श्रीबालमुकुन्दाष्टकम् लिरिक्स मीनिंग Bala Mukundashtakam Meaning

श्रीबालमुकुन्दाष्टकम् लिरिक्स मीनिंग Bala Mukundashtakam Meaning

 
श्रीबालमुकुन्दाष्टकम् लिरिक्स हिंदी मीनिंग Bala Mukundashtakam Lyrics Hindi Meaning

करार विन्दे न पदार विन्दम्,
मुखार विन्दे विनिवेश यन्तम्,
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानम्,
बालम् मुकुंदम् मनसा स्मरामि।

हिंदी अर्थ : मेरा मन बाल कृष्ण का सुमिरण करता है। वट वृक्ष (बड़ का पेड़) की पत्तियों पर करते हुए, कमल के सादृश्य कोमल पांवों को, कमल के समान हाथ से पकड़ा हुआ है और पांवों के अंगूठे को कमल सादृश्य मुख में रखा हुआ है। ऐसी अवस्था में बाल कृष्ण पत्तियों पर सो रहे हैं, विश्राम कर रहे हैं।  मैं (साधक) उस बाल स्वरुप ईश्वर को अपने मन में धारण करता हूँ। 

कर -हाथ  अरविन्द : कमल।
करारविन्देन -कमल के समान हाथ वाले।
पद-पैर।  अरविन्द -कमल।
पदारविन्दं-कमल (कोमलता से आशय) के सादृश्य पांवों/चरण वाले।
मुखारविन्दे-कमल दे समान सुन्दर मुख।
विनिवेशयन्तम् : पाँव के अंगूठे को मुख में लेने वाले।
वि-विशेषण।  निवेश-अंदर लेना, प्रवेश।
अंत -आखिरी (पाँव का अंगूठा)
संहृत्य लोकान् वटपत्रमध्ये
शयानमाद्यन्तविहीनरूपम्,
सर्वेश्वरं सर्वहितावतारं
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।

हिंदी मीनिंग : श्री बाल कृष्ण समस्त लोक/जगत को बड़ (वट) के पत्तों में बाँधने वाले हैं, इसके मध्य में बाल कृष्ण सोकर विश्राम करते हैं। उनका यह रूप आदि और अंत से परे है। श्री कृष्ण सभी के स्वामी हैं, ईश्वर हैं। उनका यह अवतार सभी लोगों के संताप को दूर करने और हितकर के लिए है। बाल मुकुंद के इस रूप का मैं (साधक) सुमिरण करता है, याद करता है।

इन्दीवरश्यामलकोमलाङ्गं
इन्द्रादिदेवार्चितपादपद्मम्,
सन्तानकल्पद्रुममाश्रितानां
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।

हिंदी मीनिंग : बाल कृष्ण नीले कोमल कमल के समान है। इनके अंग कोमल हैं। इनके चरण कमल की पूजा इंद्र और अन्य देवताओं के द्वारा की जाती है। इनके चरण कमल में आश्रय पाने वाला अपनी इच्छाओं को कल्पतरु की भांति पाता है, भाव है की जैसे कल्पतरु से समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं, श्री कृष्ण के चरण कमल में आश्रय पा लेने से समस्त कामनाएं पूर्ण होती हैं।

लंबालकं लंवितहारयष्टिं,
शृङ्गारलीलाङ्कितदन्तपङ्क्तिम्,
बिंबाधरं चारुविशालनेत्रं,
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।

हिंदी मीनिंग : बाल कृष्ण के लम्बे और घुंघराले बाल हैं। श्री कृष्ण एक लम्बा हार गले में धारण किये हुए जो लटक रहा है, गले में शोभित है। बाल कृष्ण के होंठ बिम्ब फल की भाँती हैं। उनके दांत एक पंक्ति में शोभित हैं जो प्रेम उतपन्न करते हैं। श्री बाल कृष्ण के नयन सुन्दर और विशाल हैं। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

शिक्ये निधायाद्य पयोदधीनि,
बहिर्गतायां व्रजनायिकायाम्,
भुक्त्वा यथेष्टं कपटेन सुप्तं,
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।

हिंदी मीनिंग : बाल कृष्ण मधानी में से दूध और दही को चुराते हैं, जब बृज की गोपिकाएं घर से बाहर चली जाती हैं। दही माखन खाने के बाद वे निंद्रा में होना प्रदर्शित करते हैं। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

