पतंजलि दंत कांति के फायदे उपयोग सेवन विधि घटक Patanjali Dant Kanti Benefits and Usages
पतंजलि आयुर्वेदा द्वारा निर्मित दन्त कांति टूथ पेस्ट आपके लिए काफी उपयोगी हो सकता है। लोगों ने पतंजलि आयुर्वेदा के प्रोडक्ट्स को उपयोग में लेने के बाद इसका महत्त्व भी समझा है इसलिए बाबा राम देव की निर्माण कम्पनी विदेशी कंपनियों को, एफएमसीजी कंपनियों, को कड़ी टक्कर दे रही है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के हवाले से पतंजलि आयुर्वेदा ने अपने उत्पाद की गुणवत्ता के आधार पर लोगों के विश्वास को जीतकर वर्षों पुरानी विदेशी कंपनियों की जड़े हिला कर रख दी हैं। दन्त कांति बाबा रामदेव जी की कंपनी के द्वारा निर्मित पतंजलि देसी घी के बाद सबसे ज्यादा बिकने वाला उत्पाद है जिसने लगभग ९५० करोड़ रुपयों का रेवेन्यू वर्ष २०१९ में कमाया है।
यह लोगों का प्राकृतिक और स्वदेशी प्रॉडक्ट्स के प्रति रूचि को दर्शाता है। विशेष है की आज सभी निर्माता प्राकृतिक जड़ी बूंटियों का उपयोग होने लगा है और केमिकल्स का उपयोग कम होने लगा है। पतंजलि दंत कांति टूथपेस्ट में 26 अमूल्य जड़ी बूटियों का एक बेजोड़ घटक हैं जो समग्र मौखिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। दंत संरक्षण और दंत सौंदर्य के अलावा, दंत कांति उन्नत दांतों और मसूड़ों के लिए भी उपयोगी हो सकता है।
Composition: Each 10 g contains extract of-
- Akarkara (अकरकरा) Anacyclus pyretheum 20 mg
- Neem (नीम) Azadirachta indica 10 mg
- Babool (बबूल) Acacia Arabica 20 mg
- Tomar (तोमर) Xanthoxylum alatum 20 mg
- Pudina (पुदीना) Mentha spicata 10 mg
- Laung (लौंग) Syzygium aromaticum 10 mg
- Pippli (पीपली छोटी) Piper sylvaticum 10 mg
- Vajradanti (वज्रदंती) Barleria prionitis 10 mg
- Bakul (बकुल) Mimusops elengi 10 mg
- Vidang (विडंग) Embelia ribes 10 mg
- Haldi (हल्दी) Curcuma longa 10 mg
- Pilu (पीलू) Salvadora persica 10 mg
- Majuphal (माजूफल) Quercus infectoria 5 mg
- दांतों की साफ़ सफाई के साथ साथ मसूड़ों की देखभाल के लिए।
- मसूड़ों से खून का आना, मसूड़ों की सूजन और ढीले मसूड़ों के लिए।
- दांतों में केविटी हो जाने पर।
- प्रतिदिन दांतों की सफाई के लिए।
- दांतों और मसूड़ों की साफ़ सफाई करके लम्बी दांतों की सेहत के लिए।
- मुंह की दुर्गन्ध की रोकथाम के लिए।
पतंजलि टूथपेस्ट को कहाँ से खरीदें : सामान्यतया वर्तमान में पतंजलि दन्त कांति टूथ पेस्ट सभी दुकानों पर उपलब्ध हो जाता है। इसे आप पतजंलि के स्टोर्स या फिर पतंजलि आयुर्वेदा की अधिकृत वेबसाइट से खरीद सकते हैं जिसका लिंक निचे दिया गया है :Improve oral health with Dant Kanti’s time-tested herbal ingredients. From offering dental protection to dental beauty, Dant Kanti works to guard and beautify your teeth. Packed with the goodness of nature, Dant Kanti dental cream offers health in a variety of ways. Akarkara and babul protect the gums; neem, timbaru, turmeric and cloves remove and offer protection from bacteria; pudhina and pipli refresh the gums; peelu and maju phal make gums stronger. Dental problems such as pyria, gingivitis, and bad odour begin to diminish when used every day.
