साईं नाम की लूट है प्राणी लूट सके तो लूट
साईं नाम की लूट है प्राणी लूट सके तो लूट
साईं नाम की लूट है प्राणी, लूट सके तो लूट,
पाछे फिर पछताएगा, जप प्राण जाएंगे छूट।
जीवन पर काहे इतराए, यह साँसे तो आनी जानी,
काया एक दिन मिट जाएगी, जीवन है बस बहता पानी।
साईं नाम का प्याला तू पीले, जीवन कड़वा घुट,
पाछे फिर पछताएगा, जप प्राण जाएंगे छूट।
मोह माया यह मिथ्या सारी, काम तेरे ना आएगी,
क्यों अपना समय गवाए, साथ न तेरे जाएगी।
साईं नाम की माला तू जप ले, सांस जा जाएगी दूर,
पाछे फिर पछताएगा, जप प्राण जाएंगे छूट।
अगर और भजन हो तो भेजिए, मैं सुधार कर दूंगा।
पाछे फिर पछताएगा, जप प्राण जाएंगे छूट।
जीवन पर काहे इतराए, यह साँसे तो आनी जानी,
काया एक दिन मिट जाएगी, जीवन है बस बहता पानी।
साईं नाम का प्याला तू पीले, जीवन कड़वा घुट,
पाछे फिर पछताएगा, जप प्राण जाएंगे छूट।
मोह माया यह मिथ्या सारी, काम तेरे ना आएगी,
क्यों अपना समय गवाए, साथ न तेरे जाएगी।
साईं नाम की माला तू जप ले, सांस जा जाएगी दूर,
पाछे फिर पछताएगा, जप प्राण जाएंगे छूट।
अगर और भजन हो तो भेजिए, मैं सुधार कर दूंगा।
Sai Naam Ki Loot Sai Bhajan By Aakriti Mehra [Full Video Song] I Sai Kripa
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Sai Bhajan: Sai Naam Ki Loot
Album Name: Sai Kripa
Singer: Aakriti Mehra
Music Director: Komal Ataria
Lyricist: Komal Ataria, Dipika Dubey
Picturised on: Aakriti Mehra
Album Name: Sai Kripa
Singer: Aakriti Mehra
Music Director: Komal Ataria
Lyricist: Komal Ataria, Dipika Dubey
Picturised on: Aakriti Mehra
जीवन की अस्थिरता और सांसारिक मोह-माया की नश्वरता को समझाते हुए साईं बाबा के नाम की महिमा का गुणगान किया गया है। साईं नाम को अमूल्य खजाना बताया गया है, जिसे जितना जल्दी और जितना अधिक पा सको, पा लेना चाहिए। जीवन की साँसें सीमित हैं, और जब प्राण छूट जाएंगे, तब पछताने के अलावा कुछ नहीं बचेगा।
अहंकार, दिखावे और सांसारिक उपलब्धियों पर इतराने की निरर्थकता को उजागर किया गया है। यह जीवन बहते पानी की तरह है—क्षणिक और अस्थायी। शरीर भी एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा, इसलिए साईं बाबा के नाम का प्याला पीकर, यानी उनके नाम का जाप करके, जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।
मोह-माया, धन-दौलत, और सांसारिक वस्तुएँ सब मिथ्या हैं; ये न तो जीवन के अंत में साथ जाएँगी, न ही असली सुख देंगी। समय को व्यर्थ न गँवाकर, सांस रहते साईं नाम की माला जपने का संदेश दिया गया है। अंत में यही भाव है कि साईं बाबा का नाम ही जीवन की सच्ची पूँजी है—इसे जितना जल्दी अपना लोगे, उतना ही जीवन में शांति, संतोष और मुक्ति का अनुभव करोगे।
अहंकार, दिखावे और सांसारिक उपलब्धियों पर इतराने की निरर्थकता को उजागर किया गया है। यह जीवन बहते पानी की तरह है—क्षणिक और अस्थायी। शरीर भी एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा, इसलिए साईं बाबा के नाम का प्याला पीकर, यानी उनके नाम का जाप करके, जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।
मोह-माया, धन-दौलत, और सांसारिक वस्तुएँ सब मिथ्या हैं; ये न तो जीवन के अंत में साथ जाएँगी, न ही असली सुख देंगी। समय को व्यर्थ न गँवाकर, सांस रहते साईं नाम की माला जपने का संदेश दिया गया है। अंत में यही भाव है कि साईं बाबा का नाम ही जीवन की सच्ची पूँजी है—इसे जितना जल्दी अपना लोगे, उतना ही जीवन में शांति, संतोष और मुक्ति का अनुभव करोगे।
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Author - Saroj Jangir
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