शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम हिंदी मीनिंग लिरिक्स Shivoham HIndi Meaning Lyrics
शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम,
नित्योहम शुद्धोहम बुद्धोहम मुकतोहम,
शिवोहम शिवोहम शिवा स्वरूपहम,
अद्वैतंम आनंद रूपम अरूपम,
ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम,
चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम,
नित्योहम शुद्धोहम बुद्धोहम मुकतोहम,
शिवोहम शिवोहम शिवा स्वरूपहम,
अद्वैतंम आनंद रूपम अरूपम,
ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम,
चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम,
Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham Meaning in Hindi:
"शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम" हिंदी मीनिंग।
मैं ब्राह्मण हूं (विशुद्ध अखंडित चेतना)। मैं ब्रह्म हूं। मैं ब्रह्म का ही रूप हूँ।मैं चैतन्य हूं। मैं चैतन्य हूं। मैं चैतन्य हूं, जो एक सत्य है। मैं शिव हूँ (विशुद्ध अखंडित चेतना)। मैं अबाधित चेतना हूं। मैं अबाधित चेतना का सबसे बड़ा रूप हूं। शाब्दिक रूप से, "शिवोहम" का अर्थ है "मैं शिव हूँ"। शिव शुद्ध अखण्ड अखण्ड चेतना (पारलौकिक स्व, निरपेक्ष) है।
शिव स्वरूपहम : मैं ही शिव रूप हूँ पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा हूँ।
शिवोहम: मैं शिव हूँ, शिव शुद्ध सकारात्मक ऊर्जा के शुद्धतम रूप हैं, शुद्ध बिना शर्त प्रेम के, शिव ही सम्पूर्ण है और शिव के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।
नित्योहम : मैं वर्तमान में हूँ। भाव है की श्री शिव ही वर्तमान है और उन्हें याद करने पर भूत और भविष्य की चिंता समाप्त हो जाती है।
शुद्धोहम : शिव ही शुद्ध है। श्री शिव के अतिरिक्त कुछ भी शुद्ध नहीं है।
बुद्धोहम : मैं ही ज्ञान हूँ। यहाँ बुद्ध से अभिप्राय किसी के नाम से नहीं है बल्कि शुद्ध ज्ञान से है।
मुकतोहम: मैं आज़ाद हूँ। आजाद से अभिप्राय है की मुझे कोई बंधन जकड़ नहीं सकता है और मैं सभी आसक्तियों से स्वतंत्र हूँ।
अद्वैतंम : मैं एकल हूँ। अभिप्राय है की मुझे किसी दूसरे में नहीं ढूँढो।
आनंद रूपम : मैं ही कल्याणकारी रूप में हूँ।
अरूपम : मैं ही हूँ जिसका कोई रूप भी नहीं है, जिसे आकार दिया जा सके।
ब्रह्म स्वरूपहम : मैं ही ब्रह्म रूप में हूँ।
चिदोहम: मैं ही चेतना हूँ, मैं ही चेतन स्वरुप हूँ। मैं जीवंत हूं। मैं जीवन से भरा हुआ हूं। मैं शुद्ध ऊर्जा और शुद्ध चेतना हूं।
सतचिदानंदोहम : मैं निर्मल और कल्याणकारी आत्म रूप हूँ। मैं ही सत्य चित्त और आनंद रूप हूँ।
Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham
Nityoham Shuddhoham Buddhoham Muktoham Shivoham Shivoham Shiva Swaroopoham
Advaitamananda Roopam Aroopam
Brahmoham Brahmoham Brahma Swaroopoham
Chidoham Chidoham Satchidanandoham
શિવોડ઼હં શિવોડ઼હં શિવસ્વરુપોડ઼હં
નિત્યોડ઼હં શુદ્ધોડ઼હં બુદ્ધોડંહં મુક્તોડ઼હં
અદૂવૈત આનંદરૂપમ્ અરૂપં
બ્રહ્મોડ઼હં બ્રહ્મોડ઼હં બ્રહ્મસ્વરુપોડ઼હં
Advaitamananda Roopam Aroopam
Brahmoham Brahmoham Brahma Swaroopoham
Chidoham Chidoham Satchidanandoham
શિવોડ઼હં શિવોડ઼હં શિવસ્વરુપોડ઼હં
નિત્યોડ઼હં શુદ્ધોડ઼હં બુદ્ધોડંહં મુક્તોડ઼હં
અદૂવૈત આનંદરૂપમ્ અરૂપં
બ્રહ્મોડ઼હં બ્રહ્મોડ઼હં બ્રહ્મસ્વરુપોડ઼હં
SHIVOHAM SHIVOHAM | शिवोहम शिवोहम | VERY BEAUTIFUL SONG | LORD SHIVA | MAHASHIVRATRI SPECIAL SONG
शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम महत्त्व
शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम
मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव का रूप हूं।
नित्योहम शुद्धोहम बुद्धोहम मुकतोहम
मैं नित्य हूं, मैं शुद्ध हूं, मैं बुद्ध हूं, मैं मुक्त हूं।
अद्वैतंम आनंद रूपम अरूपम
मैं अद्वैत हूं, मैं आनंद का रूप हूं, मैं अरूप हूं।
ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम
मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म का रूप हूं।
चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम
मैं चेतन हूं, मैं चेतन हूं, मैं सच्चिदानंद हूं।
अर्थ- यह श्लोक शंकराचार्य द्वारा रचित एक प्रसिद्ध श्लोक है। यह श्लोक आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझने में मदद करता है।
"शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम" का अर्थ है "मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव का रूप हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा शिव है, जो कि ब्रह्मांड की सर्वोच्च चेतना है।
"नित्योहम शुद्धोहम बुद्धोहम मुकतोहम" का अर्थ है "मैं नित्य हूं, मैं शुद्ध हूं, मैं बुद्ध हूं, मैं मुक्त हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा नित्य है, यानी वह कभी नहीं मरता। यह शुद्ध है, यानी उसमें कोई दोष नहीं है। यह बुद्ध है, यानी वह ज्ञानवान है। और यह मुक्त है, यानी वह सांसारिक बंधनों से मुक्त है।
"अद्वैतंम आनंद रूपम अरूपम" का अर्थ है "मैं अद्वैत हूं, मैं आनंद का रूप हूं, मैं अरूप हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा अद्वैत है, यानी वह ब्रह्मांड के साथ एक है। यह आनंद का रूप है, यानी यह हमेशा आनंदित है। और यह अरूप है, यानी इसका कोई रूप नहीं है।
"ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम" का अर्थ है "मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म का रूप हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा ब्रह्म है, जो कि सर्वोच्च सत्ता है।
"चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम" का अर्थ है "मैं चेतन हूं, मैं चेतन हूं, मैं सच्चिदानंद हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा चेतन है, यानी उसमें जीवन है। यह सच्चिदानंद है, यानी वह आनंद, ज्ञान और अस्तित्व का स्वरूप है। यह श्लोक आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझने में एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है। यह हमें याद दिलाता है कि हम सभी शिव हैं, और हम सभी में अनंत संभावनाएं हैं।
शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें शैव संप्रदायों द्वारा सर्वोच्च स्वामी के रूप में पूजा जाता है। शिव को त्रिदेव में से एक माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा और विष्णु शामिल हैं। शिव को संहारक देवता के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन वह सृष्टि और पालन के भी देवता हैं।
शिव को कई रूपों में चित्रित किया जाता है, लेकिन उनका सबसे प्रसिद्ध रूप योगी भगवान के रूप में है, जो कैलाश पर्वत पर ध्यान करते हैं। शिव को अक्सर एक नंदी बैल पर सवारी करते हुए, गले में एक सर्प लपेटे हुए और अपने बालों में गंगा नदी को धारण किए हुए दिखाया जाता है। शिव के हाथ में त्रिशूल होता है, जो उनके शक्तिशाली हथियार का प्रतिनिधित्व करता है।
शिव की पूजा भारत और दुनिया भर में की जाती है। शिवरात्रि शिव की सबसे लोकप्रिय पूजा में से एक है, जो हर साल फरवरी-मार्च के महीने में मनाई जाती है। शिवरात्रि के दिन, भक्त शिव को प्रसन्न करने के लिए उपवास करते हैं, पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।
मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव का रूप हूं।
नित्योहम शुद्धोहम बुद्धोहम मुकतोहम
मैं नित्य हूं, मैं शुद्ध हूं, मैं बुद्ध हूं, मैं मुक्त हूं।
अद्वैतंम आनंद रूपम अरूपम
मैं अद्वैत हूं, मैं आनंद का रूप हूं, मैं अरूप हूं।
ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम
मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म का रूप हूं।
चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम
मैं चेतन हूं, मैं चेतन हूं, मैं सच्चिदानंद हूं।
अर्थ- यह श्लोक शंकराचार्य द्वारा रचित एक प्रसिद्ध श्लोक है। यह श्लोक आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझने में मदद करता है।
"शिवोहम शिवोहम शिव स्वरूपहम" का अर्थ है "मैं शिव हूं, मैं शिव हूं, मैं शिव का रूप हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा शिव है, जो कि ब्रह्मांड की सर्वोच्च चेतना है।
"नित्योहम शुद्धोहम बुद्धोहम मुकतोहम" का अर्थ है "मैं नित्य हूं, मैं शुद्ध हूं, मैं बुद्ध हूं, मैं मुक्त हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा नित्य है, यानी वह कभी नहीं मरता। यह शुद्ध है, यानी उसमें कोई दोष नहीं है। यह बुद्ध है, यानी वह ज्ञानवान है। और यह मुक्त है, यानी वह सांसारिक बंधनों से मुक्त है।
"अद्वैतंम आनंद रूपम अरूपम" का अर्थ है "मैं अद्वैत हूं, मैं आनंद का रूप हूं, मैं अरूप हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा अद्वैत है, यानी वह ब्रह्मांड के साथ एक है। यह आनंद का रूप है, यानी यह हमेशा आनंदित है। और यह अरूप है, यानी इसका कोई रूप नहीं है।
"ब्रह्मोहम ब्रह्मोहम ब्रह्म स्वरूपहम" का अर्थ है "मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म हूं, मैं ब्रह्म का रूप हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा ब्रह्म है, जो कि सर्वोच्च सत्ता है।
"चिदोहम चिदोहम सतचिदानंदोहम" का अर्थ है "मैं चेतन हूं, मैं चेतन हूं, मैं सच्चिदानंद हूं।" यह वाक्य कहता है कि आत्मा चेतन है, यानी उसमें जीवन है। यह सच्चिदानंद है, यानी वह आनंद, ज्ञान और अस्तित्व का स्वरूप है। यह श्लोक आत्मा के वास्तविक स्वरूप को समझने में एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है। यह हमें याद दिलाता है कि हम सभी शिव हैं, और हम सभी में अनंत संभावनाएं हैं।
शिव हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें शैव संप्रदायों द्वारा सर्वोच्च स्वामी के रूप में पूजा जाता है। शिव को त्रिदेव में से एक माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा और विष्णु शामिल हैं। शिव को संहारक देवता के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन वह सृष्टि और पालन के भी देवता हैं।
शिव को कई रूपों में चित्रित किया जाता है, लेकिन उनका सबसे प्रसिद्ध रूप योगी भगवान के रूप में है, जो कैलाश पर्वत पर ध्यान करते हैं। शिव को अक्सर एक नंदी बैल पर सवारी करते हुए, गले में एक सर्प लपेटे हुए और अपने बालों में गंगा नदी को धारण किए हुए दिखाया जाता है। शिव के हाथ में त्रिशूल होता है, जो उनके शक्तिशाली हथियार का प्रतिनिधित्व करता है।
शिव की पूजा भारत और दुनिया भर में की जाती है। शिवरात्रि शिव की सबसे लोकप्रिय पूजा में से एक है, जो हर साल फरवरी-मार्च के महीने में मनाई जाती है। शिवरात्रि के दिन, भक्त शिव को प्रसन्न करने के लिए उपवास करते हैं, पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं।
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