https://www.patanjaliayurved.net/product/natural-personal-care/dental-care/toothpaste/dant-kanti/748आइये जान लेते हैं की दन्त कांति के कुछ घटक के स्वतंत्र क्या लाभ होते हैं।
Akarkara (अकरकरा) Anacyclus pyretheum : आकारकरभ, आकल्लक; अकरकरा का वानास्पतिक नाम Anacyclus pyrethrum (L.) Lag. (ऐनासाइक्लस पाइरेथम) Syn-Anacyclus officinarum Hayne होता है। अकरकरा Asteraceae (ऐस्टरेसी) कुल का होता है। अकरकरा को अंग्रेजी में Pellitory Root (पेल्लीटोरी रूट) कहते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेद में मुख्य रूप से दांतों से सबंधित विकार यथा दांतों के दर्द, दांतों से खून का आना आदि विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। अकरकरा को पाउडर और चूर्ण रूप में प्रयोग में लाया जाता है। अकरकरा रस में कड़वा; गर्म; रूखा, वात पित्त को कम करने वाला, लालास्राववर्धक, उत्तेजक, कफ कम करने वाला, पाचक, पेट दर्द तथा ज्वरनाशक होती है। इसका फूल कड़वा, शरीर की गर्मी कम करने में सहायक और वेदना हरने वाला होता है। दाँतों के लिए अक्सर इसकी मूल को चबाया जाता है।
Neem (नीम) Azadirachta indica : नीम का वानस्पतिक यानी लैटिन भाषा में नाम एजाडिरैक्टा इण्डिका (Azadirachta indica (L.) A. Juss.) तथा Syn- Melia indica (A. Juss.) Brantis है। यह कुल मीलिएसी (Meliaceae) का पौधा है। नीम को निम्ब, नीम, पिचुमर्द, पिचुमन्द, तिक्तक, बकम आदि नामों से भी जाना जाता है। नीम के पत्ते, टहनियां, छाल, बीज आदि सभी भागों के बहुत ही अच्छा औषधीय उपयोग भी होता है। नीम की दातुन के विषय ज्ञात है की कैसे यह हमारे ओरल हेल्थ के लिए उपयोगी होती है। आयुर्वेद में तो नीम के गुणों को सदा ही चिन्हित किया गया है लेकिन वर्तमान में नीम के गुणों पर कई प्रकार के शोध भी हो रहे हैं। नीम एंटी-फंगल, एंटी-वायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, पोषक तत्वों से समृद्ध, और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने वाला होता है। दांतों के स्वास्थ्य के लिए वर्षों से नीम की दातुन प्रचलन में रही है। दांतों की सुरक्षा के अतिरिक्त नीम शरीर से कीटाणुओं को समाप्त करने, वायरल रोगों से लड़ने में शक्ति देने, कील मुहासे त्वचा आदि के लिए किया जाता है। नीम के ऊपर नवीनतम शोध हो रहा है जिसमे नीम का उपयोग कैंसर की रोकथाम और उपचार के लिए किया जा सके। नीम में विशेष रूप से दांतों की सेहत के दृष्टिकोण से नीमबीन नीमबीडीन (nimbin nimbidin) और मारगोडीन (margodin) तत्व होते हैं जो काफी उपयोगी हो सकते हैं। इन्ही गुणों के कारण नीम के दातुन से आप दांतों के दर्द, दाँतों की सड़न, मुंह की बदबू, मुँह के छाले, और मसूड़ों की सूजन को समाप्त करने के लिए लाभ उठा सकते हैं। नीम की दातुन के लिए देसी नीम की मध्यम आकर की टहनी का चयन श्रेष्ठ होता है।
Bakayan by Vaidhraj Acharya Balkrishna Ji Mahraj
