
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
एक पंडित जी कई वर्षों तक काशी में शास्त्रों का अध्ययन करने के बाद अपने गांव लौटे। उनके विद्वान होने की ख्याति पूरे गांव में फैल गई। लोग मानने लगे कि वे धर्म से जुड़े हर प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं।
एक दिन, एक किसान उनके पास आया और प्रश्न किया— "पंडित जी, पाप का गुरु कौन है?"
सीख: इस कहानी से हमें यह महत्वपूर्ण सीख मिलती है कि लोभ ही पाप का सबसे बड़ा गुरु है। जब व्यक्ति लोभ के वश में आ जाता है, तो वह अपने सिद्धांत, नैतिकता और धर्म तक को भूल सकता है। पंडित जी, जो अपने नियमों के कट्टर अनुयायी थे, स्वर्ण मुद्राओं के लालच में अपने ही नियमों को तोड़ बैठे। यह दिखाता है कि लालच इंसान की सोचने-समझने की शक्ति को कमजोर कर देता है और उसे गलत राह पर ले जाता है। इसलिए, हमें हमेशा लोभ से बचना चाहिए और अपने मूल्यों को बनाए रखना चाहिए, क्योंकि सत्य और धर्म की राह पर चलने वाला व्यक्ति ही सच्चे अर्थों में सफल होता है।You may also like
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Author - Saroj Jangir
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