तिलकुटा चौथ की व्रत कहानी Tilkuta Chouth Ki Kahani Vrat Katha

तिलकुटा चौथ की व्रत कहानी Tilkuta Chouth Ki Kahani/ Vrat Katha

 
तिलकुटा चौथ की व्रत कहानी Tilkuta Chouth Ki Kahani/ Vrat Katha

बहुत समय पहले एक गांव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में पति पत्नी ही थे। उनके कोई संतान नहीं थी। एक दिन जब स्त्री अपने घर में कुछ कार्य कर रही थी तो उसने देखा बहुत सारी स्त्रियां कहीं पूजा कर रहीं हैं।
वह उन स्त्रियों के पास गई और पूछा कि आप क्या कर रहे हो?

तो उन स्त्रियों ने कहा कि हम तो तिलकुटा चौथ माता की पूजा कर रही हैं। उनकी कहानी सुन रही हैं। तो वहां उसने पूछा कि चौथ माता कौन हैं और इनकी पूजा करने से क्या होता है।

तो उन्होंने बताया कि इससे घर में समृद्धि, संपन्नता और सुख आता है। चौथ माता की पूजा से संतान की प्राप्ति होती है। तो उसने कहा ठीक है मैं भी आपके साथ यह चौथ की कथा सुनती हूं। उसने भी चौथ माता की कहानी सुनी और व्रत किया। उसने कहा की हे चौथ माता अगर मैं गर्भवती हो जाऊं तो मैं आपके सवा किलो का तिलकुटा चढ़ाऊंगी।
थोड़े ही समय पश्चात वह स्त्री गर्भवती हो गई। तो उसने बोला हे चौथ माता अगर मुझे पुत्र प्राप्ति हो जाए तो मैं आपका सवा पांच किलो तिलकुटा चढ़ाऊंगी।
थोड़े दिनों पश्चात उसको पुत्र की प्राप्ति भी हो गई। ऐसे ही करके स्त्री की मनोकामना पूर्ण हो गई। लेकिन उसने चौथ माता का तिलकुटा नहीं चढ़ाया।

फिर उसने कहा कि हे चौथ माता मेरे पुत्र की शादी हो जाए तो मैं सवा ग्यारह किलो का तिलकुटा चढ़ाऊंगी और उसके पुत्र की शादी की बात पक्की हो गई।

शादी के दिन चौथ माता ने सोचा कि अगर ये ऐसे ही बोलती रहेगी और प्रसाद में कुछ भी नहीं करेगी तो कलयुग में कोई भी मुझे नहीं मानेगा। इसको कुछ सबक सिखाना ही पड़ेगा। हर बार कुछ ना कुछ बोल देती है लेकिन वह पूर्ण नहीं करती हैं।
इसलिए जिस दिन उसके बेटे की शादी थी, उसी दिन आधे फेरों के पश्चात एक बहुत ही तेज तूफान आया और उस लड़के को उठाकर ले गया। चौथ माता ने उसके बेटे को पीपल के पेड़ के ऊपर बिठा दिया। तो उनका विवाह अधूरा ही रह गया।

वहां सभी दुल्हे को ढूंढने लगे लेकिन किसी को भी वह नहीं मिला। थक कर सभी ने हार मान ली। जब दुल्हन की पहली गणगौर आई तो जब वह लड़की गणगौर माता की पूजा करने के लिए पीपल के पेड़ के पास गई।
जैसे ही दुल्हन गणगौर की पूजा करने के लिए बैठी तो वहां ऊपर से आवाज आई की आ जाओ मेरी आधी दुल्हन। लड़की बहुत ही परेशान हो गई। अब तो रोज-रोज यही होने लगा।
जब भी दुल्हन गणगौर की पूजा करती तो पेड़ से आवाज आती आ जाओ मेरी आधी शादी की हुई दुल्हन आ जाओ। दुल्हन यह सुन सुनकर बहुत ही बीमार पड़ गई और पतली हो गई।
उसके मां से उसकी यह हालत देख नहीं गई। उसकी मां ने उससे पूछा कि बेटी मैं तुझे अच्छा खिलाती हूं, अच्छी तरीके से रखती हूं, फिर भी तुम इतनी दुबली पतली होती जा रही हो। बताओ क्या बात है।
तो लड़की ने वह पूरी बात अपनी मां को बताई और कहा कि मां यही बात है जिसकी वजह से मैं परेशान हूं। उसकी मां उसके साथ पीपल के पेड़ पर गई और कहां की है भगवान यह क्या है?
मेरी बेटी को कौन परेशान कर रहा है। तो वहां पर बैठा वह लड़का बोला कि मेरी मां हमेशा तिलकुटा बोल देती थी, लेकिन कभी थी उसने तिलकुट को प्रसाद के रूप में किसी को नहीं बांटा था।
इसलिए चौथ माता उनसे नाराज है और उन्होंने मुझे शादी के मंडप से उठा लिया। अब आप ही कुछ कीजिए। यह सुनकर लड़की की मां बहुत ही प्रसन्न हुई कि आखिरकार उन्हें अपनी बेटी का दूल्हा मिल ही गया।
घर आकर उसने सवा सौ किलो का तिलकुटा किया। तिलकुटा का प्रसाद पूरे गांव में बंटवाया। इससे चौथ माता खुश हो गई है। और उस दूल्हे को नीचे उतार दिया।
चौथ माता के आशीर्वाद से दूल्हा दुल्हन की शादी संपूर्ण हो गई। और सभी हंसी खुशी रहने लगे।
हे चौथ माता माता जैसे दुल्हन की मां को खुश किया वैसे ही सबको करना। सब पर अपना आशीर्वाद बनाए रखना। कहानी कहने वाले और कहानी सुनाने वाले और उनके परिवार वालों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखना। हे चौथ माता आपकी जय हो।
जय श्री गणेश।

