अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पाठ है बेहद चमत्कारी सुख और समृद्धि के लिए

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र पाठ है बेहद चमत्कारी, सुख और समृद्धि के लिए

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र इन हिंदी Ashtlakshmi Strotam/अष्टलक्ष्मी स्तोत्र लिरिक्स Ashtlakshmi Strotam

हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन, सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग विभिन्न उपाय करते हैं। विशेष रूप से अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है, और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। कहा जाता है कि यदि देवी लक्ष्मी प्रसन्न हो जाएं, तो जीवन में दरिद्रता और धन की कमी दूर हो जाती है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र को विशेष रूप से शुक्रवार के दिन पढ़ने का महत्व है, क्योंकि शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस स्तोत्र का जाप करने से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
॥आदिलक्ष्मि॥
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ 1 ॥
॥धान्यलक्ष्मि॥
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि, वैदिकरूपिणि वेदमये
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ॥ 2 ॥
॥धैर्यलक्ष्मि॥
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधुजनाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूधन कामिनि, धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 3 ॥
॥गजलक्ष्मि॥
जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते,
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, तापनिवारिणि पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ॥ 4 ॥
॥सन्तानलक्ष्मि॥
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते ।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानववन्दित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम् ॥ 5 ॥
॥विजयलक्ष्मि॥
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर, भूषित वासित वाद्यनुते ।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्कर देशिक मान्य पदे
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 6 ॥
॥विद्यालक्ष्मि॥
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमयभूषित कर्णविभूषण, शान्तिसमावृत हास्यमुखे ।
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥ 7 ॥
॥धनलक्ष्मि॥
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि, दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम, शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ।
वेदपूराणेतिहास सुपूजित, वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम् ॥ 8 ॥

॥आदिलक्ष्मि॥
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि, मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित, सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्


ASHTALAKSHMI STOTRAM WITH LYRICS | LAKSHMI MANTRA | MADHVI MADHUKAR JHA

 
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र लक्ष्मी के आठ पहलुओं की प्रशंसा करता है, जिन्हें अष्ट लक्ष्मी के रूप में नामित किया गया है, जिन्हें धन के आठ रूपों का प्रतिनिधित्व करने के लिए माना जाता है। अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के आठ श्लोक हैं, प्रत्येक श्लोक एक अलग लक्ष्मी के लिए समर्पित है। श्लोकों में देवी लक्ष्मी की महिमा का वर्णन किया गया है, और उन्हें धन, समृद्धि, खुशी, ज्ञान, शक्ति, स्वास्थ्य, संतान और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र को अक्सर धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और अपने जीवन में आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करने के लिए माना जाता है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के आठ लक्ष्मी इस प्रकार हैं:

धनलक्ष्मी: धन और समृद्धि की देवी।
धान्यलक्ष्मी: खाद्य और उपज की देवी।
पुत्रलक्ष्मी: संतान की देवी।
वीरलक्ष्मी: शक्ति और साहस की देवी।
ज्ञानलक्ष्मी: ज्ञान और बुद्धि की देवी।
सौभाग्यलक्ष्मी: सुख और समृद्धि की देवी।
आरोग्यलक्ष्मी: स्वास्थ्य और कल्याण की देवी।
पारिवारिकलक्ष्मी: परिवार और घर की देवी।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र को संस्कृत में लिखा गया है। हालांकि, इसे हिंदी और अन्य भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं। इसे किसी भी समय और किसी भी स्थान पर पढ़ा जा सकता है। हालांकि, इसे अक्सर विशेष अवसरों पर, जैसे कि धनतेरस, दिवाली, और नवरात्रि पर पढ़ा जाता है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से पहले, देवी लक्ष्मी को ध्यान में रखना और उन्हें प्रणाम करना चाहिए। स्तोत्र का पाठ करते समय, देवी लक्ष्मी की छवि या मूर्ति के सामने बैठना चाहिए। स्तोत्र का पाठ करने के बाद, देवी लक्ष्मी की आरती और प्रार्थना करना चाहिए।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र एक हिंदू स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी के आठ रूपों की स्तुति करता है। ये रूप हैं:
  • धनलक्ष्मी - धन और समृद्धि की देवी
  • धान्यलक्ष्मी - भोजन और उपज की देवी
  • पुत्रलक्ष्मी - संतान और सुख की देवी
  • वीरलक्ष्मी - साहस और शक्ति की देवी
  • ज्ञानलक्ष्मी - ज्ञान और बुद्धि की देवी
  • आरोग्यलक्ष्मी - स्वास्थ्य और कल्याण की देवी
  • सौभाग्यलक्ष्मी - सौभाग्य और खुशी की देवी
  • कीर्तिलक्ष्मी - प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा की देवी

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों को इन आठ रूपों की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ भक्तों को जीवन में धन, समृद्धि, संतान, साहस, ज्ञान, स्वास्थ्य, सौभाग्य, और प्रसिद्धि प्राप्त करने में मदद करता है। अष्टलक्ष्मी स्तोत्र संस्कृत में लिखा गया है। यह पाठ आमतौर पर देवी लक्ष्मी की पूजा के दौरान किया जाता है। अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
  • यह पाठ भक्तों को धन, समृद्धि, और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति में मदद करता है।
  • यह पाठ भक्तों को संतान, स्वास्थ्य, और सुख-शांति प्रदान करता है।
  • यह पाठ भक्तों को ज्ञान, बुद्धि, और आत्म-साक्षात्कार में मदद करता है।
  • यह पाठ भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र एक बहुत ही शक्तिशाली और लाभकारी स्तोत्र है। इसका पाठ करने से भक्तों को जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के कुछ लोकप्रिय संस्करण इस प्रकार हैं:

  • महालक्ष्मी स्तोत्र - यह संस्करण देवी लक्ष्मी के सभी रूपों की स्तुति करता है।
  • अष्टलक्ष्मी स्तोत्र - यह संस्करण देवी लक्ष्मी के आठ रूपों की स्तुति करता है।
  • लक्ष्मी सहस्रनाम - यह संस्करण देवी लक्ष्मी के एक हजार नामों की स्तुति करता है।
इन संस्करणों का पाठ भक्तों की व्यक्तिगत पसंद और आवश्यकताओं के आधार पर किया जा सकता है। लक्ष्मी माता हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं। वह भगवान विष्णु की पत्नी हैं और धन, समृद्धि, सौभाग्य, और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं की देवी हैं। लक्ष्मी माता को अक्सर एक सुंदर महिला के रूप में चित्रित किया जाता है जो कमल के फूल पर बैठी होती है। उनके हाथों में धन, अन्न, और कमल होता है। लक्ष्मी माता की पूजा अक्सर दिवाली, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार, के दौरान की जाती है। दिवाली के दिन, लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, और लक्ष्मी माता की पूजा करते हैं। लक्ष्मी माता की पूजा और आराधना से भक्तों को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। लक्ष्मी माता की पूजा करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
  • धन, समृद्धि, और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति
  • संतान, स्वास्थ्य, और सुख-शांति
  • ज्ञान, बुद्धि, और आत्म-साक्षात्कार
  • सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति
लक्ष्मी माता की पूजा एक बहुत ही शक्तिशाली और लाभकारी उपाय है। यह उपाय भक्तों को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।

लक्ष्मी माता की पूजा कैसे करें:
  • स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • एक पवित्र स्थान तैयार करें और उसमें लक्ष्मी माता की मूर्ति या तस्वीर रखें।
  • लक्ष्मी माता को फूल, अन्न, और मिठाई अर्पित करें।
  • लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें।
  • लक्ष्मी माता की आरती करें।
  • लक्ष्मी माता से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
लक्ष्मी माता की पूजा एक बहुत ही सरल और सुलभ उपाय है। यह उपाय भक्तों को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद कर सकता है। 
 

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का महत्व

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र में देवी लक्ष्मी के आठ रूपों का वर्णन किया गया है, जो प्रत्येक रूप में अलग-अलग प्रकार की संपत्ति और समृद्धि प्रदान करती हैं:

  • आधि लक्ष्मी (आरंभिक लक्ष्मी) - यह लक्ष्मी रूप प्रारंभिक समृद्धि और सफलता प्रदान करती हैं।
  • धन लक्ष्मी (धन की लक्ष्मी) - यह लक्ष्मी रूप धन और ऐश्वर्य प्रदान करने वाली हैं।
  • ध्यान लक्ष्मी (ज्ञान की लक्ष्मी) - यह रूप व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि और समझ प्रदान करती हैं।
  • वीर लक्ष्मी (वीरता की लक्ष्मी) - यह लक्ष्मी रूप व्यक्ति में साहस और वीरता का संचार करती हैं।
  • सिद्धि लक्ष्मी (सिद्धि की लक्ष्मी) - यह रूप व्यक्ति को सफलता और सिद्धि प्राप्त करने में सहायता करती हैं।
  • रुप लक्ष्मी (रुप की लक्ष्मी) - यह लक्ष्मी रूप सुंदरता, आकर्षण और शारीरिक सुख-संप्रदाय प्रदान करती हैं।
  • नौकुंठ लक्ष्मी (समाज में प्रतिष्ठा और सम्मान) - यह रूप समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाती हैं।
  • अन्न लक्ष्मी (अन्न और भोजन की लक्ष्मी) - यह लक्ष्मी रूप व्यक्ति को सुखमय जीवन के लिए पर्याप्त भोजन और समृद्धि देती हैं।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने के लाभ

  • इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन की कमी दूर होती है।
  • यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
  • इसके पाठ से घर में लक्ष्मी का वास होता है और घरवाले समृद्ध और खुशहाल रहते हैं।
  • यह स्तोत्र व्यक्ति को समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करने में मदद करता है।
  • घर में सुख-शांति बनी रहती है, और परिवार में प्रेम और एकता का वातावरण रहता है।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ विधि

  • शुक्रवार का दिन चुनें: इस दिन देवी लक्ष्मी के पूजन का महत्व होता है।
  • साफ-सफाई करें: घर को साफ रखें और पूजा स्थल को पवित्र करें।
  • लक्ष्मी जी की पूजा करें: देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उन्हें फूल, दीपक और प्रसाद अर्पित करें।
  • अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें: श्रद्धा और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का जाप करें।
  • माँ लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करें: पूजा के बाद देवी लक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करें और जीवन में सुख, समृद्धि की कामना करें।

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन को धन्य और समृद्ध बनाता है। यह स्तोत्र धन, ऐश्वर्य और सुख की प्राप्ति में सहायक है, साथ ही जीवन में लक्ष्मी के आठों रूपों का आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम तरीका है।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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