अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं

अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं

अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालों को मनाने की हमें फुर्सत नहीं।।

एक दिल है जिसमें मेरा बस गया है सांवरा,
अब कहीं दिल को लगाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में।।

एक जो आंखें हमारी मिल गई हैं श्याम से,
अब कहीं आंखें मिलाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में।।

एक सर है झुक गया जो आपके दरबार में,
अब कहीं सर को झुकाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में।।

दर बदर की ठोकरें खाने से है क्या फायदा,
सांवरे के दर के जैसा और कोई दर नहीं,
अब किसी महफ़िल में।।


।। सावरे के दर के जैसा और कोई दर नहीं।। SAAWRE KE DAR KE JESAA AUR KOI DAR NAHI ।।

ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
 

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।

About Bhajan -
अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं
दुनिया वालों को मनाने की हमें फुर्सत नहीं
अब किसी महफ़िल में
यह भजन भी देखिये
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

Next Post Previous Post