तिलकुटा चौथ माता की कहानी सुनाने के पश्चात गणेश जी की कहानी सुनी जाती है। तभी पूजा संपन्न मानी जाती हैं। तो आईए जानते हैं गणेश जी की कहानी।

गणेश जी की कहानी

एक बार एक गांव में दो भाई रहते थे। बड़ा भाई बहुत ही अमीर था और छोटा भाई बहुत ही गरीब था। छोटे भाई की पत्नी बड़े भाई के घर काम करने जाती थी। बदले में बड़े भाई की पत्नी उसे थोड़ा सा खाना और पुराने वस्त्र दे देती थी।
जिनसे उनके घर का गुजारा चलता था। देवरानी जब उनके घर पर आटा, छानती थी तो वह आटा छानने का कपड़ा अपने घर लाकर धो लेती थी। और उस पानी को अपने पति को पिला देती थी।

वह बचा हुआ खाना अपने बच्चों को दे देती थी। एक दिन जेठानी ने उपवास किया हुआ था और किसी ने भी खाना नहीं खाया था। तो उसने अपनी देवरानी को खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया। और वह आटे का कपड़ा भी नहीं ला पाई क्योंकि जेठानी ने देख लिया था कि वह आटे का कपड़ा ले जाती थी।

इसलिए जेठानी ने उससे कहा कि वो कपड़ा धोकर के जाए। इसलिए उस दिन आटे के कपड़े को नहीं ला पाई और उसके पति को जो आटा मिला हुआ पानी पिलाती थी वह भी नहीं पीला पाई।

जब पति ने कहा कि लाओ मुझे आटा मिला हुआ पानी दो तो उसने कहा कि आज वह नहीं दे पाएगी। क्योंकि जेठानी ने वही रख लिया है। तो पति को बहुत ही गुस्सा आया कि तुम पूरा दिन उनके घर काम करती हैं और बदले में सिर्फ आटे का कपड़ा और बचा हुआ खाना लेकर आती हो। फिर भी उसने वह कपड़ा नहीं दिया तो वहां जाती ही क्यो हो और उसने अपनी पत्नी को बहुत ही ज्यादा पीटा।

ज्यादा पीटने और थकान की वजह से उसकी वही आंख लग गई। उसे गणेश जी गणेश जी करते हुए ही उसे नींद आ गई। सपने में उसे गणेश जी आए और कहा बोलो मुझे शौच लगी है, मैं कहां करूं? 

तो देवरानी ने कहा कि पूरा घर पड़ा खाली पड़ा है। मेरे पास तो कुछ भी नहीं कहीं पर भी कर लो। फिर उसने कहा कि पूछुं कहां पर ? तो देवरानी को गुस्सा आया हुआ था। तो उसने गुस्से में कहा मेरे सर पर और कहां।
यह सुनकर के गणेश जी अंतर्धान हो गए। जब आंख खुली तो उसने देखा कि जहां उसने कहा था गणेश जी को शौच करने के लिए वहां हीरे जवाहरात के ढेर लगे हैं। उसके सिर पर जगमग जगमग गहने चमक रहे थे।