Babool (बबूल) Acacia Arabica : यह बबूल देसी बबूल होता है जो हमारे खेतों में विशेषकर मरू भूमि में स्वतः ही पैदा होता है। जहाँ इसके गोंद का लाभ लिया जाता है वैसे ही इसकी मुलायम छोटी टहनियों को दातुन के रूप में भी काम में लिया जाता है। बबूल का वानस्पतिक नाम अकेशिया निलोटिका (Acacia nilotica (Linn.) Willd ex Delile, Syn Acacia arabica (Lam.) Willd.) है, और ये मिमोसेसी (Mimosaceae) कुल से है और स्थानीय भाषा में इसे कीकर भी कहाँ जाता है। बबूल की छाल और इसकी फली को मिलाकर दंत मंजन बनाया जाता है जो बहुत ही लाभदायी होता है। बबूल की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से गले की खरांस ठीक होती है। इसके अतिरिक्त पेट विकार, दस्त अपच और त्वचा सबंधी विकारों में भी बबूल का उपयोग किया जाता रहा है। बबूल की दातुन करने से मसूड़ों की सूजन कम होती है और बेक्टेरियल इन्फेक्शन भी कम होता है। मौखिक स्वास्थ्य के लिए बबूल का दन्त मंजन लाभदायी होता है। आयुर्वेद में बबूल के कई लाभ वर्णित हैं जिनमे से एक बबूल की फली से शुगर को नियंत्रित करना भी शामिल है। बबूल की फलियों को सूखा कर इसका चूर्ण बना कर पानी के साथ सेवन से शुगर नियंत्रित होती है। घुटनों के दर्द और कमर के दर्द के लिए भी बबूल की फलियों का चूर्ण लाभदायी होता है।
Tomar (तोमर) Xanthoxylum : इसे बीज तोमर के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Zanthoxylum armatum होता है। इसका पेड़ चीन, नेपाल और हिमालय के पर्वतीय इलाकों में बहुतयात से पाया जाता है। आयुर्वेदा में तोमर के बीजों का उपयोग कई प्रकार के रोगों के रोकथाम के लिए किया जाता रहा है। इसके एंटीसेप्टिक गुणों के कारण से पतजलि के अतिरिक्त डाबर आदि निर्माताओं के द्वारा इसका उपयोग टूथपेस्ट में भी किया जाता है। तोमर वृक्ष में बीजों के अतिरिक्त इसकी छाल और जड़ का उपयोग भी कई रूपों में किया जाता है। इसके बीजों के तेल को भी कई दर्द निवारकों में उपयोग में लिया जाता है। पतंजलि टूथपेस्ट तोमर का उपयोग भी मुख से सबंधित विकारों के इलाज के लिए किया जाता है। दांत दर्द, मुंह की ख़राब बदबू, मसूड़ों की सूजन, पायरिया के लिए यह एक असरकारक दवा के रूप में कार्य करती है।
Pudina (पुदीना) Mentha spicata : पुदीना का पौधा का वानास्पतिक नाम (botanical name of mint)) (Mentha spicata Linn. (मेन्था स्पाइकेटा) Syn-Mentha viridis Linn. है, और यह Lamiaceae (लेमिएसी) कुल से सबंधित है। वैसे तो पोदीने की कई प्रजातियाँ होती है लेकिन जो पोदीना हम उपयोग में लेते हैं मेंथा स्पीक्टा लिन्न( Mentha spicata Linn.) होता है और इसकी अन्य प्रजातियों का उपयोग खाद्य प्रदार्थ और ओषधि में नहीं किया जाता है। इसे अंग्रेजी में गॉर्डेन मिंट (Garden mint), लैंब मिंट (Lamb mint), Spear mint (स्पिअर मिंट) आदि नामों से जाना जाता है। पुदीना मूल रूप से पहाड़ी और अधिक पानी वाले स्थानों पर होता है लेकिन वर्तमान में यह प्रायः हर स्थान पर पैदा किया जाने लगा है। पोदीना में एंटी बेक्टेरियल गुणों के कारण इसका उपयोग दंत मंजन में किया जाता है। मुंह के छाले और दांत दर्द को दूर करता है और साँसों में महक का सृजन करता है। अक्सर सर्दिओं में ठण्ड लग जाने के काऱण सांस की नली में सूजन आ जाती है जिसके कारण सांस लेने में भी दर्द होने लगता है, ऐसी स्थिति में पोदीने का काढ़ा पीने से लाभ मिलता है। अस्थमा, भूख बढ़ाने और पेट की गड़बड़ियों के लिए भी पोदीना एक अहम् दवा का कार्य करता है।पोदीने की पत्तियों को सुखाकर उनका काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मौखिक स्वास्थ्य दुरुस्त रहता है।
