स्वामी हूवा सीतका पैका कार पचास मीनिंग Swami Hua Seetaka Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Kabir Ke Dohe/Sakhi Hindi arth/Hindi Bhavarth/Hindi Me )
स्वामी हूवा सीतका, पैका कार पचास।राम नाँम काँठै रह्या, करै सिषां की आस॥
Swami Huva Seetaka, Paika Kaar Pachas,
Raam Naam Kaathe Rahya, Kare Sikha Ki Aas.
Swami Huva Seetaka, Paika Kaar Pachas,
Raam Naam Kaathe Rahya, Kare Sikha Ki Aas.
स्वामी हूवा सीतका : बड़ी ही आसानी से, सस्ते से स्वामी बन जाना.
पैका कार पचास : पचासों जिसके सेवक.
राम नाँम काँठै रह्या : राम नाम से कुछ लेना देना नहीं है.
करै सिषां की आस : वह शिष्य की आस करता है.
स्वामी : मालिक, गुरु.
हूवा : बन गया.
सीतका : बगैर मेहनत किए.
पैका कार पचास : पचासों ही सेवक.
राम नाँम : हरी नाम का सुमिरण.
काँठै रह्या : किनारे पर रह गया.
करै सिषां की आस : वह शिष्य से आशा करता है.
पैका कार पचास : पचासों जिसके सेवक.
राम नाँम काँठै रह्या : राम नाम से कुछ लेना देना नहीं है.
करै सिषां की आस : वह शिष्य की आस करता है.
स्वामी : मालिक, गुरु.
हूवा : बन गया.
सीतका : बगैर मेहनत किए.
पैका कार पचास : पचासों ही सेवक.
राम नाँम : हरी नाम का सुमिरण.
काँठै रह्या : किनारे पर रह गया.
करै सिषां की आस : वह शिष्य से आशा करता है.
कबीर साहेब की वाणी है की ऐसे कुछ स्वामी जो स्वामी बनने के लिए जतन नहीं करते हैं, वे मुफ्त में / बड़ी आसानी से स्वामी/गुरु बन जाते हैं और इसके फलस्वरूप पचासों उसके जैसे ही उसके सेवक बन जाते हैं. ऐसे समूह के लिए राम नाम तो किनारे पर रह जाता है और वह स्वामी शिष्यों से सेवा की आस करता है. भाव है की जो भक्ति स्वंय कोई प्रयत्न नहीं करता, भक्ति नहीं करता है तो उसके शिष्य भी उसी की तरह के होंगे. भाव है की ऐसे बनावटी साधू, संत को राम नाम से कुछ भी लेना देना नहीं होता है. वे राम नाम को विस्मृत कर देते हैं. वे राम नाम के महत्त्व को समझ नहीं पाते हैं और महज दिखावटी और बनावटी भक्ति करते हैं. अतः सिद्ध रूप से उसके चेले चांटे भी उसी की तरह से होते हैं, वे गुरु को किस भाँती निहाल करेंगे. ऐसे में गुरु शिष्यों से आशा करता है की वे उसकी सेवा करेंगे जो की संभव नहीं होता है क्योंकि गुरु की भांति शिष्यों में भी भक्ति का अभाव होता है.
भजन श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |