तेरे द्वार पे दयालु जिसका है आना जाना

तेरे द्वार पे दयालु जिसका है आना जाना

तेरे द्वार पे दयालु,
जिसका है आना-जाना,
उसने ही इस जहां में,
जीने का स्वाद जाना।।

अपने लिए जगत में,
कुछ भी नहीं मिलेगा,
सब बोझ ढो रहे हैं,
कुछ साथ ना चलेगा,
दातार की दया का,
जिसको मिला ख़जाना,
उसने ही इस जहां में,
जीने का स्वाद जाना।।

जपने से नाम तेरा,
कट जाते सारे बंधन,
बड़ा भाग्यशाली है वो,
करता जो तेरा सुमिरन,
जो है प्रेम का पुजारी,
और नाम का दीवाना,
उसने ही इस जहां में,
जीने का स्वाद जाना।।

तेरी याद में ही कान्हा,
जो ज़िंदगी गुज़ारे,
होकर मगन कन्हैया,
तेरा नाम जो पुकारे,
आंखों में जिसके आंसू,
होंठों पे है तराना,
उसने ही इस जहां में,
जीने का स्वाद जाना।।

सच्ची लगन लगाके,
जो भाव से है भजता,
बिन्नू ये मुरली वाला,
उसको कभी ना तजता,
प्रभु के चरण में आखिर,
उसको मिले ठिकाना,
उसने ही इस जहां में,
जीने का स्वाद जाना।।

तेरे द्वार पे दयालु,
जिसका है आना-जाना,
उसने ही इस जहां में,
जीने का स्वाद जाना।।


Tere Dwar Pe Dayalu

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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