- लौंग के तेल से दांत के कीड़ों को दूर किया जाता है और साथ ही मसूड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होता है।
- लौंग के चूर्ण को पानी के साथ लेने से कफ्फ बाहर निकलता है और फेफड़ों में कफ के जमा होने के कारण आने वाली खांसी में आराम मिलता है।
- लौंग के चूर्ण की गोली को मुंह में रखने से सांसों के बदबू दूर होती है और गले की खरांस भी ठीक होती है।
- कुक्कर खांसी में भी लौंग के सेवन से लाभ मिलता है।
- छाती से सबंधित रोगों में भी लौंग का सेवन लाभदायी होता है।
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छोटी पिप्पल Chhoti pipal (Piper longum) : छोटी पिप्पल अक्सर खड़े मासालों में हम उपयोग में लाते हैं, जिसके कई चिकित्सीय लाभ भी होते हैं। यह भी एक आयुर्वेदिक हर्ब है जिसकी लता नुमा पौधा धरती पर फैलता है और सुगन्धित भी होता है। यह दो प्रकार का होता है छोटी पिप्पल और बड़ी पिप्पल। छोटी पिप्पल का उपयोग सर्दी खांसी, जुकाम और कफ को दूर करने के लिए किया जाता है। गले की खरांस, गले का बैठना आदि रोगों में भी पिप्पल लाभदायी होती है। अक्सर ही घर पर इसके चूर्ण को सर्दिओं में शहद के साथ दिया जाता है जिससे शीत रोगों में लाभ मिलता है।
विडंग : विडंग, बिडंग या बाय बिडंग एक औषधीय पेड़ होता है जिसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में प्रधानता से किया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Embelia Ribes होता है। यह हर्ब पुरे भारत में पायी जाती है। मुख्य रूप से विडंग पर्वतीय इलाकों और दक्षिण भारत के नम इलाकों में इसके पेड़ पाए जाते हैं। विडंग का मुख्य गुण धर्म कृमि नाशक होता है।विडंग उदर कृमि, अग्निमंध्य, आद्मान, गृहणी , शूल एवं प्रमेह जैसे रोगों के उपचार के लिए उपयोग में ली जाती है। विडंग वातहर, ऑक्सीकरणरोधी, शुक्राणुजनन-रोधी, जीवाणु-निरोधक, कैंसर निरोधक गतिविधि और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए निर्देशित किया जाता है। इसका रस तिक्त और कटु होता है और इसकी तासीर उष्ण होती है।
विडंग : विडंग, बिडंग या बाय बिडंग एक औषधीय पेड़ होता है जिसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में प्रधानता से किया जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Embelia Ribes होता है। यह हर्ब पुरे भारत में पायी जाती है। मुख्य रूप से विडंग पर्वतीय इलाकों और दक्षिण भारत के नम इलाकों में इसके पेड़ पाए जाते हैं। विडंग का मुख्य गुण धर्म कृमि नाशक होता है।विडंग उदर कृमि, अग्निमंध्य, आद्मान, गृहणी , शूल एवं प्रमेह जैसे रोगों के उपचार के लिए उपयोग में ली जाती है। विडंग वातहर, ऑक्सीकरणरोधी, शुक्राणुजनन-रोधी, जीवाणु-निरोधक, कैंसर निरोधक गतिविधि और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए निर्देशित किया जाता है। इसका रस तिक्त और कटु होता है और इसकी तासीर उष्ण होती है।
- नियमित रूप से दांतों की साफ़ सफाई करें और ब्रश या मंजन को दिन में दो बार अवश्य करें।
- धूम्रपान का उपयोग ना करें क्योंकि यह दाँतों को नुकसान पहुँचाता है।
- कुछ भी खाने पीने के उपरान्त कुल्ला करें।
