शिर्डी गाँव में नीम के नीचे बालक रूप में प्रगटे साईं

शिर्डी गाँव में नीम के नीचे बालक रूप में प्रगटे साईं

शिर्डी गाँव में नीम के नीचे, बालक रूप में प्रगटे साईं।
धरती, मात, पिता, आकाश की गोद में, इक दिन प्रगटे साईं।
शिर्डी गाँव में नीम के नीचे, बालक रूप में प्रगटे साईं।।

संतों की न कोई जाति वर्ग, न कोई संतों का।
दया, क्षमा, शांति केवल धर्म, यही है संतों का।
कर्म यही है संतों का।
दीन दयालु, प्यार का सागर बन के, मसीहा प्रगटे साईं।
धरती, मात, पिता, आकाश की गोद में, इक दिन प्रगटे साईं।
शिर्डी गाँव में नीम के नीचे, बालक रूप में प्रगटे साईं।।

सबका मालिक एक, जगत में बात साईं ने ये समझाई।
श्रद्धा, सबुरी रख ऐ बंदे, साथ हूँ तेरे बोले साईं।
बहार का है खोजे रे मोहे, मुझको तू अपने भीतर पाए।
धरती, मात, पिता, आकाश की गोद में, इक दिन प्रगटे साईं।
शिर्डी गाँव में नीम के नीचे, बालक रूप में प्रगटे साईं।।

अंतर मन का नाद तू सुन ले, इसमें तेरा ध्यान लगा ले।
साध न पथ को तू अपना ले, भक्ति की धुनि मन में रमा ले।
कल को बुला ले, आज में जी ले, कल की न परवाह कर तू भाई।
धरती, मात, पिता, आकाश की गोद में, इक दिन प्रगटे साईं।
शिर्डी गाँव में नीम के नीचे, बालक रूप में प्रगटे साईं।।


Sai Bhajan - Shirdi Gaon Mein - शिरडी गाँव में - Sai Ji Ke New Bhajan - Sai Baba Songs -Tanuj Nagpal

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About Bhajan -

Song : Shirdi Gaon Mein
Singer : Tanuj Nagpal [ 9565934839 ] 
Music :- Sachin Verma 
Writer :- Sairam shirdi waale
 
साईं की प्रगटता और उनकी शिक्षाओं का भाव भक्त के हृदय को एक ऐसी पवित्र अनुभूति से भर देता है, जो उसे प्रभु की कृपा और सत्य के मार्ग की ओर ले जाता है। यह भाव उस गहरे विश्वास को दर्शाता है कि साईं, जो शिर्डी के नीम के नीचे बालक रूप में प्रकट हुए, धरती और आकाश की गोद में सारी सृष्टि के लिए दया, क्षमा और शांति का संदेश लेकर आए। उनकी फकीरी और संत स्वरूप भक्त को यह सिखाता है कि सच्चा धर्म केवल प्रेम, करुणा और शांति में निहित है, न कि जाति, वर्ग या बाहरी दिखावे में। 

साईं की शिक्षाएँ और उनका संदेश भक्त को यह विश्वास दिलाता है कि सारी सृष्टि का मालिक एक है, और श्रद्धा व सबूरी के साथ जीने वाला भक्त सदा उनकी कृपा का पात्र बनता है। यह भाव उस गहरे संदेश को व्यक्त करता है कि साईं को बाहर खोजने की बजाय, भक्त को अपने अंतरमन में उनकी उपस्थिति को अनुभव करना चाहिए। उनकी भक्ति की धुनी और अंतरमन का नाद भक्त को सत्य और प्रेम के पथ पर ले जाता है, जहाँ वह कल की चिंता छोड़कर आज में जीने और साईं की स्मृति में रमने का मार्ग अपनाता है। 

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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