प्रभु दास समझ अपना लेना भजन
प्रभु दास समझ अपना लेना भजन
हम छोड़ चुके हैं माया को
हम छोड़ चुके हैं माया को,
प्रभु! दास समझ अपना लेना।
इस जग की माया-मोह मुझे,
भरमाए कभी — अपना लेना।।
प्रभु! पाप हुआ होगा हमसे,
नादानी में तो माफ करो।
हमको है ज्ञान नहीं कुछ भी,
प्रभु! ज्ञान की ज्योति जला देना।।
हम छोड़ चुके हैं माया को...
कुछ समझ नहीं पाया हमने,
कैसे प्रभु तुम मिल पाते हो?
जिन्दा हूँ तभी तक आ जाना,
मरने पे तू दर्शन मत देना।।
हम छोड़ चुके हैं माया को...
अब पाप बहुत बढ़ता जाता,
बतलाओ प्रभु! कब आओगे?
विनती करता है कान्त प्रभु,
एक बार झलक दिखला देना।।
हम छोड़ चुके हैं माया को...
हम छोड़ चुके हैं माया को,
प्रभु! दास समझ अपना लेना।
इस जग की माया-मोह मुझे,
भरमाए कभी — अपना लेना।।
प्रभु! पाप हुआ होगा हमसे,
नादानी में तो माफ करो।
हमको है ज्ञान नहीं कुछ भी,
प्रभु! ज्ञान की ज्योति जला देना।।
हम छोड़ चुके हैं माया को...
कुछ समझ नहीं पाया हमने,
कैसे प्रभु तुम मिल पाते हो?
जिन्दा हूँ तभी तक आ जाना,
मरने पे तू दर्शन मत देना।।
हम छोड़ चुके हैं माया को...
अब पाप बहुत बढ़ता जाता,
बतलाओ प्रभु! कब आओगे?
विनती करता है कान्त प्रभु,
एक बार झलक दिखला देना।।
हम छोड़ चुके हैं माया को...
प्रार्थना : प्रभु दास समझ अपना लेना//रचना : दासानुदास श्रीकान्त दास जी महाराज ।
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Author - Saroj Jangir
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