पद गाए मन हरषियाँ साखी कह्याँ अनंद मीनिंग Pad Gaaye Man Harkhiya Meaning Kabir Dohe

पद गाए मन हरषियाँ साखी कह्याँ अनंद मीनिंग Pad Gaaye Man Harkhiya Meaning Kabir Dohe Hindi Arth Sahit/Kabir Ke Dohe Hindi Meaning/Hindi Bhavarth

पद गाए मन हरषियाँ, साखी कह्याँ अनंद।
सों तत नाँव न जाँणियाँ, गल मैं पड़िया फंध॥
Pad Gaye Man Harkhiya, Sakhi Kahya Anand,
So Tat Naav Na Janiya, Gal Me Padiya Fand.

पद गाए मन हरषियाँ : पद गाने से मन हर्षित हो उठता है.
साखी कह्याँ अनंद : साखी कहने से आनंद की अनुभूति होती है.
सों तत नाँव न जाँणियाँ : वह तत्व को नहीं जान पाता है.
गल मैं पड़िया फंध : उसके गले में फंदा ही पड़ा रहता है.
पद : हरी के गेयात्म्क छंद.
गाए : गाने से,
मन हरषियाँ : मन हर्षित होता है, मन सुखद होता है.
साखी : दोहा, साक्षी.
कह्याँ : कहने से.
अनंद : आनंद प्राप्त होता है.
सों : वह.
तत नाँव : नाम रूपी सुमिरन का तत्व ज्ञान .
न जाँणियाँ : जानते नहीं हैं.
गल मैं : गले में.
पड़िया फंध : फंदा पड़ा रहता है.
पद का गान करने से मन हर्षित हो गया है और साखी के गायन से मन आनंदित होता है, लेकिन यदि साखी और पद के तत्व ज्ञान को प्राप्त नहीं किया तो उसके गले में सदैव ही काल का फंदा पड़ा रहता है. भाव है की यदि हम ज्ञान को अपने आचरण में नहीं उतारते हैं तो ज्ञान का क्या फायदा होने वाला है, कुछ भी नहीं. हमें पद और साखी का गान करना चाहिए लेकिन उसके सन्देश को अपने आचरण में उतारना बहुत ही आवश्यक होता है. महज ज्ञान को जान लेना, उसे सुन लेना या बोल देना महत्त्व नहीं रखता है. बिना ज्ञान के मर्म को समझे, तत्व को समझे गले में सदा ही काल का फंदा पड़ा रहता है.
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