वह बहुत ही खुश हुई और वह अपनी जेठानी के यहां काम पर नहीं गई। जेठानी ने अपने बच्चों को कहा कि जाओ आज तुम्हारी चाची काम पर कैसे नहीं आई। जाओ उसे बुलाकर लाओ।
जब बच्चे अपनी चाची के घर गए तो उन्होंने देखा कि उनका घर हीरे जेवरात से भरा पड़ा है। सारी चीजें नई हैं और चमक रही है। नए बर्तन, नए वस्त्र और सारा घर बहुत सारे पकवानों से भरा पड़ा था।
उन्होंने वापस जाकर अपनी मां से कहा कि चाची तो बहुत पैसे वाली हो गई है। और वह अब अपने यहां काम करने नहीं आयेगी।
जेठानी सुन कर के आश्चर्यचकित रह गई और उसने सोचा कि यह बच्चे ऐसे ही कह रहे हैं। उसने खुद ने वहां जाकर देखा तो वाकई में देवरानी का घर तो बहुत ही ज्यादा चमक रहा था। सभी जगह हीरे, मोती, जवाहरात दिखाई दे रहे थे।
जब उसने पूछा कि यह क्या हुआ। तो देवरानी ने रात वाली सारी कहानी बता दी। जेठानी धन की भुखी सारी की सारी कहानी अपने पति को बताने लगी। और कहा कि आप भी मेरी पिटाई करो और पति ने कहा कि ऐसा मत करो। ऐसा ऐसी बात नहीं है। लेकिन जेठानी नहीं मानी उसने कहा कि नहीं आप मुझे मारो। जब उसको मारना शुरू किया तो वह गणेश जी गणेश जी कहते-कहते वह बेहोश हो गई। और गणेश जी का नाम लेते हुए उसे भी नींद आ गई। रात को जब गणेश जी उसके सपने में आए तो गणेश जी ने कहा कि मुझे शौच लगी है मैं कहां जाऊं। जेठानी ने कहा देवरानी का तो छोटा सा ही घर था। मेरा तो बहुत बड़ा घर है आपका मन करे वही कर लो तो उन्होंने वैसा ही किया।

उन्होंने कहा अब पूछूं कहां तो जिठानी बोली की मेरे सर पर पोंछ दो। ऐसा सुन के गणेश जी अंतर्धान हो गए। सुबह जब जेठानी की आंख खुली तो बहुत ही बदबू आई। देखा तो पूरे घर में गंदगी फैलाई पड़ी थी।
उसने कहा है गणेश जी महाराज यह क्या किया। आपने मेरी देवरानी को तो बहुत सारा धन दिया और मेरे को यह कूड़ा करकट दिया।

गणेश जी ने कहा कि उसने तो अपने पति धर्म को निभाते निभाते मार खाई। और तुमने धन की भूखी मार खाई। इसलिए ऐसा हुआ तो जेठानी बोली जी महाराज गलती हो गई। गणेश जी ने कहा कि मैं तो तभी यह सब कुछ साफ करूंगा जब तुम अपने धन में से आधा धन अपनी देवरानी को दे दोगी। जेठानी ने कहा ठीक है। मैं अपना आधा धन अपनी देवरानी को दे दूंगी और उसने वैसा ही किया।

हे भगवान गणेश जी जैसे देवरानी को दिया वैसे सबको देना। जैसे जेठानी को दिया वैसा किसी को ना देना। कहानी सुनने वाले को और कहानी कहने वालों को सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान करें। जय गणेश जी महाराज।

तिलकुटा चौथ/संकट चौथ/माही चौथ : कथा सुनने की सामग्री:
  • गुड़,
  • तिल,
  • गणेश जी,
  • चौथ माता,
  • एक छोटा सा आसन,
  • वस्त्र,
  • एक तांबे का कलश पानी से भरा हुआ,
  • एवं दक्षिणा।

तिलकुटा चौथ के अन्य नाम क्या है?

तिलकुटा चौथ को संकट चतुर्थी तथा माही चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

तिलकुटा चौथ का उपवास कब किया जाता है?

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को तिलकुटा चौथ का उपवास किया जाता है।
2025 में यह 17 जनवरी को मनाई जायेगी।
चतुर्थी तिथि सुबह 04:05, 17 जनवरी 2025 से 05:35, 18 जनवरी 2025 तक है। उदया तिथि के अनुसार इस व्रत को 17 जनवरी 2025 को किया जायेगा।

तिलकुटा चौथ का उपवास क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म के अनुसार संकट चौथ अर्थात तिलकुटा चौथ अर्थात माही चौथ का  उपवास पति की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है । यह व्रत करने से परिवार में सुख, समृद्धि एवं संपन्नता का वास होता है। पुत्रवती स्त्रियां पुत्र की सुख, समृद्धि के लिए भी यह व्रत करती है।

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