महात्मा बुद्ध कहानी अछूत कौन Achhut Koun Mahatma Buddh Story

स्वागत है आपका हमारी इस पोस्ट में जो हमें महात्मा बुद्ध की जीवन-दृष्टि और उनके उपदेशों की गहराई से बताती है। आज हम जानेंगे महात्मा बुद्ध की कहानी जिसका शीर्षक है - "अछूत कौन?"। इस कहानी में महात्मा बुद्ध के उपदेशों के माध्यम से जीवन का एक अनमोल संदेश मिलता है। बुद्ध की शिक्षा हमें सिखाती है कि सच्चा अछूत कौन है और हमें अपने जीवन में क्रोध पर नियंत्रण कैसे रखना चाहिए। आइए, इस कहानी से प्रेरणा लेते हैं और अपने जीवन में शांति और सौहार्द को कैसे प्राप्त करें।

महात्मा बुद्ध कहानी अछूत कौन Achhut Koun Mahatma Buddh Story

अछूत कौन? - महात्मा बुद्ध की कहानी

महात्मा बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एक प्रवचन सभा में मौन बैठे थे। उनका मौन देखकर शिष्य चिंतित हो उठे, शायद वे अस्वस्थ होंगे। तभी एक शिष्य ने पूछ ही लिया, "भन्ते, आप मौन क्यों हैं? क्या आप ठीक नहीं हैं?"

बुद्ध ने कुछ नहीं कहा और ध्यान में लीन रहे। इसी बीच, बाहर खड़ा एक व्यक्ति ऊँची आवाज में पूछता है, "मुझे आज सभा में प्रवेश क्यों नहीं दिया गया?"
 
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महात्मा बुद्ध ने आंखें खोलीं और शांति से बोले, "तुम्हें अंदर आने की अनुमति नहीं है, क्योंकि तुम अछूत हो।" यह सुनते ही सारे शिष्य हैरान हो गए। उनके मन में सवाल उठने लगे, "क्या बुद्ध छुआछूत में विश्वास करते हैं?"

शिष्यगण की उलझन भांपते हुए बुद्ध बोले, "अछूत वह नहीं जो जन्म से हो, बल्कि वह है जो अपने मन और विचारों में मैल रखता है। यह व्यक्ति आज क्रोध में है, अपनी पत्नी से लड़कर आया है। क्रोध से जीवन की शांति नष्ट होती है और यह मन को अशांत बना देता है। क्रोधी व्यक्ति अपनी नकारात्मक ऊर्जा दूसरों पर भी डालता है, इसलिए वह मानसिक रूप से अशुद्ध होता है। जब तक वह पश्चाताप कर शुद्ध नहीं होता, तब तक उसे सभा में प्रवेश नहीं मिल सकता।"

बुद्ध के शब्दों से व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने मन ही मन ठान लिया कि वह क्रोध का त्याग करेगा और जीवन में शांति व संयम अपनाएगा। पश्चाताप के बाद बुद्ध ने उसे धर्मसभा में प्रवेश की अनुमति दे दी।
 
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कहानी से शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि असल में अछूत कौन होता है। महात्मा बुद्ध के अनुसार, अछूत वह व्यक्ति है जो क्रोध, हिंसा, और नकारात्मक विचारों से भरा होता है, जो स्वंय पर नियंत्रण नहीं रखता है। हमें अपने भीतर की अशांति और नकारात्मकता को त्यागना चाहिए और मानवीय गुणों को अपनाना चाहिए.

इस कहानी में दर्शाया गया है कि क्रोध किस तरह मानसिक और सामाजिक शांति को प्रभावित करता है। क्रोध को नियंत्रित कर, शांति और संयम के साथ जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। इसलिए, यह कहानी हमें अपने जीवन में आत्म-अनुशासन और संयम को अपनाने की प्रेरणा देती है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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