यह तन ठाट तम्बूरे का लिरिक्स Yaha tana thaata tambure ka Lyrics

यह तन ठाट तम्बूरे का लिरिक्स Yaha tana thaata tambure ka Lyrics Kabir Bhajan

कबीर साहेब ने इस तन को तम्बूरे की भाँती बताया है। इसके तार खींचने से और खूंटी को मरोड़ने से हुजूर (मालिक) का राग निकलता है। स्वांस के तार हैं जिनसे ईश्वर के नाम सुमिरण करना ही जीवन का उद्देश्य है। जीवात्मा को उस पूर्ण परमात्मा में एकाकार हो जाना ही सुखद हैं। इस देह का घमंड कैसा ? एक रोज तो हंस इस तम्बूरे को छोड़ के हंस की भाँती उड़ जाना है। भक्ति मार्ग भी शूर वीरों की भाँती का कार्य है। 
 
यह तन ठाट तम्बूरे का लिरिक्स Yaha tana thaata tambure ka Lyrics Kabir Bhajan

Ho sadho
Yaha tana thaata tambure kaa
Ho sadho ||
हो साधो
यह तन ठाठ तम्बूरे का
हो साधो ||
O seekers, this body is a splendid tanpura!

Pach tatwa ka banaa hai tambura
Tara laga nau ture ka ||
पांच तत्व का बना है तम्बूरा
तार लगा नौ तूरे का ||
This tanpura made of 5 elements, strung together with nine resonances.

Aenchata tara marodata khoonti
Nikasata raga hajure ka, ho sadho ||
एंचत तार मरोड़त खूँटी
निकसत राग हजुरे का, हो साधो ||
Tighten the strings, twist the pegs, and it sings the song of the Lord.

Toota tara bikhara gayi khoonti
Ho gaya dhoora madhure ka, ho sadho ||
टूटा तार बिखर गई खूँटी
हो गया धूर मधुरे का, हो साधो ||
The strings snap, the pegs lie scattered, the sweetness has turned to dust.

Ya dehi ka garaba na keeje
uda gaya hansa tanbure kaa ||
या देहि का गर्व न कीजे
उड़ गया हंस तम्बूरे का ||
Don’t cling in vain to this body. Its swan has flown away.

Kahe kabira suno bhai sadho
Agama pantha ika sure kaa ||
कहे कबीरा सुनो भई साधो
अगम पंथ इक सूरे का ||
Kabir says, listen seekers. The path of the brave is pathless. 
 

Ho Sadho | Kabir Jayanti | #soundsofisha | Alaap - Songs from Sadhguru Darshan Vol.1

Kabir says, this body is a tanpura, made of the Five elements. If struck well, it sings the divine hymn. Enjoy "Ho Sadho", a tribute to the saint on #Kabirjayanti.

Meaning in Hindi:
  • हे साधु, यह शरीर एक शानदार तम्बूरा है।
  • यह तम्बूरा पाँच तत्वों से बना है और इसमें नौ सुरों की तारें लगी हैं।
  • तार को कसो और खूँटी को घुमाओ, तो यह भगवान के मधुर राग का स्वर निकालता है।
  • पर जब तार टूट जाती है और खूँटियाँ बिखर जाती हैं, तो उसकी मधुरता धूल में मिल जाती है।
  • इस शरीर का गर्व न करो, क्योंकि इसका हंस (प्राण) उड़ गया है।
  • कबीर कहते हैं, सुनो साधुओं, वीरों का मार्ग अगम और निराकार है।

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