कबीर के अनुसार इश्वर आत्मा में ही है। वे एक संत कवि थे, जिन्होंने अपने समय में धर्म की कुरीतियों पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने ईश्वर को एक व्यक्ति या किसी विशेष स्थान में नहीं देखा, बल्कि उन्होंने ईश्वर को आत्मा में माना। कबीर के अनुसार, आत्मा ही ईश्वर का निवास स्थान है। आत्मा ही ईश्वर का रूप है। जब हम अपने भीतर की आत्मा को देखते हैं, तो हम ईश्वर को देखते हैं।
थारो राम ह्रदय में बाहर क्यों भटके Tharo Ram Hridya Me Bahar Kyo Lyrics
थारो राम ह्रदय में बाहर क्यों भटके,
ऐसा ऐसा हीरला घट मां कहीये, जौहरी बिना हीरा कौन परखे ? थारो राम ह्रदय में, बाहर क्यों भटके?
ऐसा ऐसा घृत दूध मां कहीये, बिना झुगिये माखन कैसे निकले ? थारो राम ह्रदय में, बाहर क्यों भटके?
ऐसा ऐसा आग लकड़ी मां कहीये, बिना घिसिये आग कैसे निकले ? थारो राम ह्रदय में, बाहर क्यों भटके?
ऐसा ऐसा किवाड़ हिवडे पर जड़िया, गुरु बिना ताला कौन खोले ? थारो राम ह्रदय में, बाहर क्यों भटके?
कहें कबीर साह सुनो भाई साधो, राम मिले थाणे कौन हटके ?
थारो राम ह्रदय में बाहर क्यों भटके, ऐसा ऐसा हीरला घट मां कहीये, जौहरी बिना हीरा कौन परखे ? थारो राम ह्रदय में, बाहर क्यों भटके?
'Baahar Kyon Bhatke' by Mahesha Ram and Bhage Khan
Thaaro Raam Hraday Mein, Baahar Kyon Bhatake Aisa Aisa Heerala Ghat Maan Kaheeye Jauharee Bina Heera Kaun Parakhe ? Thaaro Raam Hraday Mein, Baahar Kyon Bhatake?