संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र मीनिंग Sampurna Maha Mrityunjaya Mantra Meaning
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी में अर्थ : Sampurn Mahamrityunjaya Mantra Meaning HIndi.
समूर्ण संसार के पालनहार(भगवान शिव), तीन नेत्र धारण करने वाले भगवान शिव की हम पूजा करते हैं। भगवान शिव जो सम्पूर्ण जगत में सुरभि फैलाने वाले हैं, हमें मृत्यु के बंधन से मुक्ति दें, जिससे हमें मोक्ष की प्राप्ति हो जाएं। (हे शिव मनोकामना पूर्ण करे )
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।
कर्पूर गौरम करुणावतारं मंत्र का अर्थ Karpur Gouram Karunavtaaram Mantra Meaning.
हे शिव आप जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं और करुणा के अवतार हैं। आप ही इस संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, हे भगवान शिव माता भवानी (पार्वती माता ) सहित मेरे ह्रदय में सदा ही वास करो।भो शम्भो शिव शम्भो स्वयंभो मन्त्र Bho Shambho Shiva Shambho Mantra
भो शम्भो शिव शम्भो स्वयंभो
Bho Shambho Shiva Shambho Svayambho
गङ्गाधर शङ्कर करुणाकरा मामव भव सागर तारका
Gangadhara Shankara Karunakara Mamava Bhava Sagara Taraka (Bho)
निर्गुण परब्रह्मस्वरूपा गमागम भूत प्रपञ्च रहिता
निज गुणनिहित नितान्त अनन्ता आनन्द अतिशय अक्षयलिङ्गा
Nirguna Parabrahmasvarupa Gamagama Bhuta Prapancha Rahita
Nija Gunanihita Nitanta Ananta Ananda Atishaya Akshayalinga (Bho)
धिमित धिमित धिमि धिमि किट किटतों तों तों तरिकिट तरिकिट किट तों
Dhimita Dhimita Dhimi Dhimi Kita Kitatom Tom Tom Tarikita Tarikita Kita Tom
मतङ्ग मुनिवर वन्दित ईशा सर्व दिगंबर वेष्टित वेषा
नित्य निरञ्जन नित्य नटेशा ईशा सबेशा सर्वेशा
Matanga Munivara Vandita Isha Sarva Digambara Veshtita Vesha
Nitya Niranjana Nitya Natesha Isha Sabesha Sarvesha (Bho)
Bho Shambho Shiva Shambho Svayambho
गङ्गाधर शङ्कर करुणाकरा मामव भव सागर तारका
Gangadhara Shankara Karunakara Mamava Bhava Sagara Taraka (Bho)
निर्गुण परब्रह्मस्वरूपा गमागम भूत प्रपञ्च रहिता
निज गुणनिहित नितान्त अनन्ता आनन्द अतिशय अक्षयलिङ्गा
Nirguna Parabrahmasvarupa Gamagama Bhuta Prapancha Rahita
Nija Gunanihita Nitanta Ananta Ananda Atishaya Akshayalinga (Bho)
धिमित धिमित धिमि धिमि किट किटतों तों तों तरिकिट तरिकिट किट तों
Dhimita Dhimita Dhimi Dhimi Kita Kitatom Tom Tom Tarikita Tarikita Kita Tom
मतङ्ग मुनिवर वन्दित ईशा सर्व दिगंबर वेष्टित वेषा
नित्य निरञ्जन नित्य नटेशा ईशा सबेशा सर्वेशा
Matanga Munivara Vandita Isha Sarva Digambara Veshtita Vesha
Nitya Niranjana Nitya Natesha Isha Sabesha Sarvesha (Bho)
Morning Shiv Songs - Mahamrityunjay Mantra | Om Chanting | Om Namah Shivay | Karpur Gauram Full Song
संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।लघु मृत्युंजय मंत्र
ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
"हम उन तीन नेत्रों वाले भगवान शिव की आराधना करते हैं, जो जीवनदायिनी और मंगलकारी सुगंध से सम्पूर्ण संसार को परिपूर्ण करते हैं। हम प्रार्थना करते हैं कि वे हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त करें और अमरत्व की प्राप्ति कराएं, जैसे ककड़ी (फल) बेल से अलग होकर मुक्त हो जाती है।"
महामृत्युंजय मंत्र जप की विधि
संकल्प: मंत्र जाप शुरू करने से पहले संकल्प लें, शुद्ध चित्त और तन की अवस्था में संकल्प लेना चाहिए जिसमें आप भगवान शिव से अपनी प्रार्थना, उद्देश्य और इच्छाओं के बारे में विनय करें।समय: महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष रूप से सुबह ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में किया जाता है। दोपहर 12 बजे के बाद इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
स्थान: जाप करते समय शुद्ध और पवित्र स्थान का चयन करें। भगवान शिव के चित्र या शिवलिंग के सामने बैठें और पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करें। शांत वातारण का चयन करके अपने तन की शुद्धि पर विशेष ध्यान दें।
माला: रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना सबसे उत्तम होता है। माला में 108 मोतियों का होना चाहिए और एक बार में माला का पूरा चक्र करना चाहिए। हर बार माला का जाप करने के बाद दिशा न बदलें, माला को उल्टा न करें।
शुद्धता: मंत्र जाप के समय मन, वचन, और कर्म से शुद्ध रहें। मंत्र का उच्चारण शुद्ध होना चाहिए और ध्यान भगवान शिव पर केंद्रित होना चाहिए।
व्रत: जाप के समय व्रत का पालन करना कल्याणकारी होता है। अपने आहार और व्यवहार में शुद्धता बनानी चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र और उसका अर्थ
मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
हिंदी अर्थ: हम उन भगवान शिव की आराधना करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं। वे जगत को सुगंध और पोषण प्रदान करने वाले हैं। जैसे पकने के बाद फल अपने डंठल के बंधन से मुक्त होकर गिरता है, वैसे ही हे प्रभु, हमें भी मृत्यु के बंधन से मुक्त कर अमरत्व का वरदान दें।
महत्व: महामृत्युंजय मंत्र को जीवनदायिनी और संकटों से मुक्त करने वाला माना गया है। यह न केवल शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि मृत्यु के भय को भी दूर करता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से मन को स्थिरता मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे विशेष रूप से रोगों के निवारण और दीर्घायु की कामना के लिए जपा जाता है।
मंत्र:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
हिंदी अर्थ: हम उन भगवान शिव की आराधना करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं। वे जगत को सुगंध और पोषण प्रदान करने वाले हैं। जैसे पकने के बाद फल अपने डंठल के बंधन से मुक्त होकर गिरता है, वैसे ही हे प्रभु, हमें भी मृत्यु के बंधन से मुक्त कर अमरत्व का वरदान दें।
महत्व: महामृत्युंजय मंत्र को जीवनदायिनी और संकटों से मुक्त करने वाला माना गया है। यह न केवल शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि मृत्यु के भय को भी दूर करता है। इस मंत्र का नियमित जाप करने से मन को स्थिरता मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे विशेष रूप से रोगों के निवारण और दीर्घायु की कामना के लिए जपा जाता है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
"हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं।"
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
"जैसे पककर फल शाखा से स्वतः अलग हो जाता है, वैसे ही हे प्रभु, हमें मृत्यु और नश्वरता के बंधन से मुक्त करें और अमरता प्रदान करें।"
"हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जो तीन नेत्रों वाले हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं।"
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
"जैसे पककर फल शाखा से स्वतः अलग हो जाता है, वैसे ही हे प्रभु, हमें मृत्यु और नश्वरता के बंधन से मुक्त करें और अमरता प्रदान करें।"
मंत्र के शब्दों का सरल अर्थ:
- त्र्यंबकम - तीन नेत्रों वाले (भगवान शिव)।
- यजामहे - हम पूजा करते हैं, आदर करते हैं।
- सुगंधिम - जो मीठी महक वाले हैं।
- वर्धनम - जो पोषण करते हैं, शक्ति और सुख प्रदान करते हैं।
- उर्वारुक - ककड़ी (जो पकने के बाद स्वतः शाखा से अलग हो जाती है)।
- इव - जैसे।
- बंधनान् - बंधन या मृत्यु का जाल।
- मुक्षिया - हमें मुक्त करें, आज़ाद करें।
- अमृतात - अमरता या मोक्ष।
महामृत्युंजय मंत्र यजुर्वेद के तीसरे अध्याय का प्रसिद्ध मंत्र है, जो भगवान शिव की आराधना के लिए अद्वितीय माना जाता है। यह मंत्र व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। इसका अर्थ है कि हम त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की स्तुति करते हैं, जो सुगंधित, पोषण प्रदान करने वाले और सबकी रक्षा करने वाले हैं। जैसे पककर खरबूजा बेल से स्वतः मुक्त हो जाता है, वैसे ही भगवान की कृपा से हम मृत्यु और जीवन के बंधन से मुक्त हो जाएं और मोक्ष रूपी अमृत का आनंद प्राप्त करें। इस मंत्र का जाप श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और आत्मा को शांति मिलती है। यह मंत्र न केवल शरीर और आत्मा को बल देता है बल्कि व्यक्ति को सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है।
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Author - Saroj Jangir
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