हे दीनन के प्रतिपाल साईं जी मेरी लाज रखो

हे दीनन के प्रतिपाल साईं जी मेरी लाज रखो

हे दीनन के प्रतिपाल, साईं जी मेरी लाज रखो,
कहाँ छुपे हो, हम भक्तों पे ज़रा सा ध्यान धरो,
साईं जी मेरी लाज रखो, साईं जी मेरी लाज रखो।

हमने मांगी है तुमसे, इस जग की मोह-माया,
और क्या मांगूं तुमसे, दे दो श्रीचरणों का साया,
पाप की गठरी बहुत है भारी,
साईं जी मेरी लाज रखो।

सुना है दीन-दुखी पे तुम तो रहम नज़र करते हो,
जिसका जग में कोई नहीं, तुम उसका दम भरते हो,
तेरी एक नज़र चाहूं, साईं, सिर पे हाथ धरो,
साईं जी मेरी लाज रखो।

जग के पीछे भाग-भाग के व्यर्थ में जनम गँवाया,
बची हुई साँसों की पूँजी अर्पण करने आया,
तोहफ़ा कर स्वीकार, प्रभु, मुझे भव से पार करो,
साईं जी मेरी लाज रखो।


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About Bhajan -

➤Song Name: Sai Ji Meri Laaz Rakho
➤Singer - Ravindra Kabir
➤Album - Aao Sai
➤Writer - Shiv (Harsh)
➤Music Director - R.D Rakesh Dilip
 
हे दीनों के पालनहार साईं, यह पुकार उस सच्चे भक्त की है जो जीवन की ठोकरों और संसार की मोह-माया से थककर अब आपकी शरण में आया है। वह जानता है कि आपने हमेशा दुखियों, बेसहारों और पापियों की लाज रखी है, और आपकी एक कृपा-दृष्टि से सबका जीवन संवर जाता है। 

भक्त स्वीकार करता है कि उसने संसार के पीछे भागकर जीवन व्यर्थ कर दिया, लेकिन अब वह अपनी बची हुई सांसों की पूंजी आपके चरणों में समर्पित करने आया है। उसे अब किसी भौतिक वस्तु की नहीं, केवल आपके चरणों की छाया की चाह है। वह चाहता है कि आप उस पर दया दृष्टि डालें, उसके सिर पर अपना कृपा-हाथ रखें और उसे भवसागर से पार लगाएं। 

Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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