padhe Gune Sikhe Sune Miti Na Sanse Shool Hindi Meaning Kabir Ke Dohe

 
पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल।
कहै कबीर कासों कहूं ये ही दुःख का मूल ॥

Padhe Gunai Seekhai Sunai Mitee Na Sansai Sool.
Kahai Kabeer Kaason Kahoon Ye Hee Duhkh Ka Mool . 
 
पढ़े गुनै सीखै सुनै मिटी न संसै सूल हिंदी मीनिंग Padhe Gune Sikhe Sune Miti Na Sanse Shool Meaning

दोहे का हिंदी मीनिंग : किताबी ज्ञान बहुत पढ़ा, उसे सीखा भी लेकिन उसका कोई लाभ प्राप्त नहीं हुआ। यदि किताबी ज्ञान से मन का कोई संशय नहीं मिट पा रहा है तो इससे क्या लाभ होगा, कुछ नहीं और यही दुःख का मूल कारण है। भाव है की किताबी ज्ञान की प्राप्ति से कुछ लाभ प्राप्त नहीं होने वाला है। ज्ञान क्या है, ज्ञान है मानवता, जब मानवता आचरण में ना हो तो महज किताबी ज्ञान से कुछ प्राप्त नहीं होगा। सद्गुण और नेक राह ही जीवन का आधार हैं। पोथी पढ़ कर संशय और भ्रम दूर नहीं हुआ अब किससे कहा जाय जो इसे दूर करें। 

मन मरया ममता मुई, जहं गई सब छूटी।
जोगी था सो रमि गया, आसणि रही बिभूति॥
Man Maraya Mamata Muee, Jahan Gaee Sab Chhootee.
Jogee Tha So Rami Gaya, Aasani Rahee Bibhooti.


दोहे का भावार्थ : यदि ममता को मार कर मन को वश में कर लिया तो वह जोगी है और उसके आसन पर भभूत रखी हुई है। भाव है की जब जीव अपनी वासना, इच्छाओं और कामनाओं को अपने नियंत्रण में कर लेता है तो वह इस संसार में रहकर भी संसार से ऊपर उठ जाता है।

कबीर सो धन संचिए जो आगे कूं होइ।
सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्या कोइ॥
Kabeer So Dhan Sanchie Jo Aage Koon Hoi.
Sees Chadhae Potalee, Le Jaat Na Dekhya Koi.


दोहे का भावार्थ : आगे का धन क्या है ? आगे के धन से आशय है 'राम नाम धन', भक्ति और साधना का यह वह धन है जो आगे के जीवन में काम आता है, सांसारिक माया यहीं रह जानी है जो 

कबीर यह तनु जात है सकै तो लेहू बहोरि ।
नंगे हाथूं ते गए जिनके लाख करोडि॥


दोहे का भावार्थ : व्यक्ति कितना भी धन का संचय कर ले, वह साथ नहीं जाने वाला है, यदि बहोरना है तो राम नाम और सद्कर्म जनित भलाई और नेकी को कमाओं वही साथ जाने वाली है, अन्य कुछ भी साथ नहीं जाएगा। जिनके पास करोंडो और लाखों थे वो भी नंगे हाथ ही इस संसार से चले गए हैं। तन समाप्त हो जाएगा यही इसकी रीती है, यही इसकी नियति है। माया इस संसार में ही रहनी है और साथ नहीं जाने वाली है।

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