गांठी दाम न बांधई नहिं नारी सों नेह हिंदी मीनिंग Ganthi Dam Na Bandhahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
गांठी दाम न बांधई, नहिं नारी सों नेह ।
कह कबीर ता साध की, हम चरनन की खेह ॥
Ganthi Daam Na Bandhai, Nahi Nari So Neh,
Kah Kabir Ta Sadh Ki, Hum Charanan Ki Kheh.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर इस दोहे में एक ऐसे साधु के गुणों का वर्णन करते हैं, जिसे वे अपना गुरु मानते हैं। वे कहते हैं कि वह साधु किसी भी चीज़ की लालच नहीं रखता है, वह सांसारिक मोह माया से दूर रहता है। वह नारी से प्रेम नहीं करता है। वह केवल ईश्वर की भक्ति में ही लीन रहता है। साधु गाँठ में एक कौड़ी भी नहीं रखता है, धन दौलत के प्रति आसक्त नहीं रहता है और अपनी गाँठ में धन की एक कौड़ी का भी संग्रह नहीं करता है। कबीर कहते हैं कि साधु किसी भी चीज़ की लालच नहीं रखता है। वह केवल ईश्वर की भक्ति में ही लीन रहता है। सच्चा साधु नारी से प्रेम नहीं करता है। कबीर कहते हैं कि साधु सांसारिक इच्छाओं से दूर रहता है। वह केवल ईश्वर की भक्ति में ही लीन रहता है। कबीर साहेब ऐसे साधु के पैरों की धूल बन जाना चाहते हैं। कबीर कहते हैं कि वे ऐसे साधु की तरह बनना चाहते हैं, जो केवल ईश्वर की भक्ति में लीन रहता है, ऐसे साधुओं की हम चरणों की धूल हैं.
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