सांवरा अटकी नावड़ी ने तारो भजन

सांवरा अटकी नावड़ी ने तारो भजन

सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो,
म्हारो तो धजाबंद, कुछ कोनी बिगड़े,
लाजेलो बिरद तुम्हारो,
सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो।।

सूरिया कुमारी का भांडा खड़किया,
मायले री सोच विचारो,
मनजारी का बाबा बच्चा उबारिया,
अगन जाल सूं मारो।
सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो।।

राजा हरिचंद, राणी तारादे,
बिक गयो बीच बाजारो,
कँवर रोहितास ने विषधर डंस गयो,
लियो भगतन को लारो।
सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो।।

राजा मोरध्वज, राणी पद्मावती,
हाथ करोतों धारो,
रतन कँवर ने चीरण लाग्या,
कर दियो न्यारो-न्यारो।
सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो।।

हरि का भगत, हरि ने मनावे,
के जाणे मूर्ख गिवारो,
देवसी जी माळी बाबा अरज गुजारे,
ओले राख उबारो।
सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो।।

सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो,
म्हारो तो धजाबंद, कुछ कोनी बिगड़े,
लाजेलो बिरद तुम्हारो,
सांवरा, अटकी नावड़ी ने तारो।।


अटकी नावड़ी बाबा तारो सच्ची आरदास राम सा पिर को ।श्योपत पंवार

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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