कलिन्दजान्तस्थितकालियस्य,
फणाग्ररङ्गे नटनप्रियन्तम्,
तत्पुच्छहस्तं शरदिन्दुवक्त्रं,
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।

हिंदी मीनिंग/ हिंदी अर्थ : कलिंद पहाड़ जहाँ से यमुना नदी निकलती हैं, जहाँ पर कालिया नाग है, उस कालिया नाग के फन के ऊपर बाल कृष्ण ने नृत्य किया। कालिया की पूँछ को बाल कृष्ण में पकड़ कर घुमा मारा और उनका मुख शरद के चाँद जैसा शोभित हो रहा है। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

उलुखले बद्धमुदारशौर्यं
उत्तुङ्गयुग्मार्जुनमङ्गलीलम्,
उत्फुल्लपद्मायतचारुनेत्रं,
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।

हिंदी मीनिंग : जिनको उनकी माता के द्वारा लकड़ी की ओंखली के साथ बाँध दिया गया था लेकिन उनका मस्तक वीर के जैसे चमक रहा है। जिन्होंने अर्जुन के वृक्ष को अपने शरीर से उखाड़ दिया है, यह उनकी लीला है। उनकी विशाल आँखें कमल के के पत्तों के सादृश्य सुन्दर हैं। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ।

आलोक्य मातुर्मुखमादेण,
स्तन्यं पिबन्तं सरसीरुहाक्षम्,
सच्चिन्मयं देवमनन्तरूपं,
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।

हिंदी मीनिंग : श्री कृष्ण दूध के पान के समय अपनी माता को देखते हैं, स्तनपान करने के वक़्त उनका मुखमण्डल कमल के समान सुन्दर लग रहा है, जैसे कोई कमल झील के किनारे पर स्थित हो। उनका पूर्ण और सत्य रूप असीम लग रहा है। श्री बाल मुकुंद (श्री कृष्ण का नाम) को मैं स्मरण करता हूँ। 
 

श्रीबालमुकुन्दाष्टकम्

Kara-Aravindena Pada-Aravindam
Mukha-Aravinde Vi-Niveshay-Antam.
Vattasya Patrasya Putte Shayaanam
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami.
Samhrtya Lokaan Vatta-Patra-Madhye
Shayaanam-Aady[i]-Anta-Vihiina-Ruupam.
Sarve[a-Ii]shvaram Sarva-Hita-Avataaram
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami.
Indiivara-Shyaamala-Komala-Anggam
Indra-[A]adi-Deva-Arcita-Paada-Padmam,
Santaana-Kalpadrumam-Aashritaanaam
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami,
Lamba-Alakam Lamvita-Haara-Yassttim
Shrnggaara-Liila-Angkita-Danta-Pangktim,
Bimba-Adharam Caaru-Vishaala-Netram
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami,
Shikye Nidhaaya Adya Payo-Dadhiini
Bahir-Gataayaam Vraja Naayikaayaam,
Bhuktvaa Yathessttam Kapattena Suptam
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami,
Kalinda Ja Anta Sthita Kaaliyasya,
Phanna Agrar-Angge Nattana Priyantam,
Tat Puccha Hastam Sharad Indu vaktram,
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami,
Ulukhale Baddham Udaara Shauryam
Uttungga Yugma Arjunam Angga Liilam,
Utphulla Padma ayata Caaru Netram,
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami,
Aalokya Maatur Mukham Aadenna,
Stanyam Pibantam Sarasii-Ruha-Akssam,
Sact Cinmayam Devam Ananta Ruupam,
Baalam Mukundam Manasaa Smaraami,
 
Among the several forms of devotion in Hinduism, possibly one of the most easy is that of loving Him as if He is your baby. This devotional hymn on Lord Krishna follows that approach. Lord Krishna is supposed to sleep on a leaf of a banyan tree and float on the surging waters of final deluge. He is supposed to hold His feet by His hand and put His toe in to His mouth. This hymn in its first stanza brings this image of Lord Krishna and then goes on to describe the adventures of this God Child as a baby. The first stanza of this great prayer also occurs in Sri Krishna Karnamrutha, a great book by a poet called Leela Shuka. It is not known whether He is the author of this prayer also.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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2 टिप्पणियां

  1. बहुत सुंदर वर्णन
  2. Atti Sundar, Thanks