जठै इंद्र लियो अवतार रूप आवड़ को

जठै इंद्र लियो अवतार रूप आवड़ को


जठै इंद्र लियो अवतार, रूप आवड़ को,
म्हारै मन में चढ़ गयो चाव खुड़द जावण को।

मैं तो लाल धजा ले, हाथ संघ रै सागै,
मैं तो सरपट चालूं, आज सभी सूं आगै।
मैया करयो हुकुम इण बार, मंदिर आवण को॥

म्हारो लाड मात इंदेश, सांतरो राखै,
म्हांसू दुखड़ा कोसों दूर, आंतरो राखै।
है अणतोल्यो आनंद, मैया ने ध्यावण को॥

कोई मधरा बाजै ढोल, चंग रस घोळे,
जय जय करणी इंद्रेश, दिशा दस बोलै।
मन करणी भवन में आय, घूमर घालण को॥

इंद्र-करणी दोय नाम, काम सब सागी,
आं री मेहर जगत में पाय, कोई बड़भागी।
मन मौको मत ना चूक, सुजस गावण को॥

अन्नदाता थांसू आस, भरोसो भारी,
थांनै प्रांजल मात मनाय, जिंदगी सारी।
थारो गायो रामोतार, भजन फागण को॥


Mhare man m chadh gyo chav khurad jawan ko|म्हारै मन चढ़ गयो चाव|Inder baisa chirja|Ramavtar marwadi

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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