- यदि मसूड़ों में कोई समस्या हो तो अंगुली से धीरे धीरे दन्त मंजन को करे।
- कुछ भी गर्म खाने के उपरान्त ठन्डे पानी का सेवन ना करें।
क्या पतंजलि दंतकांति टूथपेस्ट हर्बल है : हाँ, यह टूथपेस्ट हर्बल है और पूर्ण रूप से प्राकृतिक जड़ी बूटियों के मेल से निर्मित है। बेस मेटेरियल में कैल्शियम कार्बोनेट और सोडियम बेंजोएट के अलावा फ्लूरोइड कंटेंट भी होते हैं जो की परमिटेड लेवल के पैक पर दर्शाये गए हैं। पतंजलि दंत कांति टूथपेस्ट हर्बल टूथपेस्ट युक्त जड़ी बूटियों और कुछ आयुर्वेदिक सामग्री है। यह दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य में सुधार करता है। यह संक्रमण से दांतों और मसूड़ों की रक्षा के लिए मदद करता है। इस टूथपेस्ट का उपयोग करके दांतों की नियमित ब्रश करने से दांतों में कैविटी को रोकने में मदद मिल सकती है। यह भी रोकने के लिए और मसूड़ों और दांतों में दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। इस टूथ पेस्ट के उपयोग से दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बनाये रखने में मदद मिलती है। यह मसूड़ों से रक्तस्राव को रोकने में भी मदद करता है। मुंह की दुर्गन्ध को दूर कर ताजा सांस देने में मदद करता है।
मसूड़ों की सूजन के कारण मसूड़े की सूजन से पीड़ित लोग भी इस टूथपेस्ट का उपयोग बीमारी को नियंत्रित करने के लिए कर सकते हैं। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, प्रसिद्ध योग गुरु बाबा रामदेव द्वारा 2006 में शुरू किया गया, एक भारतीय एफएमसीजी कंपनी है जो सर्वोत्तम गुणवत्ता, विश्वसनीय आयुर्वेदिक, हर्बल और वेलनेस उत्पाद प्रदान करती है। पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड गुणवत्तापूर्ण जड़ी-बूटियों की तैयारी करता है। गुणवत्ता की निगरानी के लिए, दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और पतंजलि योग पीठ अपने खेत में कई लुप्तप्राय जड़ी बूटियों को उगाते हैं। प्लांट में गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) के सिद्धांतों का सख्ती से पालन किया जाता है
इसके अतिरिक्त यदि आपके मसूड़ों से खून का आना या अन्य कोई जटिल समस्या है तो आप चिकित्सक की राय अवश्य लें। सन्दर्भ : संदर्थ के रूप में आप निम्न नवीनतम शोध पत्रों का अध्ययन करें।
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin),
is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a
diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me,
shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak
Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from
an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has
presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple
and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life
and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं इस ब्लॉग पर रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारियों और टिप्स यथा आयुर्वेद, हेल्थ, स्वास्थ्य टिप्स, पतंजलि आयुर्वेद, झंडू, डाबर, बैद्यनाथ, स्किन केयर आदि ओषधियों पर लेख लिखती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |