राहु स्तोत्रम् लिरिक्स मीनिंग Rahu Stotram Lyrics Meaning
अस्य श्रीराहुस्तोत्रस्य वामदेव ऋषिः ।
गायत्री छन्दः । राहुर्देवता ।राहुप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ॥
राहुर्दानव मन्त्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः ।
अर्धकायः सदाक्रोधी चन्द्रादित्यविमर्दनः ॥ १ ॥
रौद्रो रुद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुमीतिदः ।
ग्रहराजः सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः ॥ २ ॥
कालदृष्टिः कालरुपः श्रीकष्ठह्रदयाश्रयः ।
विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररुपो महाबलः ॥ ३ ॥
ग्रहपीडाकरो द्रंष्टी रक्तनेत्रो महोदरः ।
पञ्चविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदा नरः ॥ ४ ॥
यः पठेन्महती पीडा तस्य नश्यति केवलम् ।
विरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ॥ ५ ॥
ददाति राहुस्तस्मै यः पठते स्तोत्रमुत्तमम् ।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नरः ॥ ६ ॥ ॥
इति श्रीस्कन्दपुराणे राहुस्तोत्रं संपूर्णम् ॥
राहु ग्रह के बारे में : ज्योतिषाचार्यों के अनुसार राहु एक नीच ग्रह है जिसे तमस और अशुभ माना गया है। राहु, आरोही उत्तर चंद्र आसंधि के देवता हैं और राहु, राक्षसी सांप का मुखिया है. राहु ग्रह, कुंडली में स्थित 12 भावों पर विभिन्न तरह से प्रभाव डालता है। ज्योतिष में राहु को एक क्रूर ग्रह बताया गया है, लेकिन यदि राहु कुंडली में मजबूत हो तो जातकों को इसके अच्छे परिणाम मिलते हैं जबकि कमज़ोर होने पर यह अशुभ और नीच फल देता है। इस ग्रह को नीच और पापी ग्रह माना गया है। यदि कठोर वाणी, जुआ, यात्राएँ, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग हों तो ये राहु ग्रह के प्रभाव होते हैं। यदि किसी की जन्म पत्रिका में राहु अशुभ स्थान पर बैठा हो तो इसके कई नकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं।
राहु काल क्या है : राहु काल समय का वह काल खंड होता है जहाँ से राहु का प्रभाव शुरू होता है। इस काल खंड में शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। यह लगभग डेढ़ घंटे तक का हो सकता है और तिथि के अनुसार इसमें परिवर्तन हो सकता है।
राहु की उत्पत्ति के बारे में : राहु को असुर स्वभाव का बताया गया है। समुद्र मंथन के समय धोखे से स्वरभानु असुर ने अमृत की कुछ बुँदे पी ली थी। जब स्वरभानु अमृत को पी रहा था तब सूर्य और चंद्र देव ने उसे पहचान लिया था और भगवन विष्णु जी को इसके बारे में बता दिया था। अमृत गले से निचे उतरता इससे पहले ही भगवान् विष्णु जी ने सुदर्शन चक्र से उस असुर का गला काट दिया लेकिन तब तक उसका सर अमर हो चूका था। सर राहु बना और धड केतु बना। राहु और केतु दोनों इसी कारन सूर्य और चंद्र देव से द्वेष रखते हैं और उन्हें ग्रहन करने की कोशिश करते हैं लेकिन ग्रहण करने के बाद सूर्य राहु से और चंद्र केतु से उनके कटे हुए गले से निकल आते हैं। पौराणिक सन्दर्भ में राहु को धोखेबाजों, सुखार्थियों, विदेशी भूमि में संपदा विक्रेताओं, ड्रग विक्रेताओं, विष व्यापारियों, निष्ठाहीन और अनैतिक कृत्यों, आदि का प्रतीक माना जाता रहा है।
राहु से बचने के उपाय : यदि आपकी जन्म पत्रिका में राहु दोष निकल कर आता है तो इस विषय को सावधानी पूर्वक लिया जाना चाहिए। राहु दोष के लक्षण हैं -मानसिक तनाव रहना, व्यापार में लगातार घाटा होना, परिवार में कलह का वातावरण बनना, वाणी का कठोर और अहंकारी होना, झगड़े पर आमादा रहना, अपशब्द बोलना, नाखूनों का स्वतः ही टूटना। यदि ऐसे लक्षण दिखाई दे तो समझ लीजिये राहु दोष लगा हुआ है। कुंडली का अध्यन ज्योतिषी से करवाने के बाद निम्न उपाय करे, लाभ होगा।
राहु से बचने के उपाय : यदि आपकी जन्म पत्रिका में राहु दोष निकल कर आता है तो इस विषय को सावधानी पूर्वक लिया जाना चाहिए। राहु दोष के लक्षण हैं -मानसिक तनाव रहना, व्यापार में लगातार घाटा होना, परिवार में कलह का वातावरण बनना, वाणी का कठोर और अहंकारी होना, झगड़े पर आमादा रहना, अपशब्द बोलना, नाखूनों का स्वतः ही टूटना। यदि ऐसे लक्षण दिखाई दे तो समझ लीजिये राहु दोष लगा हुआ है। कुंडली का अध्यन ज्योतिषी से करवाने के बाद निम्न उपाय करे, लाभ होगा।
- नित्य स्नान के उपरांत सफेद चन्दन का टीका लगाएं.
- प्रतिदिन प्रातः काल में ॐ रां राहवे नमः जाप करें।
- गोमेद धारण करें। गोमेद को पञ्च धातु या फिर लोहे की अंगूठी में धारण किया जा सकता है। गोमेद नो रत्ती का ही काफी है। गोमेद को अंग्रेजी में Agate, Hessonit, Onyx कहते हैं। गोमेद को क्षेत्र के मुताबिक अलग अलग नामों से जाना जाता है। संस्कृत में गोमेद को गोमेदक, पीत रक्तमणि, पिग स्फटिक कहा जाता है। गोमेद राहु की नकारात्मक ऊर्जा को बदल कर सकारात्मक कर देता है। असली गोमेद की पहचान है उसका रंग गौ मूत्र से मिलता जुलता होता है।
- सावन के महीने में रुद्रास्टाध्यायी का पाठ लाभकारी होता है।
- नित्य राहु बीज मन्त्र: ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: का जाप १०८ बार करें।
- शनिवार के दिवस कोयला, तिल नारियल, ताम्बा बहती नदी में प्रवाहित करे लाभ होगा।
- घर में मोर पंख रखें इससे फायदा होगा।
- काले कुत्ते को मीठी रोटी दें।
- रात को सोते समय सरहाने के जौ रखे और सुबह पक्षियों को डाल दें।
- प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करें, लाभ होगा।
- तामसिक आहार और मदिरापान से दूर रहें।
- मंदिर के पीपल को सुद्ध जल या गंगाजल चढ़ाएं।
- भगवान शिव की पूजा करें। भगवान शिव, राहु-केतू और शनि के दोषों का निवारण करते है। प्रतिदिन 21 बार ओउम् नम: शिवाय का जाप करेें।
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