चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा जपते

चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा जपते

चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा,
जपते-जपते मन में, हरे कृष्ण रामा।
हरे कृष्ण रामा, हरे कृष्ण रामा।।

कांधे पे धोती और लोटा लटकाए,
तंदुल की पोटली बगल में दबाए,
चलते-चलते पहुंचे द्वारका धामा,
जपते-जपते मन में, हरे कृष्ण रामा।
हरे कृष्ण रामा, हरे कृष्ण रामा।।

महल के बीच में सुदामा जी आए,
सोने सिंहासन से हरि उठ आए,
सीने से सीना मिलाए घनश्यामा,
जपते-जपते मन में, हरे कृष्ण रामा।
हरे कृष्ण रामा, हरे कृष्ण रामा।।

नहलाया, धुलाया, हरि भोजन खिलाया,
सोने सिंहासन पर उनको बिठाया,
श्याम दबाए पांव, पंखा करे सत्यभामा,
जपते-जपते मन में, हरे कृष्ण रामा।
हरे कृष्ण रामा, हरे कृष्ण रामा।।

हंस-हंस के पूछे वो कृष्ण कन्हैया,
दीजे जो भेंट, भाभी ने भेज वाया,
तंदुल को चाव हरि ने दिए धनधामा,
जपते-जपते मन में, हरे कृष्ण रामा।
हरे कृष्ण रामा, हरे कृष्ण रामा।।


चले श्याम सुंदर से मिलने सुदामा जपते जपते मनमे हरे कृष्ण रामा/ कृष्ण सुदामा भजन #bhajanwithlyrics

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कृष्ण सुदामा के भजन
कृष्ण सुदामा भक्ति भजन
कृष्ण सुदामा मिलन द्वारकाधीश
 
सुदामा, जो कृष्ण के बचपन के मित्र हैं, अपने मन में हरे कृष्ण-राम का जप करते हुए द्वारका के धाम की ओर चल पड़े। वे साधारण वस्त्रों में, धोती काँधे पर और तंदुल की पोटली लेकर, पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कृष्ण से मिलने जा रहे हैं। द्वारका पहुँचकर सुदामा का कृष्ण ने भव्य स्वागत किया। सोने के सिंहासन से उठकर कृष्ण ने सुदामा को गले लगाया, उनकी सेवा की, और प्रेम से उनका सत्कार किया। सत्यभामा भी कृष्ण के साथ सुदामा की सेवा में लगीं। कृष्ण ने सुदामा के पैरों को दबाया और पंखा फेरा, जिससे उनकी मित्रता और प्रेम की गहराई प्रकट होती है। 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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