गजानंद दाता करू मैं प्रणाम आरती उतारू
गजानंद दाता करू मैं प्रणाम आरती उतारू
चार भुजाधारी और मूषक सवारी,
चंदन तिलक लगाऊं महाराज,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
मोदक लड्डू देवा, पूजा है तुम्हारी,
रुचिर-रुचि भोग लगाऊं महाराज,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
माता जिनकी पार्वती, उनका बड़ा नाम,
है पिता शिवशंकर, वो जग में महान,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
गजानंद दाता, करूं मैं प्रणाम,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
चंदन तिलक लगाऊं महाराज,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
मोदक लड्डू देवा, पूजा है तुम्हारी,
रुचिर-रुचि भोग लगाऊं महाराज,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
माता जिनकी पार्वती, उनका बड़ा नाम,
है पिता शिवशंकर, वो जग में महान,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
गजानंद दाता, करूं मैं प्रणाम,
आरती उतारूं मैं सुबह और शाम।।
गजानंद दाता करू मैं प्रणाम आरती उतारू
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Author - Saroj Jangir
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