क्रोध पर नियंत्रण हिंदी शार्ट स्टोरी
गुलाबपुर गाँव में रोशनी नाम की एक महिला रहती थी। उसे जरा-जरा सी बात पर गुस्सा करने की आदत थी। उसके क्रोध के कारण पूरा परिवार परेशान रहता था, घर में हर समय तनाव बना रहता था।
रोशनी खुद भी अपनी इस आदत से दुखी थी। वह चाहकर भी गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाती थी। एक दिन उसके पति का बचपन का मित्र अजय, जो पेशे से डॉक्टर था, अपने परिवार के साथ मिलने आया।
बातों-बातों में अजय ने रोशनी से पूछा, "कैसी हो भाभीजी?" यह सुनकर रोशनी की आँखें भर आईं। वह बोली, "मुझे छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है और चाहकर भी खुद को रोक नहीं पाती। इससे मेरा घर भी परेशान है और मेरी तबियत भी बिगड़ रही है। मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता, जैसे मेरे क्रोध ने मेरी खुशियाँ छीन ली हों।"
अजय ने मुस्कराकर कहा, "भाभीजी, आपकी समस्या का हल मेरे पास है। हाल ही में मेडिकल साइंस ने गुस्से को कम करने की एक दवा तैयार की है। इससे हजारों लोगों को फायदा हुआ है। मैं हमेशा इसे अपने पास रखता हूँ।"
अजय ने बैग से एक छोटी शीशी निकालकर कहा, "जब भी गुस्सा आए, इसमें से चार बूंदें जीभ पर डाल लो और 10 मिनट तक मुँह बंद रखो। कुछ भी मत बोलो, वरना दवा असर नहीं करेगी।"
रोशनी के चेहरे पर उम्मीद की किरण चमक उठी। उसने दवा का इस्तेमाल शुरू कर दिया। जब भी गुस्सा आता, वह शीशी से दवा लेकर मुँह में रख लेती और चुपचाप बैठ जाती। कुछ ही दिनों में उसने महसूस किया कि अब उसे कम गुस्सा आता है।
पंद्रह दिन बाद रोशनी अपने पति के साथ अजय से मिलने गई। उसकी आँखों में खुशी के आँसू थे। वह बोली, "डॉक्टर साहब, आपकी दवा ने मेरा क्रोध लगभग खत्म कर दिया है। अब मैं पहले से ज्यादा शांत और खुश रहती हूँ। कृपया मुझे और यह दवा दे दीजिए।"
अजय मुस्कराया और बोला, "भाभीजी, वह कोई दवा नहीं, सिर्फ सादा पानी था। असली इलाज यह था कि जब आप गुस्से में होती थीं, तो 10 मिनट तक चुप रहती थीं, जिससे आपकी नकारात्मक ऊर्जा शांत हो जाती थी। यही ठहराव आपको क्रोध पर काबू पाने में मदद करता है।"
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रोशनी यह सुनकर चौंक गई लेकिन समझ गई कि असली इलाज खुद के भीतर ही था।
क्रोध पर काबू पाने के लिए संयम और जागरूकता जरूरी है। जब हम गुस्से के समय ठहराव लेते हैं, तो हमारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होने लगती है और विवेक जागृत होता है। गुस्से को नियंत्रित करने के लिए खुद पर नियंत्रण ही सबसे अच्छी दवा है।